पहला खत: वो अहसास जिसे शब्दों में बयां कर पाना है बहुत मुश्किल

पहले प्यार का पहला खत, सुनकर ही दिल में उमड़ने लगी है कई हलचल। दिल धड़कता है तेजी से और मन जाता है मचल। इन भावनाओं को शब्दों का लिबास पहनाया है डॉ अरुणा पाठक ने, पढ़िएगा जरूर….

पहला खत: वो अहसास जिसे शब्दों में बयां कर पाना है बहुत मुश्किल

फीचर्स डेस्क। वह अल्हड़ जवानी थी समय ऐसा उस पर छाई नादानी सी  थी

पहले भी बहुत बार देखा पर उसके भावों से  बेगानी थी

पर धीरे-धीरे महसूस हुआ वह  उसको खूब भाती थी

वह उसको छुप छुप के देखता था पर उसे समझ ना आती थी

दोनों मिलते थे अक्सर पर वह ना उसको देखा करती थी

एक दिन जाने कैसे मिली नजर जो प्रेम ह्रदय में भर देती थी

फिर ऐसा क्या हुआ दोनों का आकर्षण जाने कैसे बढ़ गया

इस देखा देखी का जाने कैसा मन भी अब उसका  रम गया

आंखों ही आंखों में बातें होती दूर से ही मुलाकात होती

फिर भी जाने क्यों एक दूसरे की सभी बातें की पता होती

एक दिन उसने खत लिखा पत्थर बांध कर फेंक के उसको दिये 

दिल का उसने तीर बनाया लिखा मैं बाहर जा रहा हूं कुछ दिन के लिए

छुपा कर रख लिया उसने ह्रदय में  पढ़ा उसे स्नानघर में प्रेम से

 जाने वह कैसे गिर गया भाई के हाथों 

पड़ गया पारा चढ़ा क्रोध से

आ गई गनीमत उस लड़की की पर अच्छा यह था लड़का नहीं था

कुछ दिन बाद उस शहर से दूसरे शहर में वह लड़की भी चली गई थी

फिर भी वह उसको कभी ना भूली जब भी जाती नजरों उसे ही खोजती

फिर एक दिन पता चला उसने लव मैरिज शादी कर ली फिर वह सोचती 

क्या प्रेम का आकर्षण क्षणिक था क्या कहते प्यार इसी को

इससे अच्छा तो न मिलता जीवन में प्यार किसी को।।

इनपुट सोर्स: डॉ अरुणा पाठक आभा