पुत्र के दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा ‘जितिया’ का व्रत, महालक्ष्मी कुंड व तालाबों पर उमड़ी जबरदस्त भीड़

वाराणसी में शनिवार को जीवत्पुत्रिका पर्व पर लक्ष्मी मंदिरों में शहर की आधी आबादी ने मां लक्ष्मी का पूजन अर्चन किया। इस दौरान पूरे कुण्ड, तालाब परिसर के आस-पास पहुँच कर माला, फूल, फल, मिष्ठान का भोग लगा कर कथाओं के साथ व्रत कर मां लक्ष्मी का पूजन किया। अगले दिन सुबह महिलाएं जल पीकर व्रत तोड़ेंगी। इस व्रत के पूजन के बाद बड़ी संख्या में महिलाओं ने माता लक्ष्मी के दरबार मे पहुँच कर जय जय कार का उद्घोष किया...

पुत्र के दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा ‘जितिया’ का व्रत, महालक्ष्मी कुंड व तालाबों पर उमड़ी जबरदस्त भीड़

वाराणसी। मां और संतान के प्रेम का प्रतीक जीवित्पुत्रिका का त्यौहार काशी में शुक्रवार को अत्यंत धूमधाम से मनाया गया। महिलाओं ने निरजल व्रत रखकर अपने संतान के दीर्घायु व सलामती की कामना की। इस दौरान काशी के लक्ष्मीकुंड समेत विभिन्न लक्ष्मी मंदिरों में महिलाओं ने मां लक्ष्मी की विशेष पूजा आराधना कर परिवार के सुख समृद्धि की कामना की। सनातन धर्म की परम्परा के अनुसार, यह पूजा तीन दिनों तक काशी में चलती है। प्रथम दिन नहाय खाय के साथ यह पूजा शुरू हुई। इसके बाद शुक्रवार को महिलाओं ने पुत्र की दीर्घायु के लिए निरजल व्रत रखा। वहीँ शनिवार को इस व्रत का पारण होगा। 

वाराणसी में शनिवार को जीवत्पुत्रिका पर्व पर लक्ष्मी मंदिरों में शहर की आधी आबादी ने मां लक्ष्मी का पूजन अर्चन किया। इस दौरान पूरे कुण्ड, तालाब परिसर के आस-पास पहुँच कर माला, फूल, फल, मिष्ठान का भोग लगा कर कथाओं के साथ व्रत कर मां लक्ष्मी का पूजन किया। अगले दिन सुबह महिलाएं जल पीकर व्रत तोड़ेंगी। इस व्रत के पूजन के बाद बड़ी संख्या में महिलाओं ने माता लक्ष्मी के दरबार मे पहुँच कर जय जय कार का उद्घोष किया। शहर के लक्ष्मी कुंड, ईश्वर गंगी, शंकुलधारा पोखरों पर महिलाओं की काफी भीड़ जमा रही। 

भारी भीड़ को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था काफी टाइट रही। पुलिसकर्मियों ने बड़े सूझ बूझ के साथ लाइन लगवा कर लोगों को दर्शन पूजन कराया। लक्सा स्थित माता लक्ष्मी के दरबार को आकर्षक ढंग से सजाया गया। भोर से ही माँ के दर्शन पूजन का क्रम शुरू हो गया। व्रती महिलाओं एवं मन्दिर के महन्त ने इस पूजन के बारे में विस्तार से बताया।

लक्ष्मी मंदिर के महंत अजय शंकर पाण्डेय ने बताया कि आज सोरहिया मेले का आखिरी दिन है। रात 12 बजे तक माता का दर्शन चलेगा। माताएं अपने पुत्र के लिए यह निराजल व्रत रखती हैं। शनिवार को सुबह 10 बजकर 21 मिनट पर महिलाएं इस व्रत का जल पीकर पारण करेंगी। 

व्रत करने वाली महिला संजीता ने बताया कि अपने पुत्र के लिए वह यह व्रत कर रही हैं। इसमें कुंड के किनारे माता को फल, फूल इत्यादि का भोग लगाकर पूजन अर्चन किया जाता है। इसके बाद सुबह में पानी पीकर व्रत तोड़ा जाएगा।

वहीं पहली बार व्रत कर रही अर्चना ने बताया कि पहली बार व्रत करके काफी अच्छा लगा। सभी व्रतों में यह व्रत काफी कठिन है। लेकिन मां लक्ष्मी की कृपा से ही यह व्रत संभव हो पाया।