महिलाओं और लड़कियों को सर्दियों की शादी -पार्टी में ठंडी क्यों नहीं लगती?

महिलाओं और लड़कियों को सर्दियों की शादी -पार्टी में ठंडी क्यों नहीं लगती?

फीचर्स डेस्क। हमारे एक परिचित बेहद परेशान दिखे तो हमने पूछ लिया कि ,"क्या बात है?"वो बोले हमारी और हमारी मित्र मंडली की एक गंभीर समस्या है कि महिलाओं को सर्दियों में ठंड क्यों नहीं लगती? रुकिये थोड़ा संशोधन कर दे महिलाओं और लड़कियों को सर्दियों की शादी -पार्टी में ठंडी क्यों नहीं लगती??"हमने कहा बस इतनी सी बात तो भई अब इसका उत्तर बहुत आसान भी है और बहुत मुश्किल भी। हम (हम से मतलब नारी वर्ग से है)सबको शादी समारोहों में सर्दी लगती है या नहीं लगती ये जानने से पहले कुछ और बातें भी जान ले तो समझना सहज हो जायेगा। जैसे ही  सर्दियों की किसी शादी पार्टी का निमंत्रण पत्र आता है पहला विचार जो दिमाग में आता है कि कब , क्या पहनेंगे?हो सकता है कुछ लोग कहें, "नाई ऐस नाई होत"तो हम बता दे हमरे और हमरी सहेलिन के होत है ,तुम्हारे तुम जानौ,  तुम हो वहैय वो क्या कहते है , अंग्रेजी में 'हाऊ बोरिंग'।इसके बाद  फिर कहीं नंबर आता है कि आखिर शादी  किसकी है ,किससे है ,क्यों है? ये प्रश्न बहुत बाद में सोचे जाते है । फिर ये सोचा जाता है कि इस पार्टी में कोई ऐसा तो नहीं होगा जिसने ये ड्रेस देखी हो वरना फिर अलमारी खोल के देखना पड़ेगा और यहीं मुँह से निकलता है कुछ है ही नहीं क्या पहने? पति देव सर धुन लेते है रखने को जगह नहीं और पहनने को कपड़े नहीं। अब ऐसा ही है क्या कर सकते है मुद्दा वहीं हम बहुत मजबूर है अपनी मूल प्रकृति से ।एक कहावत सुनी थी कि लड़की और पांडा को कभी ठंड नहीं लगती।हमको ये जमी तो नहीं पर भरी सार्दियों के मौसम में सिर से लेकर पांव तक फैशनेबल कपड़ों और गहनों में लदी लड़की को बिना स्‍वेटर के देखकर तो सच ही लगता है।

अब देखिये एक बाजार से दूसरे बाजार तक सत्तरों दुकानों के मालिकों को शाॅक में छोड़ कि भाई आपके पास लेटेस्ट नहीं है ,तब कहीं हम लोग एक बढ़िया ड्रेस खरीदते है अब वो भी कोई ना देखे तो नाइंसाफ़ी नहीं होगी,दो-चार जले-भुने ना,एक-आध ये ना कहे कि हमने भी यहीं लेने की सोचा थी ,अच्छा हुआ नहीं ली वरना काॅमन हो जाती ,यह कथन  जिससे उनकी प्रशंसा मिश्रित ईर्ष्या  झलकती हो, के लिये ही ,तो सब जतन किये जाते है । प्रशंसात्मक   निगाहों  और  खास प्रतिद्वंदियों की प्रतिक्रिया के लिये ही तो  हजारों फूंके जाते है।उस अनिर्वचनीय आनंद को तुम क्या जानो, रमेश,सुरेश दिनेश,राजेश बाबू ये तो केवल टीना,मीना,रिंकी,पिंकी ,टिंकी और हम ही बता सकते हैं  । अब भला शादी  हो और हाय! तुम्हारी साड़ी कितनी प्यारी है,ये नेकलेस कब लिया ,कितने तोले का है,अरे ये झुमके कहाँ से लिये? ये सब सुनने को हम लोग क्या ना कर,दे तो स्वेटर त्याग तो बेहद मामूली है।

वैसे एक अत्यंत रोचक शोध बताता है कि महिलाओं को ठंड ज्यादा लगती है,पर हमें पता है ये विदेशी साजिश है,षडयंत्र है हमारी शादियों की रंग-बिरंगी रौनकों को स्वेटर,मोजा,टोपा में पैक करने की। हमारी अपील है अपनी सखियों से  इसमें कतई ना फंसे,।उन वीर-बालाओं को देख हिम्मत,साहस बटोरे जो माघ के महीने में भी स्लीवलेस ड्रेस विध बाजूबंद नज़र आती है। हमें गर्व है उनकी वीरता पर। एक सच्ची घटना बता रहे है हमारी एक दीदी एक ऐसे ही समारोह में बार-बार शाल ओढ़े फिर तहा के धर दे ,फिर ओढ़े फिर धर दे,जब यह प्रक्रिया छः बार निजनैनन से देखी तो हमने कहा दीदी ठंडी लग रही है तो ओढ़ लो,शाल भी  तो बड़ी सुंदर है।" वो बोली," इतनी देर से यहीं सुनने को कान तरस गये थे ,असल में शाल भी नयी है और साड़ी भी।अब हम नहीं ओढ़ेगें ,तुमने बता ही दिया कि सुन्दर है।"हम भौंचक उनका मुँह ताकते रह गये।

ये तो कुछ नहीं एक जबरदस्त किस्सा सुना कि   ठंड में ठिठुरते देख कर,दो महिलाओं को जब कंबल देने की कोशिश की गयी तो वो गुस्सा कर बोलीं:जाइए काम करिए अपना, हम गरीब नहीं हैं,हम तो शादी में जा रहे हैं…!।"सजना संवरना तो लड़कियो का जन्मसिद्ध अधिकार है अब वो इसमें उच्चतम स्तर तक पहुँच गयी तो से कुछ गलत तो नहीं है एक शायर भी तो यहीं कह गये है

"वो आँख क्या जो आरिज़ ओ रुख़ पर ठहर न जाए,
   वो जल्वा क्या जो दीदा ओ दिल में उतर न जाए।
          
एक राज की बात बताते है काहे से हम भी तो हुसियार है हमने एक जबरदस्त तरीका निकाला है जिससे फैशन भी ना बिगड़े और दांतों का आर्केस्ट्रा भी ना बजे । हम महतारी-बिटिया ने शोध करके खूब सुन्दर वेलवेट के और सिल्क  ब्लाउज बनवाये पौन  और फुल आस्तीन के ,अब शान से बढ़िया साड़ी झमक के पहनते है ,सर्दी का स भी पास नहीं फटकता।अभी पेटेंट नहीं लिया है जल्दी जल्दी जिसको आजमाना हो आजमा ले,वरना क्या पता हम पेटेंट करा ले तो कल को हमसे अनुमति लेनी पड़े। और हां  सनद रहे,कुछ बात तो है । आश्चर्यजनक किन्तु सत्य है कि 

     
'ठंड की शादी में अक्सर लड़कियां कुछ तूफानी कर जाती है। 
 चाहे कितना ही क्यूं गिर ना जाए पारा ,वो बन-ठन कर ही शादी में जाती है ।'

इनपुट सोर्स : आकांक्षा दीक्षित, लखनऊ।