वट सावित्री व्रत शुक्रवार को, ऐसे करें पूजा होगी पति की लंबी उम्र, पढ़ें क्या कहती हैं ज्योतिषाचार्य डा. रुचिका

ऐसी मान्यता है कि जितनी उम्र बरगद के पेड़ की होती है, सुहागिनें भी बरगद के पेड़ की उम्र के बराबर अपने पति की उम्र मांगती हैं। हिंदू धर्म में बरगद का वृक्ष पूजनीय माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है....

वट सावित्री व्रत शुक्रवार को, ऐसे करें पूजा होगी पति की लंबी उम्र, पढ़ें क्या कहती हैं ज्योतिषाचार्य डा. रुचिका

फीचर्स डेस्क। इस बार वट सावित्री व्रत और अमावस्या का खास संयोग बन रहा है। वट सावित्री व्रत 19 मई को है। ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले सारे व्रतों में वट सावित्री व्रत को बहुत प्रभावी माना जाता है। जिसमें सौभाग्यवती महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सभी प्रकार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। ज्योतिषाचार्य डा. रुचिका गुप्ता ने बताया कि इस बार वट सावित्री व्रत 19 मई को पड़ रहा है। वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि से अमावस्या तक उत्तर भारत में और ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में इन्हीं तिथियों में वट सावित्री व्रत दक्षिण भारत में मनाया जाता है। वट सावित्री व्रत को उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, दिल्ली और हरियाणा समेत कई जगहों पर मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जितनी उम्र बरगद के पेड़ की होती है, सुहागिनें भी बरगद के पेड़ की उम्र के बराबर अपने पति की उम्र मांगती हैं। हिंदू धर्म में बरगद का वृक्ष पूजनीय माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इस वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन जल से वटवृक्ष को सींचकर उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर तीन बार परिक्रमा करें।

ज्योतिषाचार्य डा. रुचिका गुप्ता ने बताया कि इस दिन महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष के पास जाकर धूप, दीप नैवेद्य आदि से पूजा करती हैं। साथ ही रोली और अक्षत चढ़ाकर वट वृक्ष पर कलावा बांधती हैं और हाथ जोड़कर वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं। जिससे उनके पति के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और लंबी उम्र की प्राप्ति होती है। वहीं सोमवती अमावस्या पर स्नान, दान, पितरों की पूजा और धन प्राप्ति के खास उपाय भी किए जाते हैं। अमावस्या तिथि के दिन महिलाएं बांस की टोकरी में सप्त धान्य के ऊपर ब्रह्मा और वट सावित्री और दूसरी टोकरी में सत्यवान एवं सावित्री की प्रतिमा स्थापित करके वट के समीप जाकर पूजन करती हैं। साथ ही इस दिन यम का भी पूजन करती हैं और वट की परिक्रमा करते समय 108 बार वट वृक्ष में कलावा लपेटा जाता है। मंत्र का जाप करते हुए सावित्री को अर्घ्य दिया जाता है। वहीं सौभाग्य पिटारी और पूजा सामग्री किसी योग्य साधक को दी जाती है। इस व्रत में सत्यवान और सावित्री की कथा का श्रवण किया जाता है।

शुभ संयोग

ज्योतिषाचार्य डा. रुचिका गुप्ता के अनुसार वट सावित्री के दिन शनि अपनी स्वराशि कुंभ में होंगे। जिससे शश नामक राजयोग बनेगा। इसके अलावा इस दिन सिद्धि योग भी रहेगा। इस दिन चंद्रमा गुरु के साथ मेष राशि में होंगे जिससे गजकेसरी योग बनेगा। इन सब स्थितियों में वट सावित्री का व्रत रखना बेहद शुभ फलदायी होगा साथ ही शनि देव की कृपा रहेगी।

तिथि

ज्योतिषाचार्य डा. रुचिका गुप्ता ने बताया कि ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 18 मई 2023 को रात्रि 09:42 मिनट से प्रारंभ होगी और इसका समापन 19 मई 2023 रात को 09:22 मिनट पर हो जाएगा। हालांकि, उदया तिथि के अनुसार वट सावित्री व्रत 19 मई को रखा जाएगा। इस दिन शोभन योग का निर्माण हो रहा है, जो संध्या 06:17 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में पूजा-पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।

व्रत का शुभ मुहूर्त

कुण्डली विश्ल़ेषक ज्योतिषाचार्य डा. रुचिका गुप्ता ने बताया कि वट सावित्री अमावस्या की बात करें तो इस दिन सुबह 7:19 से 10:42 मिनट तक का पूजा के लिए शुभ मुहूर्त है। वहीं, वट सावित्री पूर्णिमा के लिए सुहागिन महिलाएं सुबह 7:16 से 8:59 मिनट तक पूजा कर सकती हैं।

पूजन सामग्री

कुण्डली विश्ल़ेषक ज्योतिषाचार्य डा. रुचिका गुप्ता ने बताया कि वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री में सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां, धूप, दीप, घी, बांस का पंखा, लाल कलावा, सुहाग का समान, कच्चा सूत, चना (भिगोया हुआ), बरगद का फल, जल से भरा कलश आदि शामिल करना चाहिए।

वट सावित्री के भूलकर ना करें ये काम

  • इस दिन महिलाओं को काली, नीली, सफ़ेद रंग की साड़ी नहीं पहननी चाहिए।
  • वट सावित्री के दिन महिलाओं को लाल, हरी जैसे रंगों की चूड़ियां पहननी चाहिए।
  • भूलकर भी सफेद, काली रंग की चूड़ियां भी नहीं पहननी चाहिए।
  • वट सावित्री की पूजा उसी पेड़ की करनी चाहिए जिसमें फल हो।
  • इस दिन किसी से लड़ाई नहीं करना चाहिए। ये पर्व पति के लिए है तो पति से वाद-विवाद करने से बचे।
  • पूजा करने से पहले महिलाओं को पानी नहीं पीना चाहिए।
  • पूजा से पहले कुछ खाना भी नहीं चाहिए। पूजा के दौरान चना पानी के साथ निगलना चाहिए।

इनपुट सोर्स : ज्योतिषाचार्य डा. रुचिका गुप्ता, नई दिल्ली।