वो पुराना वाला प्यार.....
कैसे करते हो वह प्रेम जरा बताओ ना
बिन कहे समझ जाते हो जरा समझाओ ना
बाबू सोना बेबी जान माय लव के युग में भी
पढ़ लेते हो आंखों को जरा सिखलाओ ना|
कैसे इनकार में भी ढूंढ लेते हो इकरार
बिन बताए भी महसूस कर लेते हो प्यार
कैसे करे परिभाषित इस अहसास को
है एक दूजे के पर किया नहीं कभी इज़हार|
उसे पसंद है इश्क़ का वही अंदाज पुराना
आंखों के मिलते ही आंखों का झुक जाना
सहेजना किताबों में दबे सूखे गुलाब को
डाकिये का इंतजार और चिट्ठियों का जमाना|
प्रेम में हार कर भी जगत से जीत जाना
बातों को कर याद धीमे धीमे से मुस्काना
आज में जी कर भी उनका इश्क पुराना
बहुत भाता है उनका कुछ भी ना जताना|
इनपुट सोर्स : सविता सिंह मीरा, जमशेदपुर।