हनुमान जयंती आज : ऐसे विधिपूर्वक करें हनुमान जी की आरती, पूरे परिवार की होगी उन्नति

आज हनुमान जयंती के अवसर व्रत रखकर वीर बजरंगबली की पूजा करते हैं। आज के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमान जी की आरती कर लें। इससे भी आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी। जानते हैं हनुमान जी की आरती की विधि और उससे होने वाले लाभ...

हनुमान जयंती आज : ऐसे विधिपूर्वक करें हनुमान जी की आरती, पूरे परिवार की होगी उन्नति

फीचर्स डेस्क। आज 6 अप्रैल को हनुमान जयंती है। इस अवसर व्रत रखकर वीर बजरंगबली की पूजा करते हैं। समय की कमी के कारण आप विधि विधान से पूजा नहीं कर सकते हैं तो आज के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमान जी की आरती कर लें। इससे भी आपकी मनो​कामनाएं पूरी होंगी। आइए जानते हैं हनुमान जी की आरती की विधि और उससे होने वाले लाभ.

हनुमान जी की आरती के फायदे

1. हनुमान जी की आरती करने से व्यक्ति रोग और दोष से मुक्त हो जाता है। उस पर बजरंगबली की कृपा होती है।

2. हनुमान जी की नियमित आरती करने से भक्तों को बैकुंठ में परमपद की प्राप्ति होती है। आरती के सबसे अंतिम पंक्ति में इसका जिक्र है।

3. आरती करने से घर के अंदर की नकारात्मकता दूर होती है, दोष खत्म होते हैं।

4. बजरंगबली की कृपा से भय और दुखों का नाश होता है।

कैसे करें हनुमान जी की आरती?

हनुमान जयंती को पूजा के सबसे अंत में आरती करते हैं। इसके लिए आप पीतल का दीपक या फिर आटे का दीपक बना लें। उसमें लाल रंग के धागे वाली बत्ती डालें और उसे चमेली के तेल या गाय के घी से भर दें। उसे जलाकर एक थाल में रख लें ताकि हाथ न जले। घंटी और शंख बजाते हुए हनुमान जी की आरती करें। आरती के अंत में कर्पूरगौरं मंत्र पढ़ें. आरती के दीपक को पूरे घर में लेकर जाएं। फिर उसे पूजा स्थान पर जलने दें। जब वह शांत हो जाए तो उसे वहां से हटा दें।

हनुमान जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।

अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।
आरती कीजै हनुमान लला…

दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुधि लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
आरती कीजै हनुमान लला…

लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि संजीवन प्राण उबारे।
आरती कीजै हनुमान लला…

पैठी पाताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे।
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संत जन तारे।
आरती कीजै हनुमान लला…

सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
आरती कीजै हनुमान लला…

लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला…

कर्पूरगौरं मंत्र

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।