Valentine's Day Special: इज़हार-ए-इश्क

सारी पब्लिक जानना चाहती है कि आखिर इसमें है क्या... तो प्लीज, आप इसे खोलिये और हमें भी बताइये कि इसमें आपके लिए क्या संदेशा है" अचम्भित सी श्रेया बीच में खड़ी रह गई। लिफाफे के अन्दर एक सुंदर कार्ड था, सबके कहने पर उसे पढ़ने लगी...

Valentine's Day Special: इज़हार-ए-इश्क

फीचर्स डेस्क। किशोरावस्था का पहला क्रश  कभी नहीं भूलता है। उम्र के किसी भी पड़ाव पर पहुंच जाओ वो चेहरा हमेशा यादों में बसा रहता है जिसने पहली बार आकर्षित किया हो। शिवम मसूरी के वुडस्टाॅक स्कूल में ग्यारवीं क्लास में पढ़ता था। उसी वर्ष वहाँ श्रेया ने भी उसी क्लास में एडमीशन लिया था। सोलह साल की उम्र और पहाड़ी रूप सौन्दर्य, किसी को भी मोहित करने के लिए काफी था। उसके गोरे से मुखड़े पर काली कजरारी आँखे, लम्बे घुंघराले बाल और  सुर्ख गुलाबी गाल ने स्कूल में अचानक से रोमियों की गिनती बढ़ा दी थी। कुछ आशिकों ने अपने दिल देने में इतनी जल्दी दिखाई कि स्कूल से नाम कटते कटते बचे। यही सब देख, शिवम चाहकर भी कभी खुलकर बात करने की हिम्मत भी न जुटा सका। इन्टर की पढ़ाई पूरी कर सब बच्चे इधर उधर अपनी आगे की पढ़ाई करने चले गये।
शिवम भी आइ आइ टी, दिल्ली से इन्जीनियरिंग करके बैंगलौर में जाॅब करने लगा। एम एन सी की टाॅप क्लास कम्पनी में एक से एक हाई-फाई  लड़कियाँ उससे दोस्ती करना चाहती थीं, मगर हर किसी में वह श्रेया को ढूंढता रहता था इसलिए कभी किसी से दोस्ती से आगे बात नहीं बढ़ पायी। 

एक दिन कुछ मैनेजमेंट ट्रेनीज कम्पनी में आये। उनमें श्रेया भी थी। शिवम उसे देखते ही पहचान गया । उसे देखते ही उसका  मन खुशी से झूम उठा कि अब तो वह अपने मन की बात अवश्य ही कह देगा। पर श्रेया उसे नहीं पहचान पाई क्योंकि सोलह सत्रह साल के लड़के और पच्चीस बरस के युवक के ढीलढौल में काफी अन्तर आ जाता है। लम्बी, ऊँची और बलिष्ठ कदकाठी पर घनी काली ट्रिम्ड दाढ़ी ने उसके व्यक्तित्व को एकदम बदल दिया था। उसपर धीर गम्भीर स्वभाव और ठहराव भरी वाणी... श्रेया उसके इस आकर्षक व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना न रह सकी। अगले दिन ही फारमल इन्ट्रोडक्शन के दौरान जब श्रेया को पता चला कि  शिवम भी उसी स्कूल का पास आऊट है तो वह बहुत खुश हुई कि चलो इस अनजान शहर में कोई तो जानने वाला मिला। 
जल्द ही स्कूल की बातें करते करते, दोनों काफी घुल-मिल गये। वे , काफी समय एकसाथ बिताने लगे । कुछ ही दिनों में दोनों की दोस्ती आगे बढ़ी और  प्रेम की प्यारी सी डोर से दोनों बँधते चले गए। 

एक दिन आफिस में एक इवनिंग गेट टुगैदर में सभी लोग अपने बेस्ट आउटफिट में आये थे आखिर सभी किसी न किसी को इम्प्रेस करना चाहते थे। ब्लैक इवनिंग गाउन पर पोल्की के लम्बे झिलमिलाते इअरिंग्स ने श्रेया की खूबसूरती में चार चांद लगा दिये थे। पार्टी में सब की आँखे उसी पर अटक कर रह गईं। तभी एक वेटर उसे एक बड़ा सुन्दर सा लिफाफा पकड़ा गया। अचानक उसपर स्पाट लाइट केन्द्रित हो गई और माइक से आवाज आने लगी," मैडम श्रेया, आपके लिए यह एक सरप्राइज  है जो आपके किसी खास ने आपके लिए भेजा है। सारी पब्लिक जानना चाहती है कि आखिर इसमें है क्या... तो प्लीज, आप इसे खोलिये और हमें भी बताइये कि इसमें आपके लिए क्या संदेशा है"  अचम्भित सी श्रेया बीच में खड़ी रह गई। लिफाफे के अन्दर  एक सुंदर कार्ड था, सबके कहने पर उसे पढ़ने लगी...  हर वाक्य पर सब लोग  जोर जोर से ताली बजा कर अपनी प्रतिक्रिया देते... 
" अगर मैं जीवन की हर राह पर तुम्हारे साथ चलूँ
   अगर मैं तुम्हारे घर-परिवार को अपना समझूँ,
   अगर मैं अपनी आखिरी साँस तक तुम्हारा साथ दूँ,
   अगर मैं तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी करूँ,
   अगर मैं तुम्हारी हर सलाह का मान रखूँ,
   अगर मैं तुम्हारे मान-सम्मान का पूरा ध्यान रखूँ,
और अगर मैं सिर्फ तुम्हें ही अपने दिल में आसीन करूँ..
तो क्या.... "

तो क्या .... के बाद  हाल में सन्नाटा छा गया। श्रेया भी चारों तरफ नजर घुमाकर देखने लगी कि तभी शिवम माइक लेकर उसके पास आया और उसकी सपनीली ऑंखों में झाँकता हुआ बोला ," तो क्या .... " वह नीचे झुकने ही वाला था कि श्रेया ने उसे बीच में ही थाम कर खड़ा कर दिया और बोली, " तो मैं.... तो मैं, तुम्हें कभी किसी के आगे झुकने नहीं दूँगी...ये वादा रहा, मैं.... " वो कुछ और कहती कि शिवम ने अपनी अंगुली उसके होठों पर रख उसे चुप करा दिया। अब उनकी खामोश आँखे ही एक दूसरे की मूक भाषा को पढ़ रहीं थीं और सारा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा....

इनपुट सोर्स: सुनीता रमन (लखनऊ)