Pryagraj Magh Mela 2023: कौन होती हैं महिला नागा साधु, क्यो दिया जाता है “नागिन” नाम ?

महिला नागा साधु को अपना पिंडदान करना होता है पिछली जिंदगी को भूलना होता है. इसके बाद मुंडन और फिर स्नान कर साधारण महिला से नागा साधु बनने की प्रक्रिया शुरू होती है...

Pryagraj Magh Mela 2023: कौन होती हैं महिला नागा साधु, क्यो दिया जाता है “नागिन” नाम ?

प्रयागराज मेला। यूपी के संगम तट पर पूरे एक महीने तक चलने वाले माघ मेले में देश-विदेश से कई लाख लोग आते हैं तो वही एक महीने तक कल्पवास करने के लिए आम जनमानस से लेकर साधू संत भी आते हैं। ऐसे में इस साल भी बड़ी संख्या में कल्पवासी आए हैं। माघ मेले में भ्रमण के दौरान कुछ नागा साधू भी दिखें, लेकिन जो एक अलग एहसास हुआ वह महिला नागा साधु देख कर हुआ। दरअसल, नागा साधु ज्यादा किसी से बात नहीं करते और इनकी दुनिया काफी रहस्यमय होती है। एक नागा साधु से बात करने पर पता चला की हर साल यहाँ महिला नागा साधु भी बड़ी संख्या में  आती हैं। आपको बता दें कि जिस तरह से पुरुष नागा साधुओं के बारे में ज्यादा जानकारी किसी के पास नहीं है वैसे ही महिला नागा साधुओं के बारे में भी ज्यादा जानकारी लोगों के पास नहीं है। तो आइये जानते हैं, कैसे बनती हैं महिला नागा साधु? कौन होती हैं महिला नागा साधु?  इनका जीवन कैसे होता है?

कठिन तपस्या से गुजरना होता है

दरअसल, महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया आसान नहीं होती है एक कठिन तपस्या से गुजरना होता है। अपने आपको ईश्वर के प्रति पूरी तरह समर्पित करना होता है। महिला नागा साधु बनने से पहले 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। अगर कोई महिला ऐसा कर पाती हैं तब उनके गुरु उनको नागा साधु बनने की अनुमति देते हैं। साथ ही इनकी पिछली जिंदगी के बारे में पता किया जाता है। यह पता किया जाता है कि महिला भगवान के प्रति कितनी समर्पित है। महिला नागा साधु को अपना पिंडदान करना होता है पिछली जिंदगी को भूलना होता है। इसके बाद मुंडन और फिर स्नान कर साधारण महिला से नागा साधु बनने की प्रक्रिया शुरू होती है। साधुओं में वैष्णव, शैव और उदासीन तीनों ही संप्रदायों के अखाड़े नागा बनाते हैं। वहीं महिला नागा साधु एक ही कपड़ा वो भी बिना सिला हुआ पहनती हैं।

इन नामों से बुलाते हैं महिला नागा साधुओं को

महिला नागा साधुओं को नागिन, अवधूतानी कहकर संबोधित किया जाता है. दूसरी साध्वियां उन्हें माता कहकर पुकारती हैं। महिला नागा साधु पूरी तरह शिव को समर्पित रहती हैं। जागने से लेकर रात में सोने के वक्त तक भगवान में ही लीन रहती हैं। 13 अखाड़ों से जूना अखाड़ा साधुओं का सबसे बड़ा अखाड़ा है। जूना अखाड़े में महिलाओं के माई बाड़ा अखाड़े को भी शामिल कर लिया गया था। महिलाओं के इस अखाड़े से अलग अखाड़ों में भी कई महिला साधु हैं जो अलग-अलग अखाड़ों से जुडी हुई हैं और नाग सहित कई अलग-अलग पदवियों से सम्मानित हैं। माई या नागिनों को अखाड़ों के प्रमुख पदों में किसी पद पर नहीं चुना जाता है।