नटिनी...

नटिनी...

फीचर्स डेस्क। अभी अभी सुधीर के दोस्त और उसकी पत्नी खाना खाकर निकले हैं ।सुधीर नेअपने  दोस्त और उसकी पत्नी को खाने पर निमंत्रित किया था।रात दस बज रहे थे।राजी थक कर चूर हो गई थी। सामने अर्ध वार्षिक परीक्षा की कापियों का बंडल पड़ा था।जिसे नियत समय पर देना था।अब कापियों को चेक करने की हिम्मत नहीं बची। सुबह से उठी राजी बच्चों ,पति का टिफ़िन , बच्चों को स्कूल के लिये तैयार करना और स्वयं की भी स्कूल के लिये तैयारी करना।शिक्षा विभाग के नियम भी जानलेवा।क्लास मे टीचर को खड़े होकर पढ़ाना  है छात्रों को।,चेयर ही हटा ली गई कक्षा से,लंच टाईम में छात्रों  की होम वर्क की कॉपी चेक करो।मशीन हो गई ज़िंदगी ।

सुधीर को अपनी तरफ देखते हुए राजी बोली"न बाबा आज नही।"बिस्तर पर लेटकर अपने पैरों को जोर से खींच  कर लम्बा किया ही था कि पांच साल की गुड़िया कूद कर राजी के पास आ गई और उसके गले में बाँहे डाल  कर बोली।

"माँ,आज न स्कूल मे कुछ गाँव (बंजारे)के लोग आये थे,उन्होने न बहुत से करतब दिखाये।"

"अच्छा क्या करतब दिखाए ?"सुधीर ने पूछा।

"दो तरफ डन्डे लगे थे,और बीच मे लम्बी सी रस्सी बँधी  थी।"गुड़िया पूरे मूड में आ गई,पलंग से उतर कर एक्शन के साथ बताना शुरु किया, "और न एक औरत उस रस्सी पर धीरे धीरे ऐसे-ऐसे चल रही थी।"

"जो औरत इस तरह रस्सी पर चलती है उसे क्या कहते हैं?"

"नटिनी कहते है बेटा"राजी ने कहा।

इनपुट सोर्स : सुनीता मिश्रा, भोपाल सिटी।"