G-20 की थीम पर काशी की महिमा गुप्ता ने पूरे घर को भारत की संस्कृति के रूप में सजाया, पढ़ें पूरी कहानी  

G-20 की थीम पर काशी की महिमा गुप्ता ने पूरे घर को भारत की संस्कृति के रूप में सजाया, पढ़ें पूरी कहानी  
G-20 की थीम पर काशी की महिमा गुप्ता ने पूरे घर को भारत की संस्कृति के रूप में सजाया, पढ़ें पूरी कहानी  
G-20 की थीम पर काशी की महिमा गुप्ता ने पूरे घर को भारत की संस्कृति के रूप में सजाया, पढ़ें पूरी कहानी  
G-20 की थीम पर काशी की महिमा गुप्ता ने पूरे घर को भारत की संस्कृति के रूप में सजाया, पढ़ें पूरी कहानी  

फीचर्स डेस्क। इनदिनों काशी समेत पूरे देश में G-20 की महत्सव मनाया जा रहा है। पूरे देश से सैलानी समेत सभी देश के कई लीडर आ रहे हैं हमारे काशी को देखने के लिए। ऐसे में काशी में स्वागत के लिए काशी को सजाया गया है। भारत की संस्कृति को दर्शाने के लिए आपको जगह-जगह दीवारों पर पेंटिंग बनाया गया है। शहर के चौराहे तो बहुत अच्छे से सावरा गया है। ऐसे में आज एक ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे है जिन्होने अपने पूरे घर को ही जी-20 की थीम पर सजा रखा है। भारत की संस्कृति को दर्शाने के लिए अपने घर के सभी कमरों की दीवारों पर भगवान राम समेत कई देवी देवताओं का चित्र उकेर रखा है। जी, हम बात कर रहें हैं मूलरूप से बिहार की रहने वाली और वर्तमान में काशी (वाराणसी) में निवासरत महिमा गुप्ता की।

पीएम मोदी को कहा शुक्रिया

महिमा ने कहा कि मै अपने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यबाद देना चाहती हूं कि लंका जैसी नगरी में श्रीराम नाम का डंका बजवा दिया यह सिर्फ मोदी जी ही कर सकते थे। दरअसल, मोदी जी सिर्फ एक नेता ही नहीं है बल्कि दुनिया के सबसे बड़े अभिनेता भी है। बता दें कि कोराना काल के पहले सभी लोग ज्यादा व्यस्त थे कोई भी ईश्वर का नाम नही लेता था मानों सबके अंदर कलयुग समाया है। अब तो लग रहा मानों पूरी पृथ्वी धर्मयुग में समा गयी हो। हर जगह राम का नाम हर लोग में आस्था का भाव देखने को मिलता है।

महिमा का पूरा परिवार श्रीराम का भक्त

महिमा बताती हैं कि मेरा बिहार, झारखंड, यूपी तीनों राज्य से गहरा नाता है। दरअसल, मेरा जन्म बिहार में परवरिश शिक्षा-दीक्षा झारखंड में और शादी यूपी में हुई है। इसलिए तीनों राज्यों से गहरा नाता है। मेरी दादी धार्मिक विचारधारा की है। वह पूजा-पाठ में ज्यादा रहती है। मेरी बुआ मानों कौशल्या जी हो पूरे दिन राम राम करती है। किसी का काम नहीं होता है तो कहती है मेरा राम जी से कह दो विश्वास रखो सारा काम हल जो जाएगा। पूरी परिवार शुद्ध शाकाहारी है आधी परिवार तो प्याज लहसून भी नही खाती मुझे धर्म की शिक्षा विरासत में मिली है। धर्म के काम करो, झूठ मत बोलो बड़े बूढो का आदर करो।

पढ़ने-पढ़ने का महिमा को शौक बचपन से

महिमा कहती हैं कि मैं 12 वर्ष की उम्र से ही बच्चों को शिक्षा देती आ रहीं हॅूं। टयूशन के अलावा मैं स्कूल में भी पढाती थी। अपने बच्चे नही बल्कि अपने देश के बच्चे को आईएस-पीसीएस बनाना चाहती हूँ।

पुलिस में भर्ती होकर देश सेवा करना चाहती थी महिमा

आपको बता दें कि महिमा पुलिस में भर्ती होकर देश सेवा करना चाहती थी। इस सपने को पूरा करने के लिए महिमा ने बहुत मेहनत किया। साल 2008 में धुर्वा बटालियन में महिला सब इंस्पेक्टर का दौड़ निकाली परंतु महिमा के दादा जी को पसंद नहीं था कि एक बड़े बजमींदार की पोती पुलिस बनें। बस यही महिमा ने अपने देश सेवा का प्रयास को ब्रेक दिया लेकिन दूसरे बच्चों को देश सेवा का अवसर मिले इसके लिए जी जान लगा दी और अनगिनत बच्चों के सपने को पूरा करने के लिए अपने को संपर्पित कर दिया।

कैसे शुरू हुआ श्रीराम का पूजा

महिमा के अनुसार इनकी शादी साल 2009 में हुई। लेकिन महिमा ने अपनी पढ़ाई नहीं रोकी 2 बेटियों के जन्म के बाद भी जारी रखा। इतना ही नहीं बल्कि हर जरूरतमंद छात्र की मदद रहती हैं। सभी को जीवन में आगे बढऩे की प्रेरणा देती रहती हैं। महिमा कहती हैं कि मेरी सोच है किसी पौधे की शाखाएं फैलेगी तो एक अच्छा वृक्ष तैयार हो जाएगा। फॉबेल शिक्षाशास्त्री के अनुसार शिक्षक एक माली है और बच्चे पौधे के समान होते हैं। जैसे सीचोगे वैसे बच्चे तैयार होंगे। इस तर्ज पर महिमा ने काम किया। महिमा और इनके पति को जीव-जन्तु पेड़ -पौधे से काफी प्रेम है। दोनों की सोच काफी मिलती जुलती है। पहले महिमा श्रीराम की पूजा नहीं करती थी केवल हनुमान जी की पूजा करती थी बार-बार ये कहती थी अपनी पत्नी सीता को इतना प्रेम करते थे तो क्यों छोड़ दिया। बार-बार ये सवाल इनके मन में उठते थे। यहाँ तक कि मंदिर बहुत कम जाती थीं। महिमा कहती हैं कि अच्छी श्रदा है तो घर में ही भगवान है।

 समाजसेवा के लिए जानी जाती हैं महिमा

महिमा को काशी में एक समाजसेविका के रूप में भी जाना जाता है। खासकर पशु-पक्षी को भूखा-प्यासा या बीमार नहीं देख सकती हैं। महिमा कहती हैं किसी भी पशु को बीमार देखती हूँ तो उसका इलाज और देखभाल के लिए नगर निगम से संपर्क कर के करती हूँ। महिमा कहती हैं कि मै बहुत दुखी हो जाती हूँ जब शहर के कई जगह पशु सडक़ पर मरे पड़े रहते हैं लेकिन इनको टाइम से कोई हटवाता नहीं है। ऐसे में कई बार मैंने खुद पहल किया और इनको हटवाया। क्योंकि गंदगी से बच्चों में बीमारी फैलेगी। एक बार कि बात बताते हुए महिमा कहती हैं कि 11 हजार बोल्ट का तार 12 बजे रात्रि में गिर गया था। कोई कुछ नहीं कर रहा था, तब मैंने बिजली ऑफिस फोन करके लाइट कटवाये कितने लोगों की जान बच गई। नहीं तो कई घरों का दीपक बुझ गया होता।

सादा जीवन उच्च विचार रखती हैं महिमा

महिमा कहती हैं कि मैने कई लोगों को कहते हुए सुना है पैसे आ जाएगे तो अच्छे-अच्छे ब्रांड के कपड़े पहनेगें। लेकिन वहीं महिमा ऐसा कोई विचार नहीं रखती हैं। महिमा कहती हैं मै पहले जैसे थी वैसे ही रहूंगी प्रभु इतना दीजिए मेरे परिवार का भी पेट भर जाए और दूसरे की भी मदद कर सकू।

कोरोना काल में किया लोगों की मदद

कोरोना काल में जब कोई अपने घर से नहीं निकलता था। कोई एक दूसरे से नहीं मिलना चाहता था तब महिमा ने बहदुरी दिखाई और पूरे कोरोना काल में हर मंदिर,  हर चौराहे कई थानों पर देश की सेवा कर रहे पुलिस वालों को खुद से भोजन बनाकर बटवाया। महिमा तारीफ की कोई लालच नहीं रखती हैं। बस अपने कर्तव्य, अपने देश के प्रति  सच्ची मानवता धर्म निभाना चाहती हैं।

लोन लेकर शुरू किया कोचिंग लेकिन गरीब बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाया

एक तरफ आज जहां शहर के तमाम कोचिंग सेंटर शिक्षा को व्यपार बना लिए हैं और भारी-भरकम फीस लेकर पढ़ा रहें हैं। वहीं महिमा ने लोन लेकर शुरू किया कोचिंग लेकिन तारीफ इस बात का कर सकते हैं आप की गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का ठान लिया और किया भी। और जब यही बच्चे अच्छा रिजल्ट लेकर आए तो महिमा ने कहा यही हमारी फीस है। इनसब के पीछे काफी नुकसान भी हुआ आर्थिक रूप से और समय का भी, फिर गज़ब के जज़्बात के आगे सब कुछ ठीक है ऐसा महिमा सोचती हैं।

कोरोना काल में घर से प्रसाद बना कर ले जाती थीं मंदिर

महिमा कहती हैं कि कोरोना काल में पूरे मंदिर कपाट बंद थे तो पूरे देवताओं का प्रसाद आपके घर से बनेगा ऐसा पुजारी ने कहा। उन्होने कहा कि कलयुक और धर्मयुग के बीच झगड़े चल रहे है। इस कारण हम लेागों ने आपका घर चुना है। ऐसे में प्रतिदिन महिमा के पति तीन पहर का आरती भोग पूजा पाठ नियमित समय पर करते थे। मेरा घर दो कमरे का सेडयुक्त मकान था फिर भी मै दुनिया की सबसे भाग्यशाली हूं। और जब मंदिर का कपाट खुला तो सब लोग अपने अपने स्थान पर पहुंच गए। राम जी ब्रहामांड है उनके शरीर अंगों के नाम के अक्षर से एक एक देश का निर्माण हुआ है। इसलिए “वसुघैव कुटुम्बकम” सनातन धर्म का मूल संस्कार है। इसका अर्थ है धरती एक परिवार है सभी देश श्रीरामचद्र जी का अंग है। वे ऐसे महापुरूष है जिन्होंने प्रजा के हित के लिए अपनी प्रिय सीता का त्याग कर दिया था। वसुधा अर्थात धरती धरती हम सब की मां है। ये अपने बच्चों में कभी बैर नही दिखाती है। जिस प्रकार अपने बताया श्रीराम के शरीर के अंगों से सारे देशों के नाम आ अक्षर मिलता है। इसी के नाम से सबका नामकरण हुआ है। जब यूक्रेन और रूस का युद्ध हो रहा था तो मुझे काफी कष्ट हुआ। धरती में सभी को अनाज बराबर देती है। सबको बराबर भोजन करने का अधिकार है फिर उसी धरती के सीने पर युद्ध क्यों हो रहा है। मै और मेरी दादी सुबह उठते है तो सीधे धरती पर पैर नहीं रखते बल्कि हाथ से धरती को छूकर प्रणाम करते हैं। जब सेना का जवान शहीद होता है तो इसी क्षण को हसूस कीजिए। जब सुबह आपके पापा आफिस जाते हैं और शाम को धरर उनकी लाश आती हो। उसी प्रकार उस सैनिक की मां पत्नी बच्चा पूरा परिवार उसके घर आने की राह देखता है।

किसी भी देश के राष्टपति प्रधानमंत्री  को युद्ध का आदेश नहीं देना चाहिए बल्कि शांति का पैगाम देना चाहिए हमारे महाभारत पांडव के लिए श्रीराम से पांच गांव कौरवों से मांगा थ परंतु महाभारत हुआ सारी सत्ता धरी की धरी रह गई और भाई भाई घर के एक बच्चे भी नहीं बचे इसलिए युद्ध किसी का हल नहीं बल्कि शांति हर दर्द की दवा है। दिया था परन्तु अपनी प्रिय पत्नी सीता को इतना प्रेम करते थे कि दूरी शादी तक नही की थी। उनका मुख्य उदेश्य पूरे विश्व में शांति का संदेश देना था। सभी जीव-जंतु आपस में भोजन के लिए लड़ते हैं क्योंकि उनके पास ज्ञान नही है। परंतु हम सब इंसान शिक्षित है, ज्ञानी है लोग कहते है, ये मेरा है ये उसका है लेकिन वास्तव में ये शरीर भी मेरा नही है। इस अहम को त्याग देंगे तो शांतिपूर्वक जीवन यापन करेंगे। और श्रीराम जी के पद चिन्हों पर चलकर अपना नाम रोशन करेंगे और जीवन के रहस्यों को समझ पायेंगे। भारत आने वाले सभी 19 देशों के अतिथियों को अतिथि सेवा हमारी पुरानी परम्परा के अनुसार पीतल के लोटे में जल भरकर पीतल के थाल में पैर धोकर सफेद गमछे से सबके पैर पोछे फिर केले के पत्ते में दाल भरी पूड़ी, पांच प्रकार की सब्जी, चना का दाल चावल, दही बड़ा, तिलौरी, पापड़ और अचार के साथ परोसे फिर खाने के बाद लस्सी सर्व करें। फिर रामायण का रामलीला दिखाएं ये है हमारी देश की संस्कृति हमारे देश का परिधान लोगों का रहन-सहन बताये। मैने अपने घर को ही सीता-राम दरबार बना दिया है।  सीता रसोई, मोक्ष द्वार, बाल गृह, स्नानागार, ईश्वर विश्राम गृह हर मंत्र के साथ भगवान की फोटो लगाई है। जिससे देखकर हर किसी को यह महसूस हो जाए कि इस घर में कितनी शांति है। लोग शांति के लिए मंदिर जाते हैं। लेकिन मेरे घर में आने के बाद सबको शंाति दिखाई है और अच्छा अनुभव होता है। और नई पीढ़ी के बच्चे को हमारी संस्कृति का पता चलता है। मेरी एक कोशिश है अपनी संस्कृति की ओर लौट जाओ दूसरे के पीछे भागों नहीं अपने पीछे सबको भगाओ मेरा यही उदेश्य है। सीताराम विवाह के दिन सम्पूर्ण विश्व कल्याण के लिए श्रीराम कथा का आयोजन पंच ब्राह्मणो को बुलाकर घर के सामने करवाया था कि सीता जी को सम्मान मिल सके। और कोरोना काल में जो लोग मर चुके है उनकी आत्मा को शांति के लिए। गाँव की बुजुर्ग महिलाएं ग्रामवासियों को ग्राम प्रधान की तरफ सीताराम दरबार बनवा कर सभी लोगों में वितरित किया। ताकि सीताजी को उनके विवाह के दिन रामजी के साथ में सभी दुनिया वाले स्वीकार करे इसके लिए हमने एक कोशिश की थी। राम जी की कृपा से हमारे घर का हर काम अच्छा हो रहा है। आजतक किसी को अकाल मृतु हमारे घर में नहीं हुई। मिट्टी का तन है मिट्टी में मिल जाएगा।  

वाराणसी कि रहने वाली महिमा कहती है मेरी ये बातें देश के पीएम तक पहुंचे तो मुझे बहुत खुशी होगी।