इर्रेगुलर पीरियड्स से हैं परेशांन तो माने एक्सपर्ट की ये सलाह

 कुछ हार्मोनल गर्भनिरोधक जैसे कॉन्ट्रासेप्टिव पिल या इंट्रायूट्राइन सिस्टम भी इसका कारण हो सकता है कि पीरियड न हो या जरूरत से ज्यादा हो। जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज, डाइटिंग, वजन बढ़ना या घटना पीरियड ब्लीडिंग का समय बदल सकता है। कई बार इसकी वजह से ब्लीडिंग रुक भी जाती है.....

इर्रेगुलर पीरियड्स से हैं परेशांन तो माने एक्सपर्ट की ये सलाह

फीचर्स डेस्क। आजकल महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की समस्या आम हो गयी है। लम्बी खिचने पर ये समस्या गंभीर रूप ले सकती है। आप PCOS , PCOD या इनफर्टिलिटी तक का शिकार हो सकती हैं। एक्सपर्ट्स की अनुसार इसका मुख्य कारण शहरीकरण , स्ट्रेस फुल लाइफ, पौष्टिक आहार और व्यायाम की कमी है। लगभग  13 साल की उम्र से लेकर 55 साल तक महिलाओं की आम पीरियड साइकल 28 दिनों तक चलती है। इसमें 7 दिनों का बदलाव हो सकता है यानी पीरियड 7 दिन पहले भी आ सकता है और 7 दिन बाद में भी। लेकिन अगर आपकी साइकिल में 7 डेज के वेरिएशन से ज्यादा अंतर है तो मामला गड़बड़ है। ऐसे में आप को महिला चिकित्सक से संपर्क ज़रूर करना चाहिए।  हम भी इस समस्या की तह तक पहुंचने साथ ही डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट की और जानकारी लेने पहुंचे गायनकोलॉजिस्ट  मधु मिश्रा के पास आइये जानते हैं इसके कारण ,लक्षण और ट्रीटमेंट के बारे में

कब मानें कि आपका पीरियड है इर्रेगुअलर

नॉर्मल मेंस्ट्रुअल साइकल के दौरान अंडाणु ओवरी से रिलीज होते हैं। इस प्रोसेस को ऑव्युलेशन कहते हैं। अगर अंडाणु फर्टिलाइज नहीं होता है तो फिर हार्मोन लेवल में बदलवा होते हैं और शरीर को ये संकेत मिलता है कि उसे ब्लड और टिशू की परत जो यूट्रस में बन गई है उसे हटाना है। ये ब्लीडिंग आम तौर पर 4-5 दिन होती है और एक महीने बाद दोबारा रिपीट होती है। पीरियड ब्लीडिंग को अनियमित इन कंडीशंस में कहा जा सकता है तभी कहा जाएगा जब

1. जब ये 21 दिन से पहले रिपीट हो रही है।

2. जब साइकिल  8 दिन से ज्यादा लम्बा चल रहा हो।

3. ब्लीडिंग 90 दिनों के बाद भी न हो, यानी तीन पीरियड साइकल तक मिस हो जाए।

4. पीरियड काफी अलग और बहुत दर्दनाक हों।

5. पीरियड साइकल के बीच में भी स्पॉट आ जाएं।

6. पीरियड्स आम तौर पर देरी से आएं, 35 दिन से ज्यादा हो जाएं तब दूसरी बार पीरियड आए।

क्या हैं मुख्य कारण

प्री-टीन या टीनएज की उम्र से जब वयस्क होने की ओर लड़की बढ़ती है, तब पीरियड साइकल में बदलाव हो सकता है क्योंकि पहले कुछ साल हार्मोनल बदलाव होते हैं। यही कारण है कि उस समय हर मंथ शेड्यूल के हिसाब से पीरियड नहीं हो पाते हैं।

 उम्र से ही जुड़ा दूसरा कारण मेनोपॉज हो सकता है। 45-55 की उम्र में मेनोपॉज होता है और ऐसे समय में पीरियड का मिस होना, कम होना या जरूरत से ज्यादा होना आम बात हो सकती है।

कुछ हार्मोनल गर्भनिरोधक जैसे कॉन्ट्रासेप्टिव पिल या इंट्रायूट्राइन सिस्टम (intrauterine system (IUS)) भी इसका कारण हो सकता है कि पीरियड न हो या जरूरत से ज्यादा हो।

जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज, डाइटिंग, वजन बढ़ना या घटना पीरियड ब्लीडिंग का समय बदल सकता है। कई बार इसकी वजह से ब्लीडिंग रुक भी जाती है।

मेडिकल कंडीशन जैसे Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) रेग्युलर पीरियड और ऑवेल्युशन के प्रोसेस में दिक्कत खड़ी कर सकते हैं।

अगर स्ट्रेस है तो वो भी हार्मोनल बैलेंस बिगाड़ सकता है जिससे पीरियड मिस हो सकते हैं या फिर अनियमित पीरियड साइकल बन सकती है।

थायरॉइड डिसऑर्डर भी एक ऐसा कारण हो सकता है जिससे खून में थाइरॉइड हार्मोन बहुत ज्यादा बढ़ या घट जाता है। इससे पीरियड में दिक्कत होती है।

अन्य हेल्थ कंडीशन जैसे डायबिटीज, सेक्शुअली ट्रांसमिटेड बीमारियां, फाइब्रॉइड्स और अन्य खाने-पीने से जुड़े डिसऑर्डर कई बार पीरियड साइकल को बिगाड़ सकते हैं।

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डायगनोसिस और ट्रीटमेंट

अगर पीरियड नहीं आया है या फिर अनियमित है तो वही पहला संकेत है आप के लिए ये तय करने के लिए कि आपको मेडिकल चेकअप की जरूरत है। किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से इसके बारे में बात करें और अपनी समस्या के लिए सही ट्रीटमेंट शुरू करें। डॉक्टर चेकअप के बाद आप को सही तरीके से गाइड कर पाएंगी कहीं PCOS या PCOD तो नहीं या  थायरॉइड डिसऑर्डर की शुरुवात। वो महिलाएं जो मां बनना चाहें उन्हें ऑवेल्यूशन का टेस्ट करवा लेना चाहिए ताकि वो निश्चिंत हो सकें।मेडिकल टेस्ट और कंडीशन के आधार पर ही ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव्स दिए जा सकते हैं जो मेंस्ट्रुअल साइकल को सही करने में मदद करेंगे।

साथ ही डॉक्टर बताती हैं अगर स्ट्रेस की वजह से अनियमित पीरियड हो रहे हैं तो स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीक जैसे मेडिटेशन, योगा आदि किए जा सकते हैं। इसके अलावाओवर एक्सरसाइज और एक्सट्रीम डाइट से बचना चाहिए क्योंकि ये भी पीरियड साइकल में बदलाव का कारण हो सकते हैं।