पर्यावरण संरक्षण : मानव जीवन व पर्यावरण का एक दूसरे से अटूट संबंध

पर्यावरण संरक्षण : मानव जीवन व पर्यावरण का एक दूसरे से अटूट संबंध

फीचर्स डेस्क। मानव जीवन व पर्यावरण का एक दूसरे से अटूट संबंध है। प्रारंभिक मानव शिकारी तथा भोजन का संग्राहक था। धीरे - धीरे समय बदलने के साथ मानव की आवश्यकताओं में भी बदलाव आया। क्या उस समय मानव ने सोचा था कि बदलता हुआ परिवेश उसे कहाँ ले जाएगा? वह कबीला, समुदाय, बस्ती, गाँव से निकलकर शहर पहुँचा। जीवन यापन के लिए विभिन्न व्यवसायों को अपनाया। प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग बढ़ने लगा। जनसंख्या बढ़ी, आवश्यकताएँ बढ़ी। प्राकृतिक संसाधनों का अब कठोरता एवं निर्ममता से दुरुपयोग होने लगा। उद्योग - धंधों को बढ़ावा देने के लिए वृक्ष, यहाँ तक कि वन कटते चले गए।

पेड़ - पौधे मानव जीवन के लिए प्रकृति प्रदत्त उपहार स्वरूप हैं। ये सभी तरह के अभावों को दूर करने के साधन हैं। पेड़-पौधे व वनस्पतियाँ फल - फूल औषधि, लकड़ी आदि तो प्रदान करते ही हैं, वे उस प्राणवायु आॅक्सीजन का अक्षय भंडार हैं, जिसके बिना हम एक दिन भी जीवित रहने की कल्पना नहीं कर सकते। पेड़ - पौधे हमारी ईंधन की आवश्यकता को पूर्ण करते हैं। इनसे हमें इमारती एवं फर्नीचर बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की सुंदर लकड़ियाँ व कागज बनाने के लिए कच्ची सामग्री भी प्राप्त होती है। सूखे पत्ते भी खाद बनकर नव अंकुरित पौधों का पोषण करते हैं।

वर्षा के कारण बहुत सी मिट्टी और चट्टानें नदियों में पहुँच जातीं हैं, जिससे नदियाँ उथली हो जाती हैं और बाढ़ - सूखे का कारण बनती हैं। इससे जल भी प्रदूषित होता रहता है। वृक्ष मिट्टी के कटाव को रोकते हैं तथा जल एवं नदियों को प्रदूषण से बचाते हैं।

सूर्य धरती के पानी को सोखकर वाष्प बनाता है, तो वृक्ष उस वाष्प को तीव्र गति से बढ़ाने में सहायक होते हैं और वर्षा के माध्यम बनते हैं। वर्षा होने पर अनेक विषैले कीटाणु धुलकर समाप्त हो जाते हैं तथा पर्यावरण विशुद्ध हो उठता है। पेड़ - पौधे धुआं, धूल, रेत आदि को रोक कर वातावरण को सुरक्षित रखते हैं जिससे हमें साँस लेने के लिए शुद्ध हवा मिलती है। 

हम ये क्यों नहीं समझते कि पेड़ - पौधे हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। इनको हम अपनी ज़रूरतों के लिए काटते तो जा रहे हैं, पर नए वृक्षों को लगाने का प्रयास बिल्कुल नगण्य है।आइए, परिस्थिति का अवलोकन करके आज हम प्रण करें -

 तीव्र वेग से प्रति दिन ही बढ़ता जा रहा  प्रदूषण,

धरती पर हो रही क्षीण जीवन की धारा हर क्षण,

होगा  पर्यावरण  सुरक्षित  जब  हो  भू  संरक्षित -

इसके लिए  करें हम  भी कुछ नूतन वृक्षारोपण।

 

डाॅ० अतिराज सिंह