Tag: short story

फोकस साहित्य

लघु कथा : उदास कृति

मैं तो अपने मन की कह भी नहीं पाया। स्निग्धा अपने सपनों की रंगीन उड़ान भरने चली गई। उसके बाद मैंने भी.....

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लघु कथा: मेरा कुलदीपक

इस मौसम में कौन हो सकता है...सोचते हुए जाकर देखा। एक सुदर्शन युवक रेनकोट में लिपटा खड़ा था। वो उनकी प्रश्नवाचक निगाहें देख कर.....

सामाजिक संस्थाएं

कवियित्री रेखा मित्तल की पुस्तक दूज का चांद का हुआ लोकार्पण

चंडीगढ़ में कवियित्री रेखा मित्तल की प्रथम प्रकाशित पुस्तक दूज का चांद पुस्तक का लोकार्पण हुआ जिसमे कई गणमान्य अतिथि समल्लित हुए.....

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लघु कथा: पर उपदेश कुशल बहुतेरे

दूसरों को देने से पहले खुद को दिए गए उपदेश दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ सचमुच बदलाव ला सकते हैं। पर उपदेश कुशल बहुतेरे के वाक्य को, उसकी...

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लघु कथा: पर उपदेश कुशल बहुतेरे

आसान बहुत है देना उपदेश जब स्वयं पालन करने का आता समय, दिख जाता है उपदेशी का भेष। दूसरों को उपदेश देने से बहुत लोग, स्वयं को रोक नहीं...

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लघु कथा : वोह आंखें

ऐसे ही डरते, सम्मान करते करते अनिल पंद्रह साल का हो गया। एक दिन मंछाराम फैक्ट्री से घर लौटे, तो उन्हें अपने घर के एक कमरे में से ज़ोर...

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लघु कथा : बारह साल की वह लड़की

सुखवंत सिंह थोड़ा मुस्कुराए, रुकिए, मैं खुलवाता हूँ दरवाजा।’’ वे भागकर सामने वाले घर की छत पर चढ़ गए और वहाँ से चिल्लाकर बोले, ‘‘सतविन्दर,...

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लघुकथा : शक

हमारे समाज ने आज इतनी तरक्की की है फिर भी आज भी बहुत गांव या बहुत परिवार ऐसे हैं जहां लोग इस तरह की मानसिकता के शिकार हैं.....

फोकस स्पेशल स्टोरी

Inspirational Story: शादी के कई सालों बाद पूरा किया अपना...

सपने देखना तो आसान है पर सपनों को साकार करना मुश्किल। एक सपना देखा था रेखा मित्तल ने भी पर शादी के बाद गृहस्थी के काम में ऐसी उलझी...

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लघु कथा: ' मिस्ड कॉल'

फिर अचानक 'मिस्ड कॉल' आने से उसके मस्तिष्क की बेचैनी बढ़ ही जाती है. अपनी अधीरता को रोक पाना उसके लिए संभव ही नहीं है ...

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लघु कथा : गुस्सा, खामोशियाँ बोलती है

तुम्हारी खामोशी ने ही आज मेरा दिल जीत लिया, और देखो तुम्हारी खामोशी बोल पड़ी। आजतक तुमने पलटकर जवाब नही दिया। कई बार मेरे मन मे ये...

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लघु कथा : फेंकी हुई लड़की

जो लोग उस पर छींटाकशी करते हैं उनके सामने रह कर अपने आप को प्रमाणित करे. अपने आप से भाग कर वह कहीं भी जाएगी समस्या का समाधान नहीं...

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लघु कथा : अंतहीन

उसे तो हमेशा अपनी माँ का प्यार- दुलार याद आता. अपने बाबा याद आते, अपनी बहन याद आती. गाँव के लोग याद आते. उसके बाबा जब भी उस से मिलने...

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लघु कथा : पिंजरे में बचपन

प्रकृति को निहारना, तारों के नीचे बैठना, भाई बहनों की आपसी मस्ती, दोस्तों के साथ खेलना !! यह तो सब तो अब पुराने ज़माने की बात हो गई....

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लघु कथा : चक्रव्यूह

अपने नीरा को खाए एक सप्ताह हो गए। किसी तरह नमक पानी पीकर ऊर्जस्वित होती है। शायद दोड़ धूप की चादर ने उसकी भूख को ढक लिया है। अभी पति...

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लघु कथा : अंतिम संस्कार

कहने को तो आज हमारा देश स्वतंत्र है, हमें खुल कर जीने का अधिकार है, स्वाभिमान से रहने का अधिकार है लेकिन शिवांगिनी के लिए ये सारी...

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