मेंटल हेल्थ हमारी रिप्रोडक्टिव हेल्थ से कैसे जुड़ी होती है? जानें क्या कहती हैं डॉक्टर डॉ. रितु सेठी
अगर कोई महिला मेंटली फिट नहीं, तो इसका असर उसकी रिप्रोडक्टिव हेल्थ से भी पड़ सकता है। जानें इन दोनों में क्या संबंध है?
हैल्थ डेस्क। हम अक्सर सुनते हैं कि हमारी मेंटल फिजिकल हेल्थ से सीधी तौर पर जुड़ी होती है। इसलिए ही तनाव या चिंता जैसी समस्याओं में हमें सिरदर्द या थकावट महसूस होने लगती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी मेंटल हेल्थ रिप्रोडक्टिव हेल्थ को भी प्रभावित कर सकती है? जी हां, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कोई भी परेशानी आपके प्रजनन स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकती है। लेकिन कैसे? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए हमने बात कि गुरुग्राम के मैक्स हॉस्पिटल्स में एसोसिएट डायरेक्टर (ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी) और औरा स्पेशलिटी क्लिनिक की डायरेक्टर डॉ. रितु सेठी से। तो आइये जानें मेंटल हेल्थ कैसे रिप्रोडक्टिव हेल्थ से कनेक्टेड है।
हार्मोन्स में असंतुलन होना
मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं जैसे कि स्ट्रेस, डिप्रेशन या एंग्जायटी रिप्रोडक्टिव हार्मोन्स को नुकसान कर सकती हैं। दरअसल, ज्यादा तनाव लेने से कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे स्ट्रेस हार्मोन्स का प्रोडक्शन बढ़ जाता है, जो एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे रिप्रोडक्टिव हार्मोन्स को नुकसान करने लगता है। इन हार्मोनल असंतुलन के कारण पीरियड्स अनियमित होना, ओवुलेटरी डिसफंक्शन और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
मेंस्ट्रुअल हेल्थ पर बुरा असर
मानसिक तनाव होने से मेंस्ट्रुअल हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ सकता है। इस कारण अनियमित पीरियड्स या पीरियड्स बंद होने (एमेनोरिया) जैसी समस्याएं सकती हैं। ये समस्याएं स्ट्रेस डिसऑर्डर, पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसी तनाव से जुड़ी स्थितियों को प्रभावित कर सकती है, जो प्रजनन क्षमता पर भी असर डालती हैं।
फर्टिलिटी को नुकसान
मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के कारण कंसीव करने में भी परेशानी हो सकती है। तनाव और चिंता जैसी स्थितियां पुरुषों और महिलाएं दोनों में लिबिडो और सेक्सुअल डिजायर की कमी ला सकती हैं। इस कारण पुरुषों में स्पर्म प्रोडक्शन और महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की परेशानी होने लगती हैं, जो कंसीव करना और भी मुश्किल बना देती हैं।
बिहेवियर से जुड़ी समस्याएं
अगर आपकी मेंटल हेल्थ कंट्रोल में नहीं, तो इसके कारण आप खराब जीवनशैली जैसे कि धूम्रपान करना, ज्यादा शराब पीना या अनहेल्दी खाद्य पदार्थों का सेवन करने जैसी आदतें डाल लेते हैं। इन सभी आदतों के कारण रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है।
इस तरह में रखें अपनी मेंटल हेल्थ का ध्यान
किसी भी समस्या को ज्यादा गंभीर से न लें, इससे आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है।
पर्याप्त नींद लें और हेल्दी लाइफस्टाइल की आदतों को अपनाएं।
मेडिटेशन करें और खुद के लिए समय निकालें। इन सभी चीजों से आपका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होगा और प्रजनन स्वास्थ्य को भी फायदा मिलेगा।
अगर आपको अपने इमोशंस कंट्रोल करने मुश्किल आ रही है, तो किसी करीबी से अपनी परेशानी शेयर करें या अपनी भावनाएं किसी डायरी में लिखें।
इस तरह से मानसिक स्वास्थ्य प्रजनन स्वास्थ्य को नुकसान कर सकता है। लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो, तो इसे शेयर करना न भूलें।