मोर पंख से ऐसे करें सभी ग्रह एवं वास्तु दोष निवारण, पढ़ें क्या कहते हैं वास्तु एक्सपर्ट विनोद
पोराणिक काल में एक मोर के माध्यम से देवताओं ने संध्या नाम के असुर का वध किया था। पक्षी शास्त्र में तो मोर और गरुड़ के पंखों का बहुत ही विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों में बताई गई विधि से मोर पंख को स्थापित किया जाए तो घर के वास्तु दोष दूर होते हैं...
फीचर्स डेस्क। श्रीकृष्ण का श्रृंगार मोर पंख के बिना अधूरा ही लगता है। वे अपने मुकुट में मोर पंख भी विशेष रूप से धारण करते हैं। मोर पंख का संबंध केवल श्रीकृष्ण से नहीं, बल्कि अन्य देवी-देवताओं से भी है। धर्म शास्त्रों के अनुसार मोर के पंखों में सभी देवी-देवताओं और सभी नौ ग्रहों का वास माना जाता है। पोराणिक काल में एक मोर के माध्यम से देवताओं ने संध्या नाम के असुर का वध किया था। पक्षी शास्त्र में तो मोर और गरुड़ के पंखों का बहुत ही विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों में बताई गई विधि से मोर पंख को स्थापित किया जाए तो घर के वास्तु दोष दूर होते हैं और कुंडली के सभी नौ ग्रहों के दोष भी शांत होते हैं। मोर पंख का ये महत्व शिवजी ने पार्वती को बताया था।
प्रचलित कथाओं के अनुसार भगवान शिव माता पार्वती को पक्षी शास्त्र में वर्णित मोर के महत्व के बारे में बताते हैं। प्राचीन काल में संध्या नाम का एक असुर हुआ था। यह बहुत बली,शक्तिशाली और तपस्वी असुर था। असुर गुरु शुकाचार्य के कारण संध्या देवताओं का शत्रु बन गया था। संध्या असुर ने कठोर तप कर शिवजी और ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर लिया था। ब्रह्माजी और शिवजी प्रसन्न हो गए तो असुर ने कई शक्तियां वरदान के रूप में प्राप्त की।
वरदान के कारण संध्या बहुत शक्तिशाली हो गया था। शक्तिशाली संध्या भगवान विष्णु के भक्तों का सताने लगा था। असुर ने स्वर्ग पर भी आधिपत्य कर लिया था, देवताओं को बंदी बना लिया था। जब किसी भी तरह देवता संध्या को जीत नहीं पा रहे थे, तब उन्होंने एक योजना बनाई। योजना के अनुसार सभी देवता और सभी नौ ग्रह अद्रश्य रूप से एक मोर के पंखों में समागम कर गए। अब वह मोर बहुत बलवान और देव शक्तियों से युक्त हो गया था। मोर ने अपना विशाल रूप धारण किया और संध्या असुर का वध कर डाला। तभी से मोर को पूजनीय और पवित्र माना जाने लगा।
उपाय
यदि आप कुंडली में स्थित ग्रहों के बुरे प्रभाव दूर करना चाहते हैं या आपको मंगल शनि या राहु केतु बार-बार परेशान करते हों तो मोर पंख को 21 बार मंत्र सहित पानी के छीटे दीजिए। इसके बाद मोर पंख को घर में किसी श्रेष्ठ स्थान पर स्थापित कीजिए।
अशुभ सूर्य से बचने के लिए उपाय
रविवार के दिन नौ मोर पंख ले कर आएं और पंख के नीचे गहरे लाल रंग का धागा बांध लेँ। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ नौ सुपारियां रख लें। फिर गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ सूर्याय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
और दो नारियल सूर्य भगवान को अर्पित कर गायत्री या देवी मंदिर में एक नारियल दान करें दूसरा अपने घर के पूजा स्थान पर रख दें जल्दी ही शुभ फल प्राप्त होने लगेगें।
अशुभ चंद्रमा से बचने के लिए उपाय
सोमवार के दिन आठ मोर पंख अपने घर ले कर आएं, पंख के नीचे सफेद रंग का धागा बांध लेँ। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ आठ सुपारियां भी रखें लें। फिर गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ सोमाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
और पांच पान के पत्ते चंद्रमा को अर्पित करें। दूध के मिष्ठान का प्रसाद चढ़ाएं।
पान गाय को खिला दे और मिष्ठान बाँट कर स्वमं भी पाये |
अशुभ मंगल से बचने के लिए उपाय
मंगलवार के दिन सात मोर पंख अपने घर ले कर आएं, पंख के नीचे लाल रंग का धागा बांध लेँ। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ सात सुपारियां रखें। अब गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें...
ऊँ भू पुत्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
और दो पीपल के पत्तों पर चावल रख कर मंगल ग्रह को अर्पित करें। और मीठी बूंदी का भोग लगायें। पीपल के पत्ते बकरी को खिला दे और बूंदी का प्रसाद बाँट दे किन्तु स्वमं ना खाएं |
अशुभ बुध से बचने के लिए उपाय
बुधवार दिन छ: मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे हरे रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ छ: सुपारियां रखें। इसके बाद गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ बुधाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
और जामुन बुद्ध ग्रह को अर्पित करें। केले के पत्ते पर रखकर मीठी रोटी का प्रसाद चढ़ाएं। जामुन को किन्नर को किसी बाँझ स्त्री को दे दे और मीठी रोटी को मछलियों को खिला दे |
अशुभ गुरु से बचने के लिए उपाय
गुरुवार दिन पांच मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे पीले रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ पांच सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ ब्रहस्पते नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
ग्यारह केले बृहस्पति देवता को अर्पित करें। बेसन का प्रसाद बना कर चढ़ाएं।
केले गाय को खिला देवे और बेसन का प्रसाद बाँट देवे स्वमं ना खाएं।
अशुभ शुक्र से बचने के लिए उपाय
शुक्रवार को चार मोर पंख अपने घर ले कर आएं। पंख के नीचे गुलाबी चमकीले रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ चार सुपारियां रखें। अब गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ शुक्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
तीन मीठे पान शुक्र देवता को अर्पित करें।गुड़-चने का प्रसाद बना कर चढ़ाएं।
बाद में पान स्वमं खा खाएं और अपने परिवार में बाँट देवे और प्रसाद को परिवार से बहार के व्यक्तियों को बाँट देवे।
अशुभ शनि की दशा महादशा,ढैया,या साडेसाती से मुक्ति के लिये
शनिवार को तीन मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे काले रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ तीन सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें
ऊँ शं शनैश्वराय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
तीन मिटटी के दिये तेल सहित शनि देवता को अर्पित करें। गुलाब जामुन या प्रसाद बना कर चढ़ाएं। गुलाब जामुन किसी दरिद्र को बाँट दे।
अशुभ राहु से बचने के लिए उपाय
शनिवार के दिन सूर्य उदय से पहले दो मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे नीले रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ दो सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें-
ऊँ राहवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
चौमुखा दिया सरसों के तेल का जला कर राहु को अर्पित करें। इमारती का प्रसाद चढ़ाएं।
इमारती को कुत्ते को खिला दे |
अशुभ केतु से बचने के लिए उपाय
शनिवार को सूर्य अस्त होने के बाद एक मोर पंख ले कर आये। पंख के नीचे मटमैले रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंख के साथ एक सुपारी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ केतवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
पानी के दो कलश भर कर राहु को अर्पित करें। और बेर या आचार का भोग लगायें।
कलश के पानी को दुसरे दिन किसी कांटेदार पेड़ में डाल दे और भोग का दान कर दें |
घर का वास्तु ठीक करने का उपाय
घर का द्वार(गेट) यदि वास्तु के विरुद्ध हो तो द्वार(गेट) पर तीन मोर पंख स्थापित करें।
इनपुट सोर्स : ज्योतिषाचार्य एवं हस्तरेखार्विंद, विनोद सोनी पोद्दार , भोपाल सिटी।