एक थी डॉ अर्चना शर्मा

डॉ अर्चना शर्मा की दिल को झकझोर देने वाली घटना के बाद देश की हर गायनेकोलोजिस्ट आज निस्संदेह विचार कर रही होगी कि ,” क्या ये देश इस लायक़ है कि जिसके लिए पूरी ज़िंदगी भयंकर तनाव में रह कर खपाई जाए….

एक थी डॉ अर्चना शर्मा

फीचर्स डेस्क। यदि भारत में  वर्ष 2022 में एमएमआर(मेटर्नल मॉर्टैलिटी रेट) उतनी ही होती जितनी वर्ष 1947 में थी तो केवल वर्ष 2022 में लगभग पाँच लाख प्रसूताओं की अकाल मृत्यु हो जाती ।लेकिन देश की महिला चिकित्सकों के कौशल, साहस और जज़्बे का नतीजा है कि इस वर्ष मात्र पच्चीस हज़ार प्रसूताओं की अकाल मृत्यु प्रसव के दौरान  होने वाली जटिलताओं के कारण होगी ।यानि देश की महिला चिकित्सक केवल एक साल में लगभग साढ़े चार लाख  प्रसूताओं को अकाल मृत्यु से बचा लेंगी ।ये आँकड़ा कोविद के कारण भारत में अब तक हुई मौतों के लगभग बराबर है ।हर वर्ष लाखों प्रसूताओं की जान बचाने वाली महिला चिकित्सकों को इस निर्लज्ज देश ने डॉ अर्चना शर्मा के उत्पीड़न का ऐसा दंश दिया है जिसे भूलाने में इन महिला रोग विशेषज्ञों को उतनी ही मेहनत करनी होगी जितनी मेहनत पिछले पचहत्तर सालों में करोड़ों प्रसूताओं की जान बचाने में लगी होगी ।

डॉ अर्चना शर्मा को खो देने की पीड़ा से अधिक पीड़ा इस बात की है कि इस घटना के बाद  इस देश का आम आदमी सड़कों पर उस तरह नहीं उतरा जैसे निर्भया के समय उतर गया था ।निर्भया के दोषियों को तो फाँसी दे दी गई लेकिन अर्चना के दोषी आज भी खुले घूम रहे हैं।

हिंदुस्तान के छोटे -छोटे क़स्बों में प्रसूताओं के जीवन की रक्षा करने वाली पराक्रमी महिला चिकित्सक आज अपने आपको कितना असहाय और बेबस समझ रही हैं इसे केवल उनके परिजन देख पास रहे हैं ।

लालसोट में केवल एक अर्चना की मौत नहीं हुई है ।लालसोट में मौत हुई है देश की बहादुर महिला चिकित्सकों के उस जज़्बे की जिसके चलते वो रात के दो बजे सीमित संसाधनों  व विकट परिस्थितियों में भी प्रसूता की रक्षा के लिए यम राज से भिड़ जाती हैं। एक प्रसव में आम तौर पर दस -बारह घंटे लगते हैं ।इन दस बारह घंटों में इलाज कर रही तनावग्रस्त डॉक्टर न ढंग से सो पाती है न ढंग से खा पाती है ।एक महिला रोग विशेषज्ञ यदि माह में बीस पच्चीस प्रसव भी करवाती है तो मतलब लगभग पूरे माह ,पूरे साल वो स्ट्रेस में रहती ।

डॉ अर्चना शर्मा की दिल को झकझोर देने वाली घटना के बाद देश की हर गायनेकोलोजिस्ट आज निस्संदेह विचार कर रही होगी  कि ,” क्या ये देश इस लायक़ है कि जिसके लिए पूरी ज़िंदगी भयंकर तनाव में रह कर खपाई जाए ।

”मेडिकल की पढ़ाई कर रही इस देश की युवा बेटियों को कहना चाहूँगा, NEET पीजी काउन्सलिंग के समय OBG चुनने से पहले डॉ अर्चना शर्मा की कहानी एक बार अवश्य पढ़ना,उनके दर्द, उनकी पीड़ा,उनके त्याग को  एक बार महसूस करना।मेरी दृष्टि में तो ये कृतघ्न राष्ट्र  इस लायक़ नहीं कि जिस पर कोई और अर्चना क़ुर्बान की जाए ।

डॉ अर्चना शर्मा की शहादत को नमन।

इनपुट सोर्स: डॉ राज शेखर यादव 

(फ़िज़िशियन,ब्लॉगर)