लघु कथा: ये कैसी किस्मत

किस्मत से कम और किस्मत से ज्यादा कभी किसी को नहीं मिलता..

लघु कथा: ये कैसी किस्मत

फीचर्स डेस्क। आज घर में बहुत खुशनुमा माहौल था। हमारे घर मे हम दो बहनें एक भाई और माता पिता हैं। मम्मी ने कनिका से कॉलेज से छुट्टी लेने के लिए एक दिन पहले बोल दिया था।

दो चार दिन से घर मे साफ सफाई  का कार्यक्रम चल रहा था,दोनो बहनों में कनफूसी सी चल रही थी पर पता किसी को नही था,कि आखिर माजरा क्या है? और ऋषभ को तो कुछ लेना देना नहीं ।इस सब से मां ने पूछने पर बताया कि पापा के खास मित्र आगरा से आने वाले है, वो भी स पत्नी मां ने हिदायत दी कि जरा सलीके से घर पर एक दो दिन के लिए शान्ति रखना, कोई लडेगा नही।

कनिका तुम बड़ी हो अगर स्थिति आ भी जाये तो just ignore। कनिका आँखे फाड़ कर माँ की ओर देखे जा  रही थी, क्यूंकि सारी हिदायतें उसी को दी जा रही थी 

सो अगले दिन सुबह 9 बजे अंकल जी,आँटी जी के साथ अपनी गाड़ी से घर  पधारें।घर के सदस्यों द्वारा गर्मजोशी से किये गये स्वागत से गद गद  थे।आँटी जी घर की साज सज्जा को लेकर बार बार मम्मी की तारीफ कर रही थी,और मम्मी पापा की आँखो में देख कर मुस्करा रही थी,कि जैसा सोचा था,अब तक  वैसा ही हो रहा था।कनिका सब वॉच कर रही थी अब तक सारा माजरा उसकी समझ में आ गया था।

खैर,अंकल आँटी जी थोड़ा फ़्रेश होने के बाद नाश्ते के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठे तब तक कनिका और श्रेया ने नाश्ता टेबल पर लगा दिया था। और दोनों बहने चाय बनाने में व्यस्त हो गई उधर आंटी जी कनिका को ऊपर से नीचे पोस्टमार्टम वाली दृष्टि से देख चुकी थी ।बातो बातो  मे दोपहर से कब शाम हो गयी पता ही नही  चला। शाम को सभी का गंगा आरती देखने का प्लान था और उधर से ही अंकल आंटी की रवानगी भी, सो सभी उनके साथ घूमने चल दिये।पापा ने  अपनी गाड़ी निकाली और जानबूझकर कनिका को अंकल जी की गाड़ी मे बैठा दिया। अब कनिका असहज हो चली थी वह बार-बार यही सोच रही थी की जो मां बाप कभी किसी से बात नहीं करने देते थे आज में ही बेटी को दूसरों की गाड़ी में बैठने के लिए कैसे कह रहे हैं बातों बातों में उसे पता लगा की आंटी जी का बेटा अमेरिका की मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता है जो वहीं पर सेटल है

यह दोनों अपने बेटे के लिए बहू तलाश कर रहे हैं जो यही रह कर माता-पिता की सेवा कर सके कनिका की हालत काटो तो खून नहीं जैसी हो गई।  खैर वे दौनों चले गये।

एक हफ्ते बाद  उनका फोन आया कि कनिका उन्हें पसंद है।मम्मी मन ही मन में फूल कर रस्गुल्ला हुई जा रही थी और पापा बिटिया की किस्मत की दाद दे रहे थे।कनिका उदास हो गयी।उसके सपनो के पंख जैसे किसी ने कुतर दिये हो।वह उदास हो गयी।छोटी बहन श्रेया ने एक दो  बार जुबान खोली तो उसे डांट कर चुप कर दिया गया।

मां-बाप दोनों ही कनिका की किस्मत पर खुश हो रहे थे और कह रहे थे कि किस्मत होगी तो लड़का पहली ही बार में कनिका को साथ ले जाएगा पर कनिका सोच रही थी कि नहीं ले जाएगा तो क्या होगा कुछ दिन बीते ही थे किस फोन की घंटी घड घदाई  उधर से एक महिला की आवाज थी और मम्मी सुन रही थी तभी आंख से आंसू बहने लगे रिसीवर छूट गया और एक ही शब्द निकला किस्मत थी तो बच गई नहीं तो क्या होता हमारी बच्ची का बाद में मम्मा-पापा को बता रही थी कि  लडके ने पहले से वही पर शादी कर ली थी।मां बाप को बिना बताये।  

इनपुट सोर्स:  पूनम पांडेय