फोकस साहित्य

Valentine'sDay Special: डोर

वैलेंटाइन वीक चल रहा है। अपना रहस्य मैं भी उजागर कर दूँ? प्यारी सी दोस्त से तुम कब पसंद बन गई, जान ही नहीं पाया। निम्न मध्यवर्गीय...

80 के दशक का वैलेंटाइन्स वीक और वैलेंटाइन डे

ये hug day तो हमारा संस्कार नहीं है ना और ऊपर से  मुहल्ले की ही है ऊ भी दूर के रिश्ते में। ज़्याद इधर उधर किए तो अपने ही घरवाले पीट...

Valentine's Day Special: इज़हार-ए-इश्क

सारी पब्लिक जानना चाहती है कि आखिर इसमें है क्या... तो प्लीज, आप इसे खोलिये और हमें भी बताइये कि इसमें आपके लिए क्या संदेशा है" अचम्भित...

Valentine's Day Special: इज़हार

मिलने को हरदम बेचैन रहना पर न उसने कहा, न मैंने कहा आज करती हूं महसूस उन पलों को....

 भाग्य या पुरुषार्थ

जब इन दोनों का विश्लेषण किया तो पाया मैंने समय को बदलते देखा है । कल तक जो बैठे थे सिंहासन पर , उनको भी पैदल चलते देखा है .....

कुम्हार...

स्वेद बिंदु से पोषित कर ,आंच पर जांचता,परखता हूं,कोयले की खदान से हीरे की खेप निकालता हूं। कभी कभी अपना हीं बचपन .....

सेरोगेट मदर

डॉ प्रतिभा हतप्रभ रह गयी, और कहा, "बहुत बुरा किया, जैसी करनी वैसी भरनी घर मे एलिसा भी अकेले में परेशान हो रही थी, ये कौन सी पेशेंट...

सेरोगेट मदर

डॉ प्रतिभा हतप्रभ रह गयी, और कहा, "बहुत बुरा किया, जैसी करनी वैसी भरनी।" घर मे एलिसा भी अकेले में परेशान हो रही थी, ये कौन सी पेशेंट...

थोड़ा सा मुस्कुरा लें

ज़िन्दगी की राहें थोड़ी मुश्किल हैं लेकिन तुम रुकना नही चलते जाना हौंसले की उड़ान से चलो आज मंज़िल को भी पा ही लेते हैं चलो आज थोड़ा सा...

लघु कथा: छोटी सी मंज़िल

कुछ दूर तो पूरे जोश में चले जैसे नाहक ही सोच रहे थे, लगा परिक्रमा तो यूं ही खेल खेल में पूरी हो जाएगी। कुछ ही देर में मई के महीने...

भविष्य पर प्रश्न चिन्ह

मैं किताबों का क्रेता नहीं बल्कि अपनी किताबों का विक्रेता बनकर आया हूँ। खबर लगी थी कि शहर में बस आप ही की दुकान ठीक-ठाक चल रही है,...

लघु कथा : जंग जीत ली

जैसे तैसे बच्चों को बड़े भाई ने सुबह किसी दोस्त के घर से खाना मंगा कर खिलाया। अनिता ने सुबह होते होते फैसला ले लिया और जल्दी से अपने...

लघु कथा: दूसरी मां सी

एक दिन अंजू के बड़े भाई से मौसी की कुछ बात पर तकरार हो गयी मै वहाँ मौजूद थी । अचानक बात बहुत बढ गयी उसने मौसी से कह दिया आखिर हो तो...

मानव मन

स्वयं उगाता निज अभ्यारण्य, आजीवन करता फिर विचरण, नेत्र बंद कर ,पथ निर्धारण।  चित्र विचित्र कितना मानव मन।

लघुकथा: अधूरा ज्ञान

अरे यार, क्या बताऊँ, मैं रातभर सोई नही, कल शीशे में देखा, मुँह में छाले के साथ एक सफेद दाग भी था। बस डॉक्टर गूगल के चक्कर मे पड़ गयी,...

अंधेरे का उजला पक्ष

पिछले कुछ वर्षों से जो घटित हो रहा है , उसका प्रभाव हम सब के जीवन पर बहुत गहरा पड़ा है..... अब तो सब छोड़ दिया है आगे की सोच ना.......

G-NT26R7C438