सपना

सपना

फीचर्स डेस्क। नाले के किनारे बनी  पक्की झुग्गियों  में से कोने वाली नीले रंग से पुती  झुग्गी  रामखेलावन की थी। सांझ हो चली थी।सभी झुग्गियों के बाहर अंगीठी के धुंएं आसमान की ओर दौड़ लगा रहे थे। रामखेलावन की पत्नी लक्ष्मी ने बाहर मिट्टी के बने चूल्हे में अलाव लगाकर पतीले में दाल चढ़ा दी और  सिलबट्टे पर प्याज की चटनी पीसकर एक तरफ रख छोड़ी। फिर उसने अंदर  जा कर आटे के डिब्बे में से कुछ आटा निकाला और एल्युमीनियम के थाल में गूंधने लगी। रामखेलावन फैक्ट्री से लौट चुका था।  अपनी साइकिल को  बाहर दीवार के सहारे खड़ा कर वहभीतर चला गया। उसने पानी के मटके से पानी निकाला और बाहर आकर कुल्ला करने के बाद अपनी 2 साल की बेटी  पूनम के साथ खेलने लग।

  " अरे लक्ष्मी सुनती हो आज  फोरमैन  ने बताया कि टोल टैक्स वाले फाटक पर अब महिलाओं को भी  रखने लगे हैं। तुम काम करना चाहती थी न। इसलिए मैंने साहब को  टोल के  ठेकेदार से तुम्हारी सिफारिश करने को कहा है।" रामखेलावन ने लक्ष्मी से कहा।

यह सुनकर लक्ष्मी के चेहरे पर मुस्कान फैल गई और उसकी आंखों में रामखेलावन को एक अलग से चमक नजर आने  लगी। शायद यह चमक लक्ष्मी के उस सपने की थी जो वह हमेशा देखा करती थी, पूनम को अच्छी परवरिश और शिक्षा देने का सपना। परंतु राम खेलावन की मामूली  से वेतन से यह संभव नहीं था और लक्ष्मी नौकरी करके अपना यह सपना पूरा करना चाहती थी । कुछ ही दिनों में लक्ष्मी को नियुक्ति पत्र मिल गया। पहले दिन लक्ष्मी ने  पूनम को  पड़ोसन के यहां छोड़ दिया था  फिर दो-तीन दिन रामखेलावन ने फैक्ट्री से छुट्टी ले ली। लेकिन समय  बीतने लगा और पूनम को कहा  छोड़ा जाए  यह समस्या लक्ष्मी एवं रामखेलावन को परेशान करने लगी । थक हार कर लक्ष्मी  ने  अगला  प्रबंध होने तक  पूनम को अपने साथ ले जाने का निश्चय किया। अगले दिन सुबह लक्ष्मी ने पूनम को अपने साथ ले जाने के लिए तैयार किया और समय पर ड्यूटी पहुंच गई । टोल टैक्स वाली चुंगी पर सभी के अपने छोटे-छोटे  केबिन  बने हुए थे।

आज लक्ष्मी वाले केबिन के टोल का डंडा खराब था इसलिए उसे  हटा दिया गया। कुछ लोग  तो रुककर फिर भी टोल टैक्स दे रहे थे परंतु कुछ लोग डंडा न होने के कारण बिना टैक्स दिए तेजी से निकल जाते।पूनम का मन छोटे से कैबिन में घबराने लगा थाऔर वह बाहर निकल आई। लक्ष्मी को भी यह जगह सुरक्षित लगती थी क्योंकि यहां पर यातायात खड़ा हो जाता था खेलते खेलते  पूनम उस जगह पर आ गई जहां से गाड़ियां गुजर रही थी। किसी रईसजादे ने टैक्स बचाने के लिए अपनी बड़ी गाड़ी तेजी से निकालने की कोशिश की। उसे सड़क पर खेलती हुई पूनम नजर नहीं आई। अत्यधिक स्पीड के कारण गाड़ी नियंत्रण से बाहर हो गई और पूनम गाड़ी से टकराकर दूर जा गिरी। उस लड़के  ने भाग जाने में ही अपनी जान की सलामती समझी। लक्ष्मी तो मानो जैसे जढ़वत  हो गई। और अगले ही पल बदहवास वह  पूनम की ओर दौड़ पड़ी। सभी लोग सड़क पर एकत्रित हो गए थे। पूनम के  नन्हे से प्राण पखेरू उड़ चुके थे। यह देख कर लक्ष्मी की  आंखें पथरा सी गई। उस दिन के बाद लक्ष्मी को कैबिन मे किसी ने नहीं देखा।

इनपुट सोर्स : ममता सोनी, वरिष्ठ लेखिका, नई दिल्ली।    '