बिन मां की बच्ची

धीरे धीरे मां भी अवसाद का शिकार होने लगी । घर में कोई भी सदस्य मां की मानसिक स्थिति नहीं समझता था । रूपा अब बड़ी हो गयी थी । मां बिलकुल शान्त रहती थी.....

बिन मां की बच्ची

फीचर्स डेस्क। रूपा आज बहुत अनाथ समझ रही थी अपने आप को । भरा पूरा परिवार है। दादी,दादा ,चाचा,चाची ,बुआ , उनके बच्चे और उसकी मां जो ना विधवा ना सुहागिन । बचपन से मां को इसी रूप में देखा था । जब सब मां को प्रताड़ित करते थे तब वह डर कर मां के आंचल में दुबक जाती थी । बस एक शान्ती काकी जो घर का काम देखती थी वह मां की एक मात्र साथी थी वह मां को हमेशा समझाती रहती थी । धीरे धीरे मां भी अवसाद का शिकार होने लगी । 
घर में कोई भी सदस्य मां की मानसिक स्थिति नहीं समझता था । रूपा अब बड़ी हो गयी थी । मां बिलकुल शान्त रहती थी । रूपा के साथ भी परिवार के सदस्यों का व्यवहार सही नहीं था । आज वह बहुत परेशान सी शान्ति काकी के पास बैठी थी और पूछ रही थी काकी बताओ ना मेरे पापा कहां हैं ? शान्ति काकी पहले तो शान्त रही पर जब उसने जिद की तब उसने बताया की बेटा तुम्हारे पापा दादी के सौतेले बेटे थे यानि जब तुम्हारे पापा का जन्म हुआ तब ही तुम्हारी दादी खत्म हो गयी । तुम्हारे पापा बहुत छोटे थे इसलिये दादा ने दूसरी शादी कर ली ।

शुरू में तो दादी ने तुम्हारे पापा को प्यार से रखा पर जैसे ही चाचा और बुआ का जन्म हुआ उनका व्यवहार बदल गया । अब सब बच्चे बड़े हो गये थे । दादा ने तुम्हारे पापा की शादी करदी । तुम्हारी मां के साथ भी दादी चाचा बुआ का व्यवहार सही नहीं था । घर में कलह होने लगी तुम्हारे दादा ने तुम्हारे पापा का व्यापार अलग करना चाहा वह तुम्हारी दादी और तुम्हारे चाचा को पसंद नहीं था  । तुम्हारी मां तुम्हारे पापा को बहुत समझाती कहती मुझे कुछ नहीं चाहिये बस घर में शान्ति रहे । तुम्हारे जन्म का समय नजदीक आ रहा था । एक रात तुम्हारे पापा को तुम्हारी दादी और चाचा ने बहुत उल्टा सीधा बोला क्योंकि दादा जी ने व्यापार और जायदाद का आधा हिस्सा तुम्हारे पापा के नाम कर दिया था । जब अधिक वाद विवाद होगया और तुम्हारे चाचा ने उनके तमाचा मार दिया । तुम्हारे पापा बिलकुल चुपचाप आकर लेट गये सुबह जब तुम्हारी मां उठी तो वह कमरे में नहीं थे । बहुत ढूढ़ा पर आजतक पता ना चल पाया । उसी गम में समय से पहले तुम्हारी मां को प्रसव वेदना शुरू हुई और तुम्हारा जन्म होगया ।  दादाजी ने दादी और चाचा के सामने बिलकुल चुप रहते पर उन्होंने अपना निर्णय नहीं बदला और उस लापता बेटे का हिस्सा तुम्हारी मां के नाम कर दिया । तुम्हारी मां को तुम्हारे पापा के गुम होने के बाद किसी चीज में कोई रूचि नहीं रही बस तुम्हारे साथ अपने को बांध लिया । रुचि ने आज तुरन्त निर्णय लिया कि सबसे पहले अपनी माँ को इस वातावरण से दूर ले जायेगी क्योंकि अब शायद मां को वह पापा से तो नहीं मिला पायेगी पर अपनी माँ को लापता नहीं होने देगी । वह अब बिन मां की बच्ची नहीं कहलायेगी ।

इनपुट सोर्स: डा. मधु आंधीवाल