अग्निपथ...
अग्निपथ पथ पर बढ़े चलो बढ़े चलो
योद्धा हो तो अग्निपथ पर बढ़े चलो
रुको नहीं डिगो नहीं नया सफर है
रास्ता अंजान हो , सामने पहाड हो जोर की बयार हो , नदियां में उफान हो
राह सून सान हो , चले चलो बढ़े चलो अग्निपथ इम्तहान है, सोच ता जहां है
रेल को रोको नहीं , आग में झोंको नहीं
आती है गंतव्य तक पहुंचाने के काम तुम तों बनोगे एक दिन अग्नि वीर
उठाओगे दुषमन के लिए शमशीर जो हो तुम्हारी भुजाओं में बल नहीं होंगे
कभी असफल ऊंचा हो तुम्हारा आत्म बल अग्निपथ पर बढ़े चलो बढ़े चलो।
इनपुट सोर्स : अर्विना गहलोत, मेम्बर फोकस साहित्य ग्रुप।