“शक्ति स्वरूपा” : स्लम क्षेत्र की महिलाओ और छात्राओं को महावारी के विषय में जागरुक कर रहीं हैं ईशू

हम स्लम क्षेत्र की महिलाओ और स्कूली छात्राओं को महावारी के विषय में जागरुक करते हैं। महावारी क्यों होती है, कैसे अपनी स्वच्छता और देखभाल करनी है, किन  चीजों का उपयोग करना है कैसे उपयोग करना है यह बात इनको आसान नहीं था...

“शक्ति स्वरूपा” : स्लम क्षेत्र की महिलाओ और छात्राओं को महावारी के विषय में जागरुक कर रहीं हैं ईशू

फीचर्स डेस्क। चैत्र नवरात्रि का आज आठवाँ दिन दिन है। ऐसे में हर साल की तरह इस साल भी focus24news ने देश के उन “शक्ति स्वरूपा” की कहानी लेकर आया है जो आज समाज में लड़कियों और महिलाओं के लिए अपना समय निकाल कर उनको आत्मनिर्भर, हुनरमंद और उनके स्वास्थ्य के लिए काम कर रहीं हैं। तो आइए जानते हैं आज कि हमारी “शक्ति स्वरूपा” स्पेशल सीरीज में लखनऊ की ईशू अवस्थी हैं जो पेशे से डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। ईशू बताती हैं कि पीरियड या माहवारी एक सामान्य प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है जिसमें  यूटेरस के अंदर से रक्त और ऊतक, वजाइना के द्वारा बाहर निकल जाते हैं। यह आमतौर पर महीने में एक बार होता है। लड़कियों के शरीर में पीरियड की शुरुआत होने का मतलब है कि उनका शरीर अपने आप को संभावित गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) के लिए तैयार करता है। एस्ट्रोजन, और प्रोजेस्ट्रोन जैसे हॉर्मोन अंडाशय (ओवरी) से निकलते हैं। ये वो फ़ीमेल सेक्स हॉर्मोन हैं जो यूटेरिन लाइनिंग या एंडोमेट्रियम का बनना शुरू कराते हैं जोकि एक फर्टिलाइज़्ड एग को पोषित करते हैं। यह बात आसान शब्दों में पिछले 4 साल से स्लम क्षेत्र की महिलाओ और स्कूली छात्राओं को समझाने का काम कर रहीं हैं लखनऊ की ईशू अवस्थी इसके लिए इन्होने दिल्ली की एक संस्था Pinkishe फाउंडेशन ज्वाइन की हुई हैं। ईशू अवस्थी कहती हैं कि मैं लखनऊ ब्रांच में काम कर रही हूं। जहां हम स्लम क्षेत्र की महिलाओ और स्कूली छात्राओं को महावारी के विषय में जागरुक करते हैं। महावारी क्यों होती है, कैसे अपनी स्वच्छता और देखभाल करनी है, किन  चीजों का उपयोग करना है कैसे उपयोग करना है यह बात इनको आसान नहीं था पहले समझाना लेकिन धीरे-धीरे जब इनके बीच आना-जाना हुआ तो कुछ दिन बाद यही लोग खुलने के बाद मेरी बात में रुचि लेने लगीं और पूरी बात ध्यान से सुनने लगीं।

साप्ताहिक अवकाश में समाज सेवा करती हैं ईशू  

ईशू अवस्थी बताती हैं कि सप्ताह में एक दिन अवकाश होता है तो मैं इनलोगों के बीच जाकर इनकी हेल्थ की बात करती हूँ। इस दिन काफी संख्या में महिलाए और बच्चियां मेरे साथ होती हैं। दरअसल, मैं चाहती हूं कि Periods से जुड़ी सही जानकारी हर महिला और लड़की तक पहुंचे जिससे की हम पीरियड से जुड़ी गलत धारणाओं और भ्रांतियों को दूर कर पाए। हमारी कोशिश है कि लडको को भी इस विषय में जानकारी दे ताकि वो भी ये समझे की महावारी एक सामान्य प्रक्रिया है।

इन वर्षो में क्या रहा अनुभव

  1. उन्हें पीरियड्स के बारे में खुलकर बात करना इन महिलाओं के लिय बहुत मुश्किल होता है, वे बहुत शर्मीली होती हैं और पीरियड्स को लेकर बहुत सचेत रहती हैं।
  2. उनमें पीरियड्स से जुड़े कई मिथ हैं और उनमें से ज्यादातर को पीरियड्स से जुड़ी स्वस्थ आदतों और साफ-सफाई के बारे में जानकारी नहीं होती है।
  3. उनमें से कुछ बाहर हि नहीं आती हैं, कई बार संघर्ष करने के बाद अंत में उनको बाहर लाने में सफल होते हैं और सत्र में भाग लेने के लिये कहते  हैं।
  4. अधिकांश महिलाएं और लड़कियां पीरियड्स से संबंधित अपने स्वास्थ्य के मुद्दों को साझा नहीं करती हैं, जिसके लिए हम अपने अनुभव को उनके साथ जोड़ते हैं,जिससे अंत में हम लोगों को पूरी जानकारी प्राप्त हो पाती है।