दुनिया का लक्ष्य 2030 तक टीबी मुक्त करना है : मोदी

दुनिया का लक्ष्य 2030 तक टीबी मुक्त करना है : मोदी

वाराणसी सिटी। वर्ल्ड टीबी दिवस के अवसर पर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी में आयोजित वर्ल्ड टीबी (TB) समिट में शामिल हुए। इस दौरान देश-विदेश आए कई डेलीगेट्स मौजूद रहे।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि दुनिया का लक्ष्य 2030 तक टीबी मुक्त करना है। भारत का लक्ष्य 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करना है। यानि भारत दुनिया से 5 वर्ष आगे चल रहा है। टीबी के खिलाफ भारत ने जो बहुत बड़ा काम किया है, वह है –‘जनभागीदारी’। विदेश से आए अतिथियों के लिए यह जानना अति आवश्यक और आश्चर्यजनक होगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी काशी में आयोजित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में वर्ल्ड टीबी समिट कार्यक्रम में शुक्रवार को शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत हर हर महादेव के नारे से की। उन्होंने कहा कि वर्ल्ड टीबी समिट काशी में होना सौभाग्य की बात है। मैं काशी का सांसद हूं, मेरे लिए भी यह सौभाग्य की बात है। काशी वह शाश्वत धारा है, जो हजारों वर्षों से मानवता के विचारों व परिश्रम की साक्षी रही है।  वैश्विक चुनौतियों के खिअल्फ़ लड़ाई में काशी का अभूतपूर्व योगदान रहा है। TB के खिअल्फ़ हमारे वैश्विक प्रयासों को काशी एक नई ऊर्जा देगी।  एक देश के तौर पर भारत की विचारधारा के प्रतीक ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को काशी ने अपनाया है।  G-20 के देशों का सम्मेलन की अध्यक्षता भारत कर रहा है और यह कार्यक्रम भी काशी में होने जा रहा है। यह सभी काशीवासियों के परिश्रम का ही फल है।

One World, One Family, One Future

काशी ने कुछ समय पहले One World, One Family, One Future के विज़न को आगे बढाया। 2014 के बाद भारत ने एक नई सोचा और अप्रोच के साथ काम करना शुरु किया। यह वाकई में अभूतपूर्व है। टीबी के खिलाफ लड़ाई में भारत को ‘जनभागीदारी’ से सफलता मिली है। हमने टीबी मुक्त भारत के अभियान से जुड़ने के लिए नि:क्षय मित्र बनाने का आह्वान किया था। इस अभियान के बाद 10 लाख टीबी मरीजों को देश के नागरिकों ने गोद लिया।  

10-12 वर्ष के बच्चों का इस अभियान में विशेष योगदान

हम सबको शायद जानकर आश्चर्य होगा कि देश में 10-12 वर्ष के बच्चों ने भी इस अभियान में बढ़कर हिस्सा लिया। इतने कम उम्र के बच्चे भी नि:क्षय मित्र बनकर इस अभियान को नई दिशा प्रदान कर रहे हैं।  ऐसे न जाने कितने बच्चे हैं, जिन्होंने अपने पिग्गी बैंक को तोड़कर टीबी मुक्त भारत अभियान में सहयोग किया।  इस अभियान में बच्चों का बहुत बड़ा योगदान है।  इन बच्चों के सहयोग से ही आज टीबी मरीजों के लिए आज 1000 करोड़ रुपए से उपर की धनराशि इकठ्ठी हो गई है।  देश में अब तक टीबी मरीजों के खाते में सीधे तौर पर 2000 करोड़ रुपए भेजे गए हैं।  जिसका लाभ अभी तक 75 लाख मरीजों को मिला है।

 

6 महीने के जगह अब केवल तीन महीने का ट्रीटमेंट

टीबी के मरीजों को आयुष्मान से जोड़ा गया है।  देश में उनके लिए लैब्स की भी संख्या बढ़ाई गई है।  आज हम यहां बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी से टीबी मुक्त पंचायत अभियान की शुरुआत कर रहे हैं।  सभी जनप्रतिनिधि आज यह संकल्प लें कि अपने पंचायत को टीबी मुक्त करके ही चैन की सांस लेंगे।  6 महीने के जगह उन्हें 3 महीने का ही ट्रीटमेंट कराएंगे।  पहले जिन मरीजों के ईलाज के लिए 6 महीने तक दवाइयां खानी होती थी, अब उन्हें केवल तीन महीने तक ही अपना ईलाज कराना होगा।  साथ ही 3 महीने के ट्रीटमेंट में उनके केवल हफ्ते में एक बार ही दवा खानी होगी।  जिससे मरीजों को दवाइयां खाने से भी फुर्सत मिलेगा, साथ ही उन्हें सहूलियत भी मिलेगी।  भारत का संकल्प भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाना है।  

टीबी हारेगा, भारत जीतेगा

covid के दौरान भारत में हेल्थ की सुविधाएं काफी तेजी से बढ़ी, हमने टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट, टेक्नोलॉजी पर काम किया।  जिसके चलते हमने covid पर विजय पाई।  हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि टीबी के ईलाज के लिए आज 80% दवाएं भारत में बनती हैं।  ये हमारे फार्मा कंपनियों और मेडिकल कर्मियों के मेहनत का ही परिणाम है।  हमारा नारा है – ‘टीबी हारेगा, भारत जीतेगा’।