रूहानी मिलन...
फिर तुमने वादा किया था कि तुम बच्चों की परवरिश करोगे मेरे बाद पर तुमसे ये वादा भी ना निभाया गया
फीचर्स डेस्क। यूं अचानक कंधे पर किसी के हाथ को महसूस कर चौंक पड़ी मेघा । मुड़कर देखा तो अभय को सामने देख अचंभित हो गयी ।
अभय नजरें झुका कर उसकी डाँट का इंतजार कर रहा था ।
"उफ्फ अभय तुम आखिर आ ही गये " ! नहीं ही मानी मेरी बात !
हमेशा मेरी बात को ना मानना ऐसे भी तुम्हारा सबसे पसंदिदा काम है । "क्यों सही कहा ना" ?
अब बोलो भी यू क्यों खड़े हो ? ऐसे खड़े हो कर मासूम बनने का नाटक मत करो । सब समझती हूँ मैं । बोलो क्यों नहीं मानी मेरी बात ? क्यों आ गये सब छोड़कर ?
"तुमसे मिलने आया हूँ मेघा" , "क्यों नहीं आ सकता" ?
"मेघा आई लव यू " और नहीं रहा गया तुम्हारे बिना इसलिए मैं चला आया ! बचपन से लेकर जवानी , जवानी से लेकर बुढ़ापा बुढ़ापे से लेकर
"बोल ना पाया अभय" ।
परिस्थिति भांप मेघा बोली "हाँ तो" !
" मौत ही ना" पर अभय ये तो इंसान के जीवन की सच्चाई हैं ।
फिर तुमने वादा किया था कि तुम बच्चों की परवरिश करोगे मेरे बाद पर तुमसे ये वादा भी ना निभाया गया ।
बच्चों को अकेला छोड़ आ गये ।
मेघा किसी को मेरी जरुरत नहीं । सब अपनी जिन्दगी में खुश हैं । कोई अकेला नहीं बल्कि अकेली तो तुम थी, अकेला तो मैं हो गया था "तुम्हारे बिना"। हर एक पल संग बिताया तुम्हारे साथ बचपन से लेकर बुढ़ापे तक । वो पेड़ जिसकी छांव में हम कभी प्यार के तराने गाते थे अब वो भी उदास रहता हैं । रोज तुम्हारी समाधी के पास बैठा रहता था पर फिर लगा तुम्हें इस दुनिया में मेरी जरुरत होगी इसलिए आ गया मेघा ।
पर क्यों बैठे रहते थे मेरी समाधी के पास तुम अभय ? अभय की आंखों में झांक मेघा ने पूछा ।
मेघा तुम्हें अंधेरे और अकेलेपन से डर लगता था ना इसलिए ।
मेघा "आई लव यू" !
क्या कहती मेघा अब और गुस्से का दिखावा ना कर सकी सीने से जा लगी अभय के ।
और धीरे से कहा अभय "आई लव यू टू" !
इस तरह दो रुहों के रूहानी मिलन पर ईश्वर भी मानो पुष्प वर्षा कर रहे थे ठंडी-ठंडी बर्फ की बारीश से !
इनपुट सोर्स : रुबी प्रसाद, सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल)।