अनूठा मामला: अपने लिए लिया तलाक, समाज को दिखाने के लिए रहेंगे साथ

अनूठा मामला: अपने लिए लिया तलाक, समाज को दिखाने के लिए रहेंगे साथ

लखनऊ। रिश्ते अब बदल रहें हैं। लोग एक साथ रहकर भी साथ नहीं होते हैं। सात जन्मों का रिश्ता अब सात साल चलेगा इसका कोई गारंटी नहीं है। कुछ रिश्ते तो समाज के डर से भी निभाए जा रहें हैं। ऐसे में लखनऊ के फैमिली कोर्ट में एक अनूठा मामला सामने आया है। छह साल पहले प्रेम विवाह के बंधन में बंधे दंपती के बीच सुलह की गुंजाइश न देखते हुए कोर्ट ने इनके तलाक पर मुहर लगा दी। फैसले की कॉपी लेने पहुंचे युगल ने कहा कि हम खुश हैं कि तलाक हो गया, लेकिन समाज को दिखाने के लिए हम एक घर में साथ रहेंगे, पर पति-पत्नी बनकर नहीं। हम नहीं चाहते कि लोग बातें बनाएं। मामले को देख रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता दिव्या मिश्रा ने कहा, उन्हें अब तक के कॅरिअर में इस तरह का मामला देखने को नहीं मिला।

अप्रैल 2017 में किया था प्रेम विवाह

सशस्त्र सीमा बल में कार्यरत युवक और राजधानी के नामी प्रतिष्ठान में कार्यरत युवती का विवाह अप्रैल 2017 में हुआ था। दोनों मूल रूप से बलिया के रहने वाले हैं। रिश्तों में कड़वाहट आने पर 27 सितंबर 2022 को दोनों ने तलाक की अर्जी दाखिल कर दी। अदालत ने दोनों को छह माह का समय दिया, लेकिन सुलह की कोई गुंजाइश नहीं बनीं। आखिरकार इस जुलाई की 15 तारीख को तलाक पर मुहर लगा दी गई।

स्वतंत्रता तो चाहिए, पर समाज का डर भी

मामले में सामने आया कि पत्नी को टोका-टोकी मंजूर नहीं है। वह जिंदगी को अपने तरीके से जीना चाहती है, इसी वजह से तलाक का फैसला लिया। पति तलाक के पक्ष में नहीं था, पर पत्नी के दबाव में उसे भी यह फैसला लेना पड़ा। इसके अलावा दोनों ही नहीं चाहते कि उनके इस फैसले के बारे में किसी को पता चले, इसीलिए गोपनीयता बनाए रखी है। वे एक घर में रहेंगे, पर पति-पत्नी बनकर नहीं।

दिव्या मिश्रा, अधिवक्ता, फैमिली कोर्ट, लखनऊ।

तेजी से बढ़ते पारिवारिक विघटन का नतीजा

पारिवारिक विघटन बढ़ रहा है। रिश्तों में धैर्य की गुंजाइश खत्म होती जा रही है। यह भी सच है कि समाज का दबाव है। लोकलाज के भय से लोग चाहकर भी मुखर नहीं हो पा रहे हैं। जरूरी है कि हम रिश्तों को समय दें।

डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव, मनोचिकित्सक, लखनऊ।