दोस्ती का अहसास...

दोस्ती का अहसास...

यूं तो रिश्तों से भरे पड़े हैं बाजार,

मगर लाखों में एक होता है सच्चा यार।

जीवन में कम से कम

 एक दोस्त तो ऐसा हो ही

जो बिना कहे  मन की दशा को समझ लें।

जिसके कांधे पर सर रख हम रो  ले,

अपने जिगर का सारा हाल खोल दे।

बातों की कोई सीमा बंधन न हो

 कभी ये न लगे कि कैसे कहें?

जिसके साथ हम हंसी मसखरी

अच्छी-बुरी सारी बातें कर सके

रोना- धोना तक कर सकें

मन का मैल धो सके

और वो कहे- परेशान ना हों यार

मैं हूं ना।

ये "मैं हूं ना" संजीवनी का काम करती है

सच दोस्तों के साथ हम भूल जाते हैं

 सारी तकलीफें खास

 और यही तो है दोस्ती का अहसास।

 जिसकी कोई उम्र सीमा नही।

 इनपुट सोर्स : सुमन झा, एडमिन, फोकस साहित्य ग्रुप।