फोकस साहित्य

सिसक रही सूखी नदिया सी

मैं तो पगली विरह वेदना बस कुछ आखर की पाती हूँ आंसू बनकर ना छलक पड़े मैं दुख को राह दिखाती हूँ....

लघु कथा: पर उपदेश कुशल बहुतेरे

दूसरों को देने से पहले खुद को दिए गए उपदेश दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ सचमुच बदलाव ला सकते हैं। पर उपदेश कुशल बहुतेरे के वाक्य को, उसकी...

लघु कथा: पर उपदेश कुशल बहुतेरे

आसान बहुत है देना उपदेश जब स्वयं पालन करने का आता समय, दिख जाता है उपदेशी का भेष। दूसरों को उपदेश देने से बहुत लोग, स्वयं को रोक नहीं...

लघु कथा : वोह आंखें

ऐसे ही डरते, सम्मान करते करते अनिल पंद्रह साल का हो गया। एक दिन मंछाराम फैक्ट्री से घर लौटे, तो उन्हें अपने घर के एक कमरे में से ज़ोर...

लघु कथा : बारह साल की वह लड़की

सुखवंत सिंह थोड़ा मुस्कुराए, रुकिए, मैं खुलवाता हूँ दरवाजा।’’ वे भागकर सामने वाले घर की छत पर चढ़ गए और वहाँ से चिल्लाकर बोले, ‘‘सतविन्दर,...

स्वर्णमयी, क्या तुम मेरे साथ चलोगी

क्या तुम मेरे साथ चलोगी.. खुश का पाखंड करोगी तुम आखिर कितना दंड भरोगी तुम क्या दर्द छुपाना जरुरी है तेरा हंसना क्यों मजबूरी है सिर...

लघुकथा : शक

हमारे समाज ने आज इतनी तरक्की की है फिर भी आज भी बहुत गांव या बहुत परिवार ऐसे हैं जहां लोग इस तरह की मानसिकता के शिकार हैं.....

लघु कथा: ' मिस्ड कॉल'

फिर अचानक 'मिस्ड कॉल' आने से उसके मस्तिष्क की बेचैनी बढ़ ही जाती है. अपनी अधीरता को रोक पाना उसके लिए संभव ही नहीं है ...

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