क्या है पोलियो की बीमारी, किस उम्र के बच्चों को इसका ज्यादा खतरा, डॉ. मेघना से जानें

पोलियो को खत्म करने और बच्चों को इस बीमारी से बचाने के तरीकों के बारे में जागरूक करना है. पोलियो एक खतरनाक बीमारी है, जो 5 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है. इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें डॉक्टर से जान लेते हैं...

क्या है पोलियो की बीमारी, किस उम्र के बच्चों को इसका ज्यादा खतरा, डॉ. मेघना से जानें

हैल्थ डेस्क। बचपन में आपने भी पोलियो की दवा की दो बूंद जरूर पी होंगी। देशभर में कई दशकों से घर-घर जाकर पोलियो की दवा पिलाई जा रही है। यह दवा कम उम्र के बच्चों को पिलाई जाती है, ताकि उन्हें पोलियो नामक बीमारी से बचाया जा सके। पोलियो को मेडिकल की भाषा में पोलियोमाइलाइटिस ( Poliomyelitis) कहा जाता है। यह पोलियोवायरस के कारण होने वाली एक खतरनाक बीमारी है, जिससे बच्चों की रीढ़ की हड्डी संक्रमित हो जाती है और शरीर के कुछ हिस्से लकवाग्रस्त हो जाते हैं।

पोलियो की बीमारी 5 साल से कम की उम्र के बच्चों को सबसे ज्यादा होती है। हमारे देश में पोलियो के वैक्सीनेशन की शुरुआत साल 1995 में में हुई थी और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने साल 2014 में भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया। पोलियो को खत्म करने और वैक्सीनेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर साल 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस (World Polio Day) मनाया जाता है।  आज इस खास मौके पर डॉ. मेघना पांचाल  से पोलियो से जुड़ी कुछ जरूरी बातें जान लेते हैं।

फोर्टिस हॉस्पिटल (ग्रेटर नोएडा) की पीडियाट्रिक कंसल्टेंट डॉ. मेघना पांचाल के मुताबिक पोलियो एक वायरल इंफेक्शन है, जो पोलियोवायरस की वजह से होता है। इस बीमारी की वजह से मसल्स में वीकनेस आ जाती है और पैरासिस की कंडीशन पैदा होने लगती है। नीचे से ऊपर की तरफ इसके लक्षण नजर आते हैं। इस वायरस की चपेट में आने पर बच्चे उठ नहीं पाते, सही से खड़े नहीं पाते और चल नहीं पाते। हालांकि भारत पोलियोमुक्त हो चुका है और साल 2011 में पोलियो का आखिरी कंफर्म केस पश्चिम बंगाल में रिपोर्ट किया गया था। हालांकि अब भी बच्चों में इस तरह का कोई इंफेक्शन देखने को मिलता है, तो उनकी पोलियो स्क्रीनिंग कराई जाती है।

क्या वयस्कों को हो सकता है पोलियो?

डॉ. मेघना पांचाल कहती हैं कि पोलियो का सबसे ज्यादा खतरा 5 साल की उम्र से छोटे बच्चों को होता है। हालांकि वयस्क भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। जिन जगहों पर सैनिटेशन की कमी होती है, वहां रहने वाले लोगों को इसका खतरा होता है। प्रेग्नेंट महिलाओं को भी इसका खतरा होता है, क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं की इम्यूनिटी कम्प्रोमाइज होती है। कई बार प्रेग्नेंट महिलाओं से गर्भ में पलने वाले बच्चों को यह बीमारी हो सकती है। पोलियो का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। कंटामिनेटेड चीजों के संपर्क में आने पर भी इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं। गंदे पानी से भी पोलियो का वायरस फैल सकता है।  इससे बचने के लिए साफ-सफाई रखना बहुत जरूरी है।

कैसे करें पोलियो की बीमारी से बचाव?

डॉ. मेघना पांचाल के अनुसार पोलियो से वैक्सीनेशन के जरिए बचाव किया जा सकता है। आजकल बच्चों को जन्म के बाद से पोलियो वैक्सीन लगाते हैं और पोलियो की दवा पिलाते हैं। भले ही भारत पोलियो मुक्त हो चुका है, लेकिन हमारे वातावरण में अब भी वाइल्ड पोलियो वायरस हो सकता है और इससे बचाव करना बेहद जरूरी है।  बच्चों को पोलियो की वैक्सीन लगवानी चाहिए, ताकि इस वायरस से बचाव किया जा सके। इसके अलावा अगर बच्चे की मसल्स या शरीर में कहीं भी वीकनेस या अन्य कोई लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर जांच कराएं। अगर सही वक्त पर पोलियो का इलाज किया जाए, तो उसे रोका जा सकता है और सही समय पर इलाज से जिंदगीभर पैरालिसिस की नौबत नहीं आएगी। हालांकि पोलियो को लेकर लापरवाही करने से मौत भी हो सकती है।

इनपुट सोर्स : डॉ. मेघना पांचाल, पीडियाट्रिक कंसल्टेंट, फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा।