सोमवती अमावस्या 17 जुलाई को, राशि अनुसार करें शिव पूजा होगी धन की वर्षा

कई सालों बाद ऐसा हो रहा है जब हरियाली अमावस्या और सोमवती अमावस्या एक ही दिन पड़ रहे है। इसके साथ ही सोमवार के दिन अमावस्या भी 16 साल बाद पड़ रही है। बता दें कि ऐसा संयोग साल...

सोमवती अमावस्या 17 जुलाई को, राशि अनुसार करें शिव पूजा होगी धन की वर्षा

फीचर्स डेस्क। इस साल सोमवती अमावस्या कई वर्षों बाद सावन सोमवार सोमवती अमावस्या, हरियाली अमावस्या पर पड़ रही है। वहीं अपनी-अपनी राशि पर 5 ग्रह होंगे इस बार यह अमावस्या 17 जुलाई यानि सोमवार को पड़ रही है। इसी दिन सावन का दूसरा सोमवार पड़ रहा है इस दिन सोमवार होने के कारण सोमवती अमावस्या भी मनाई जाएगी। कई वर्षों बाद हरियाली अमावस्या को विशेष संयोग लग रहा है।

श्रावण अमावस्या का मुहूर्त

अमावस्या प्रारंभ- 16 जुलाई सुबह 09:18 रात से

अमावस्या समाप्त- 17 जुलाई को रात 10 बज कर 39 तक

बन रहा है विशेष संयोग

ज्योतिष एक्सपर्ट विनोद सोनी जी के अनुसार हरियाली अमावस्या पर इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग, पुनर्वसु नक्षत्र, श्रावण सोमवार, सोमवती अमावस्या और स्नानदान श्रावण अमावस्या का संयोग बन रहा है। जिसमें स्नान-दान करने का विशेष महत्व मिलेगा। इसके साथ ही श्राद्ध-तर्पण करने से पितर तृप्त हो जाएंगे। इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती सहित अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने हर तरह की मनोकामना का पूर्ति होती है।

सोमवती और हरियाली अमावस्या

कई सालों बाद ऐसा हो रहा है जब हरियाली अमावस्या और सोमवती अमावस्या एक ही दिन पड़ रहे है। इसके साथ ही सोमवार के दिन अमावस्या भी 16 साल बाद पड़ रही है। बता दें कि ऐसा संयोग साल 2004 में सावन माह के पुरुषोत्तम मास में पड़ा था। इस साल दो बार सावन महीना पड़ा था। जिसेक दूसरे सावन माह में सोमवती अमावस्या का संयोग बना था। इससे पहले साल 2000 भी ऐसा संयोग बना था।

इस दिन पौधा लगाना माना जाता है शुभ

सावन महीने की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है और अनेक स्थानों पर इसे चितलगी अमावस्या भी कहते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि इस अमावस्या पर हर किसी को एक न एक पौधा ज़रूर लगाना चाहिए वहीं किसी कारणवश यदि अमावस्या पर आप पौधा ना भी लगा पाएं तो आने वाले आठ दिन तक कभी भी पौधा रोपा जा सकता है। हरियाली, सोमवती, या चितलगी अमावस्या पर अपनी राशि अनुसार करें शिव पूजा तो धन-धन्य एवं पारिवारिक उन्नति अवश्य ही प्राप्त होगी.

मेष

इस राशि वाले जातक शिव जी का दूध से अभिषेक करें एंव रूद्राष्टक का पाठ करें।

वृष

शिवजी को बिल्वपत्र चढ़ाये एंव नागेश्वराय मन्त्र की कम से कम एक माला का जाप करें।

मिथुन

अष्टगंध से शिव जी का पूजन करें तथा ऊॅ नमः शिवाय का जाप करें।

कर्क

गंगा जल से शिव जी का अभिषेक करें और गणेश स्त्रोत का पाठ करें।

सिंह

पंचामृत से शंकर भोले का अभिषेक करें तथा साथ में पंचाक्षरी मन्त्र का जाप करें।

कन्या

बिल्वपत्र व भांग से शिव जी का पूजन करें और शिव चालीसा का पाठ करें।

तुला

दूध व शहद से शंकर जी का अभिषेक करें एंव रूद्राष्टक का पाठ करें।

वृश्चिक

लाल फूल, धतूरा व भांग से शिव जी का पूजन कर महामृत्युजंय मन्त्र का जाप करें।

धनु

पीले फूल, अष्टगंध, धतूरा आदि से पूजन कर शिव चालीसा का पाठ करें।

मकर

शिव जी का दही से अभिषेक कर शमी पत्ती चढ़ायें और लघु मृत्युजंय का जाप करें।

कुम्भ

अष्टगंध, शमी की पत्ती, घतूरा, फल-फूल से पूजन करे एंव पंचाक्षरी मन्त्र का जाप करें।

मीन-

गन्ने के रस से शिव जी का अभिषेक करें और नागेश्वराय मन्त्र का जाप करे।

इनपुट सोर्स : ज्योतिष एक्सपर्ट, विनोद सोनी, भोपाल सिटी।