“शक्ति स्वरूपा” : लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अर्चना शर्मा ने शुरू किया टेक्सटाइल का बिजनेस

आज कि हमारी “शक्ति स्वरूपा” स्पेशल सीरीज में अर्चना शर्मा के बारें में जो लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने की प्रयासरत हैं....

“शक्ति स्वरूपा” : लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अर्चना शर्मा ने शुरू किया टेक्सटाइल का बिजनेस

फीचर्स डेस्क। चैत्र नवरात्रि स्टार्ट हो चुकी है। ऐसे में हर साल की तरह इस साल भी focus24news ने देश के उन “शक्ति स्वरूपा” की कहानी लेकर आया है जो आज समाज में लड़कियों और महिलाओं के लिए अपना समय निकाल कर उनको आत्मनिर्भर और उनके स्वास्थ्य के लिए काम कर रहीं हैं। तो आइए जानते हैं आज कि हमारी “शक्ति स्वरूपा” स्पेशल सीरीज में अर्चना शर्मा के बारें में जो लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने की प्रयासरत हैं।

आज की हमारी इस स्पेशल सीरीज में हैं अर्चना शर्मा। बता दें कि अर्चना खुद सशक्त हैं और नारी को सशक्त बनाने के लिए हर संभव अवसर भी देती हैं। इनके बारें में बता दें कि आर टैक्स होम फैशन की निदेशक हैं। अर्चना पति के साथ मिलकर निर्यात कारोबार तो बढ़ाया ही, कंपनी में लड़कियों को अवसर देने की भी ठानी। यही वजह है कि इस समय कंपनी में चालीस से अधिक लड़किया हैं। कोई पैकिंग में है तो कोई एचआर में। नारी सशक्तीकरण की मिसाल बनीं अर्चना शर्मा समाजसेवा में भी पीछे नहीं।

जेल में महिला बंदियों को दिया रोजगार

एक हिन्दी वेबसाइट से बातचीत में अर्चना ने बताया था कि वह रोटरी रोयल क्लब की प्रधान रही हैं। कोरोना के वक्त उनकी टीम ने संक्रमितों के घर खाना पहुंचाया और मास्क बांटे। यही नहीं, जेल में बंदियों को रोजगार दिया। उन तक कपड़ा पहुंचाया। बंदियों ने ये मास्क बनाए। यही मास्क आमजन में वितरित किए गए। बंदियों को भी इससे काम मिला। इसके साथ ही शहरभर में जागरूकता भरे होर्डिंग लगवाए गए। सेक्टरों और बाहरी क्षेत्र में पौधरोपण अभियान चलाया गया।

क्या कहते हैं पति विनीत

अर्चना के पति विनीत शर्मा कहते हैं, वह पहले नौकरी करते थे। अपना कारोबार के लिए सोचते थे लेकिन फिर टाल जाते। अर्चना की वजह से उन्होंने अपना कारोबार शुरू किया। अर्चना ने एमबीए की है। बच्चे जब छोटे थे, तब भी अर्चना उनका सहयोग करने के लिए कंपनी आती थी। अब तो कंपनी को पूरी तरह से संभाल लिया है। अगर अर्चना का साथ नहीं होता तो अपना कारोबार नहीं कर सकते थे।

टेलर की बेटी को बनाया मैनेजर

अर्चना के अनुसार लड़कियों को अवसर दिया जाना चाहिए। उनके यहां एक महिला टेलर थी। वह महिला उनके पास आई और बताया कि उनकी बेटी पढ़ी-लिखी है। काम कर सकती है। तब उन्होंने शुरू में उसे दस्तावेज संभालने का काम दिया। धीरे-धीरे वो एचआर मैनेजर बन गई। लड़कियां बेहतर काम कर सकती हैं। इस वजह से वह उन्हें ज्यादा अवसर देती हैं।

टेक्सटाइल निर्यात में लड़कियों के पास संभावनाएं

अर्चना का कहना है कि टेक्सटाइल निर्यात कारोबार में लड़कियों के पास आगे बढऩे की बेहद संभावनाएं हैं। एकाउंटंस सेक्शन में जा सकती हैं। मर्चेंट बन सकती हैं। टेक्सटाइल डिजाइन सीखकर पूरा कारोबार संभाल सकती हैं। नोएडा में तो ज्यादातर कार्यालयों में लड़कियां ही लीड करती हैं। यहां तक की जो बाइंग हाउस यानी विदेशी खरीदार हैं, उनकी कंपनियों में लड़कियां ही पानीपत के निर्यातकों से डील करती हैं। लड़कियों को कपड़ा, डिजाइन, रंगों की ज्यादा समझ होती है।