" बेशरम"

" बेशरम"

फीचर्स डेस्क। हद पार कर रहे हो अब, चले जाओ यहाँ से नहीं तो शोर मचा दूंगी। आज फिर से संकेत के घटिया नापाक इरादों को भाँप स्वाति चिल्ला उठी , उसका रौद्र रूप देख संकेत भी भौंचक हो बोल रहा। अरे अरे भाभीजान ! इतना भी सती- सावित्री बनने का पाखंड मत करो , एक तो भैया बन गए परदेशी बाबू , साल दो साल में दुबई से आते हैं और आप हैं अकेली । ऐसे में यही नाचीज देवर आपको इंटरटेनमेंट करेगा। आपको कंपनी देगा । अब तो स्वाति को काटो तो खून नहीं ,दौड़कर सास के कमरे में जा पहुँची , जोर जोर से साँस लेती हुई पलंग पर लेटी सास के सिरहाने खड़ी हो उनका सिर दबाने लगी । किसी का स्पर्श महसूस करने से सास की निद्रा टूट गई,  अचकचा कर उठ बैठी है..... क्या हुआ बहू ! वो मम्मी जी , संकेत जी आए हैं इसलिए आपको बुलाने चली आई। अच्छा तब तो आती हूँ तुम चाय नाश्ता कराओ उसको ,  थोड़ी देर में आती हूँ । सास की बात सुन  मन मसोसती स्वाति  बुझे मन से रसोईघर में चाय बनाने चली आती है ।

कैसे आना हुआ संकेत ? दीदी की तबियत ठीक है ना ,हाँ मामी, माँ बिलकुल ठीक  है। इधर ही कुछ काम से आया था तो सोचा कि आप सबसे मिलता चलूँ इसलिए आ गया। संकेत सास के ननद का बेटा है और बहुत ही निर्लज्ज फ्लर्टबाज है ,जब भी आता स्वाति को बुरी नजर से ताड़ता रहता ।

स्वाति का पति विकास दुबई में पेट्रोलियम कंपनी में इंजीनियर है और 6 महीने बाद इंडिया में ही किसी कंपनी में आने वाला  है इसलिए स्वाति अपनी विधवा सास जानकी के साथ बैंगलोर में रहती है। वो भी बीबीए करने के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर पाई थी , उसके पापा का हार्ट अटैक से मौत होने के उपरांत उसकी माँ ने शादी कर अपनी जिम्मेदारी से निजात पा ली थी क्योंकि और दो बहनें थी जिसका भरण-पोषण करना था। चाय पीने के बाद संकेत चला जाता है ।

कुछ दिन के बाद फिर आता है , ऐसा है ना मामी कि भैया तो यहाँ  है नहीं , तो सोचा कि आप सबकी जरूरतों की चीजों को बाजार से लेते आता हूँ , इतनी आत्मीयता देख जानकी की आँखे आश्चर्यमिश्रित चौड़ी हो जाती हैं। मन ही मन सोच रही कि घर में एक भी काम नहीं करता ना ही ननद - ननदोई का ख्याल रखता है और यहाँ हमें मदद करने को तत्पर है। वो समझ जाती हैं कि वो हम सास -बहू को अकेली जान स्वाति को अपने सब्जबाग में फँसा हितैषी बनना चाह रहा है। जो इंसान अपन घर का सगा नहीं वो भला अड़ोस- पड़ोस का होगा । नोटिस कर रही थी कि संकेत को देखते ही बहू के चेहरे पर रोष व्याप्त हो जाते हैं और बेटा भी बाहर रहता है ऐसे में बहू मेरी अमानत है , उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी मेरी है । संकेत के बारे में हल्ला था कि वो रिश्तेदार की भाभियों पर बुरी नजर डालता है और बहुत ही बदनाम था , अपनी ही भाभी को इतना तंग परेशान कर दिया था कि उसके भैया को किराए के घर में ले जाकर  रखना पड़ा था । बिचारी ननद! ऐसी नाशपीटे औलाद से बेऔलाद रहती ।

ऐसा है ना संकेत! अब सारा सामान को बहू ऑनलाइन मँगा लेती है सब्जी भाजी राशन दूध बिग बास्केट वाला दे जाता है बाकी के कामों के लिए मैं हूँ ना ! टहलते हुए जाकर ला सकती हूँ इसीलिए तुम चिंता मत करो। स्वाति को अगले माह एमबीए की स्टडी करने हेतु  इंटरेंस टेस्ट देना  है इसलिए उसको मैं डिस्टर्ब नहीं करती और तुम भी मत आया करो। अब 8 महीने के बाद ही आना  तब तक विकास भी आ जाएगा। ठीक है मामी  जैसी आपकी आज्ञा  और अपना मुँह लेकर चला गया।

बाहर आ जाओ स्वाति बहू! चला गया है संकेत।

मैने उसको मना किया है आने को यहाँ ,तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाओ बेटा । स्वाति अपनी सास के सब कहे सुने को सुन चुकी थी , अपनी सूझबूझ से बेशरम को आने से तो रोका ही , साथ ही ऐसा तुका मारा का; कि   ""साँप भी मर गया और लाठी भी ना टूटा ।""

इनपुट सोर्स : अंजू ओझा, वरिष्ठ लेखिका, पटना।