लघुकथा : शक

हमारे समाज ने आज इतनी तरक्की की है फिर भी आज भी बहुत गांव या बहुत परिवार ऐसे हैं जहां लोग इस तरह की मानसिकता के शिकार हैं.....

लघुकथा : शक

फीचर्स डेस्क। कुसुम एक छोटे से गांँव की लड़की थी।दसवीं कक्षा तक उसने पढ़ाई की थी,अब वोह मांँ को घर के काम में हाथ बढ़ाती थी।अठारह साल की हुई तभी उसके मांँ बाप ने उसकी शादी पास के एक शहर के लड़के से करवा दी।ससुराल में उसकी सास और पति थे। सास उसको बहुत प्यार करती थी।दोनो एक ही थाली में खाना खाते थे,सारा दिन एक दूसरे से बातें करते रहते थे।कुसुम का पति अशोक भी अच्छा इंसान था।अब शादी को एक साल होने को आया था वोह गर्भवती थी तीसरा महीना जा रहा था उसे।इस हालत में सास अपनी  बहू का बहुत खयाल रखती ज़्यादा काम काज खुद ही संभाल लेती।इसी बीच कुसुम की दादी गुज़र गई उसे अपने गांँव जाना पड़ा।करीब पंद्रह दिन के बाद वोह ससुराल वापिस आई । 
दूसरे ही दिन कुसुम की तबीयत बिगड़ी उसने सास से कहा  "मांजी मेरा जी आज कुछ ठीक नहीं लग रहा अस्पताल जाना पड़ेगा।" सास बहुत घबरा गई और दोनो डाक्टर को दिखाने गए।डाक्टर ने अच्छे से जांँच की बोले कि "इसकी हालत नाज़ुक है तुरंत ऑपरेशन करना पड़ेगा।" कुसुम को गर्भपात हो गया था। दूसरे दिन कुसुम को अस्पताल से छुट्टी मिली दोनो घर अा गए।उधर कुसुम के मांँ पिताजी को भी इस बात की खबर मिली वोह लोग भी बहुत चिंतित हुए।कुसुम गांव की लड़की थी उसके परिवार वाले काफी संकुचित मनोवृति के थे,सो उन्होंने बेटी के  दिल में सास के विरूद्ध में यह शक डाल दिया कि यह सब सास की वजह से हुआ है।कुसुम ने पहले तो मां की बात नहीं मानी,लेकिन मांँ रोज़ाना बेटी के कान भरती रहती एक दिन बेटी से फोन पर बात करते बोली "मैंने एक साधु महाराज से पूछा है तो उन्होंने भी यही बताया कि घर के लोगों ने ही कुछ ग़लत विद्या इस्तेमाल की है तुम्हारे साथ ताकि तुम कभी मांँ ना बन सको"। अब कुसुम भी मांँ की बात को ही सच मानने लगी।सास के साथ ना ही ज़्यादा बात करती ना ही सास के हाथ की कोई चीज़ खाती। सास बेचारी बेहद परेशान हुई आखिर बेटे को सब बताया। अशोक कुसुम की आपस में बहुत लड़ाई हुई ,अशोक ने बहुत समझाया कि मेरी मांँ कभी ऐसा कुछ नहीं कर सकती।आखिर वोह भी तो एक मांँ है वोह क्यूं नहीं चाहेगी कि हमारा बच्चा हो।लेकिन कुसुम ने अशोक की एक ना सुनी शक के अंधेरों ने उसे इतना घेरकर रखा था कि वोह हमेशा के लिए यह घर छोड़ कर चली गई। सास पति के प्यार के सामने उसका शक ज़्यादा बलवान निकला,उसके शक ने उसकी ज़िदंगी खराब कर दी उसने अशोक के साथ वापिस ससुराल आने से इनकार कर दिया ।आज दो परिवार बिखर गए।

कुसुम के शकी स्वभाव और उसकी मां की संकुचित मनोवृति  की वजह से आज दो परिवार बिखर गए!

हमारे समाज ने आज इतनी तरक्की की है फिर भी आज भी बहुत गांव या बहुत परिवार ऐसे हैं जहां लोग इस तरह की मानसिकता के शिकार हैं।कब हमारा समाज इस दूषण से बाहर आएगा?

इनपुट सोर्स: सुशीला गंगवानी