आचार्य सविता से जानें, शनि की महादशा का व्यक्ति के जीवन में कैसे असर पड़ता है

बहुत से लोग शनि की महादशा में किसी विशेषज्ञ की सलाह के बिना ही नीलम जैसे रत्न धारण कर लेते हैं, लेकिन यह बिल्कुल गलत होता है। शनि की महादशा में बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह से कोई सा भी रत्न धारण नहीं करना चाहिए। शनि एक धीमा ग्रह है, यह धैर्य का संकेत देता है....

आचार्य सविता से जानें, शनि की महादशा का व्यक्ति के जीवन में कैसे असर पड़ता है

फीचर्स डेस्क। किसी भी ग्रह या दशा के परिणाम अलग-अलग कुंडली के लिए अलग-अलग होते हैं, जो हमेशा उसकी स्थिति और संघों पर निर्भर होते हैं। शनि महादशा जीवन, स्थान या वातावरण में बड़े बदलाव लाती है। सकारात्मक शनि धीरे-धीरे कोयले को हीरे में बदल देता है  और नकारात्मक शनि तिनके में लगी आग की तरह है, जो (धीरे-धीरे) सब कुछ राख में बदल देता है। शनि की कुछ सकारात्मक विशेषताएं निम्नलिखित हैं। नकारात्मक विशेषताएँ इसके ठीक विपरीत हो सकती हैं। अगर जातक का शनि कमजोर है तो उसके बनते काम बिगड़ने लगते हैं।

व्यक्ति की कुंडली में अशुभ स्थिति में हों तो जीवन नष्ट कर सकते हैं

अगर कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर है तो व्यक्ति को अपनी मेहनत का पूरा प्रतिफल नहीं मिलता, उसे बार-बार लगता है कि जिंदगी उसके हाथ से यूं ही निकलती जा रही है और दोस्‍तों व साझेदारों से झगड़े होते हैं। शनि देव जिस व्यक्ति की कुंडली में अशुभ स्थिति में हों तो वह व्यक्ति का जीवन तक नष्ट कर सकते हैं। वहीं यदि कुंडली में शनि देव शुभ हों और व्यक्ति के कर्म अच्छे हों तो उस व्यक्ति को शनि देव राजाओं जैसा सुख भी प्रदान करते हैं।

कुंडली में कई बार शनिदेव की बेहतर स्थिति के बावजूद भी कर्म शुभ ना हो तो शनिदेव धन हानि करवाते हैं और कई तरह के कष्ट भी देते हैं। हर व्यक्ति की कुंडली में शनि देव की साढ़ेसाती, महादशा और ढैया आती है। सबसे ज्यादा कष्ट होता है शनि देव अगर अष्टम भाव में स्थित हो। या सप्तम भाव में स्थित हो तो अपनी महादशा में बहुत कष्टकारी हो जाते हैं। सातवें भाव में पति-पत्नी में मतभेद दूरियां करवा देंगे।

अष्टम भाव में हो तो पैरों में घुटनों में दिक्कत दे देता है या पैरालिसिस की परेशानी भी दे देता है। शनि सबसे ज्यादा परेशानी इन्हीं भावों में देता है। बारहवें भाव का शनि कोर्ट कचहरी जेल यात्रा भी करवा देता है। छठे भाव का शनि पेट से जुड़ी परेशानियां देता है। पेट की समस्या हमेशा बनी रहेगी। पांचवां भाव का शनि ज्ञान देगा पूजा पाठ में रूचि बढ़ायेगा उस व्यक्ति के अंदर अपने किसी पूर्वज के कोइ गुण या कोई विद्या जरूर आती है। बस जातक की संतान देर से होती है। अगर संतान समय से हो भी गयी तो संतान की शादी में अड़चनें आयेगी बच्चों की शादी में दिक्कत आयेगी ।

बिना सोचे समझे रत्न धारण न करें

बहुत से लोग शनि के डर से कोई भी रत्न बिना सोचे समझे धारण कर लेते हैं। वह समझते हैं कि निलम धारण करने से समस्या समाप्त हो जायेगी। जबकि शनि देव मेष राशि में नीच के होते हैं।ओर नीच ग्रह के कोई भी रत्न धारण नहीं करना चाहिए। उपाय द्वारा ग्रहों का समाधान होता है, जो नीच ग्रह होते हैं। अब यह समझना होगा कि हमको ग्रह की नीचता खत्म करनी है अपने पर लगानी नहीं है।

शनि एक धीमा ग्रह है, यह धैर्य का संकेत देता है

बहुत से लोग शनि की महादशा में किसी विशेषज्ञ की सलाह के बिना ही नीलम जैसे रत्न धारण कर लेते हैं, लेकिन यह बिल्कुल गलत होता है। शनि की महादशा में बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह से कोई सा भी रत्न धारण नहीं करना चाहिए। शनि एक धीमा ग्रह है, यह धैर्य का संकेत देता है। वह कर्म के स्वामी हैं, इसलिए शनि द्वारा न्याय का वादा किया जाता है। शनि एक काल (समय) है, इसलिए उसके कुछ प्रतिबंध और उत्तरदायित्व हैं। वह कड़ी मेहनत का ग्रह है , जो दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता है। शनि काफी परिपक्व है, इसलिए वह त्याग का भी संकेत देता है। यह सत्य है। शनि आपको सिखाएगा और आपको अपने जीवन में इन परिवर्तनों को अपनाने के लिए मजबूर करेगा। यदि आप इसका पालन नहीं करते हैं, तो यह आपकी सफलता में देरी करेगा। यह परिणाम धीमा कर सकता है और आपको निराश कर सकता है। मैंने शनि महादशा में राजाओं को भिखारी और भिखारी को राजा बनते देखा है। इसलिए, शनि की शक्ति का वर्णन करने के लिए कोई शब्द नहीं है।

नोट : शनि की महादशा में या साढ़ेसाती में घबरायें नहीं क्यों शनि देव एक न्यायाधीश है और आपको जो भी देंगे धैर्य से देंगे बस आप उपाय करें और सच के रास्ते पर चलें।

इनपुट सोर्स : शक्ति उपासक आचार्य सविता पटवाल, ज्योतिष, वास्तु व कुंडली विशेषज्ञ।