आकर्षण...

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फीचर्स डेस्क। तूलिका ने जैसे ही फेसबुक खोला, फिर वही महाशय जी का  फ्रेंड रिक्वेस्ट देखकर परेशान हो गयी। एक महीने से वो नजरअंदाज कर रही थी, पर वो शख्स मानने को तैयार ही नही थे। आखिर उसने सोचा चलो, एक दिन के लिए उसकी बात मान लेते हूँ, क्या कहना चाहता है, फिर ब्लॉक कर दूंगी।

"तूलिका जी, मैं एक आर्टिस्ट हूँ, मैंने बड़े बड़े फिल्मी अभिनेता अभिनेत्रियों के चित्र बनाये हैं, मेरा नाम स्वेतराज है। मुझपर विश्वास करिए, सिर्फ आपकी एक तस्वीर आपके सामने बैठकर बनाने की इच्छा है। उसके बाद आप चाहे तो मुझे ब्लॉक कर दीजिएगा।

"आपकी डीपी बहुत सुंदर है, नैना जैसे दो चंद्रमा धरती पर उतर के रोशनी फैला रहे। बुरा मत मानियेगा, मैं बिना कोई भूमिका के आपको अपने कैनवास पर उतारना चाहता हूं।"

उसको आज जवाब मिला, "तुम जो भी हो मिस्टर, कल बुद्धा पार्क में आकर मिलो और खामोशी से मेरा चित्र बना कर चलते बनो, उससे ज्यादा कुछ सोचने की जुर्रत भी नही करना।"

बुद्धा पार्क में दूसरे दिन कैनवास पर एक शानदार चित्र बना, पर स्वेतराज एक राज को समझ नही पा रहे थे, कि उसकी तूलिका क्यों भीग रही थी। आखिर उन्हें वादा भी निभाना था, कैसे पूछते।

अंत मे तूलिका ने कहा, "पूछोगे नही, आंसू क्यों निकल रहे, अच्छा मैंने ही कसम दी थी। चलो आंसू का राज बता दूं, अच्छा हुआ तुमने आज मेरी तस्वीर बना ली, शायद एक महीने की ही मेहमान हूँ मैं, मेरे दिल मे छेद है, डॉक्टर ने मुझे ही बताया जो मैं अपनी बीमार मां को नही बताना चाहती, मेरे आंसू अब बिना कोई आज्ञा के कभी भी निकल पड़ते हैं, धन्यवाद, हमारी पहचान अब समाप्त होती है।" और ब्लॉक कर दिया।

इनपुट सोर्स : सुशीला गंगवानी, मेम्बर फोकस साहित्य।