गदा लेकर क्यों चलते हैं बागेश्वर धाम के पं. धीरेंद्र शास्त्री? कभी एक वक्त की रोटी नहीं होती थी नसीब फिर कैसे पहुंचे यहाँ तक

गदा लेकर क्यों चलते हैं बागेश्वर धाम के पं. धीरेंद्र शास्त्री? कभी एक वक्त की रोटी नहीं होती थी नसीब फिर कैसे पहुंचे यहाँ तक

लखनऊ। पिछले कुछ दिन से मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम सरकार पं. धीरेंद्र शास्त्री खासा चर्चा में हैं। 2 दिन से तो कई टीवी चैनल वाले इनको लेकर डिबेट भी कर रहें हैं तो कई टीवी चैनल पर पं. धीरेंद्र शास्त्री खुद सफाई देते भी दिख रहें हैं। पं. धीरेंद्र शास्त्री चर्चा में उस दिन आए जब नागपुर में चल रही कथा को 2 दिन पहले ही बंद कर के वहाँ से बागेश्चर धाम सरकार लौट आए। पं. धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लग रहा है। बता दें कि नागपुर की अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति ने कहा कि जब बागेश्चर धाम सरकार को चमत्कार साबित करने के लिए चुनौती दी गई है तो कथा बीच में ही छोड़कर वह चले गए। 

मीडियाकर्मियों के सामने चमत्कार करने का किया दावा

हालकि पं. धीरेंद्र शास्त्री के एक बयान में यह भी सुनने को मिला कि  उन्होंने चुनौती देने वालों को रायपुर बुलाया। दरअसल, रायपुर में पं. धीरेंद्र शास्त्री की रामकथा चल रही है। बात यही नहीं रुका है शुक्रवार को पं. धीरेंद्र शास्त्री ने कई मीडियाकर्मियों के सामने चमत्कार करने का दावा किया। एक नेशनल न्यूज चैनल के रिपोर्टर के चाचा का नाम लेकर मंच से बुलाया।

पं. धीरेंद्र शास्त्री के पास कोई दिव्य शक्ति है

बागेश्वर धाम सरकार पं. धीरेंद्र शास्त्री की जब कहीं पर कथा होती है वहाँ पर भक्त अपनी समस्याएं लेकर आते हैं। समस्या सुनने के बाद उनका पूरी तरह समाधान होता है, ऐसा कहना है पं. धीरेंद्र शास्त्री की। बागेश्वर धाम सरकार का तो यह भी दावा है कि भूत, प्रेत से लेकर बीमारी तक का इलाज कथा में होता है। आपको बता दें कि बाबा के समर्थक यह भी दावा करते हैं कि बागेश्वर धाम सरकार इंसान को देखते ही उसकी हर तरह की परेशानी जान लेते हैं और उसका समाधान करते हैं।

क्या है बागेश्वर धाम का इतिहास?

सबसे पहले बागेश्वर धाम का इतिहास भी जानना जरूरी है। बागेश्वर धाम की बात करें तो यह मध्य प्रदेश के छतरपुर के पास एक जगह है गढ़ा यहीं पर बागेश्वर धाम सरकार मंदिर है। इस मंदिर में हर मंगलवार को बालाजी हनुमान जी के दर्शन को भारी भीड़ उमड़ती है। यही से शुरू होता है इस दरबार की कहानी जब लोग बागेश्वर धाम सरकार के नाम से पुकारने लगे। ये मंदिर सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है। 1986 में इस मंदिर का रेनोवेशन कराया गया था। 1987 के आसपास यहां एक संत बब्बा जी सेतु लाल जी महाराज आए। इनको भगवान दास जी महाराज के नाम से भी जाना जाता था। धाम के मौजूदा प्रमुख पं. धीरेंद्र शास्त्री भगवान दास जी महाराज के ही पौत्र हैं। 

कौन हैं पं. धीरेंद्र शास्त्री

बता दें कि इस समय बागेश्वर धाम की बागडोर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पास है। इनके जन्म स्थान की बात करें तो पं. धीरेंद्र का जन्म 1996 में छतरपुर (मध्य प्रदेश) जिले के गड़ागंज गांव में हुआ था। इनका पूरा परिवार अभी भी गड़ागंज में ही रहता है। पं. धीरेंद्र शास्त्री के दादा पं. भगवान दास गर्ग भी इस मंदिर के पुजारी रहे। कहा जाता है कि पं. धीरेंद्र का बचपन काफी कठिनाई में बीता। जब वह छोटे थे तो परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि एक वक्त का ही भोजन मिल पाता था। पं. धीरेंद्र शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग और मां सरोज गर्ग है। धीरेंद्र के छोटे भाई शालिग्राम गर्ग जी महाराज हैं। वह भी बालाजी बागेश्वर धाम को समर्पित हैं। मीडिया रिपोर्ट्स कि मानें तो पं. धीरेंद्र शास्त्री ने 11 साल की उम्र से ही बालाजी बागेश्वर धाम में पूजा पाठ शुरू कर दी थी।

गदा लेकर क्यों चलते हैं बागेश्वर बाबा?

बागेश्वर धाम प्रमुख पं. धीरेंद्र शास्त्री हमेशा एक छोटी गदा लेकर चलते हैं। उनका कहना है कि इससे उन्हें हनुमान जी की शक्तियां मिलती रहती हैं। वह हनुमान जी की आराधना करने के लिए लोगों को प्रेरित भी करते हैं। पं. धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं कि वह किसी तरह का कोई चमत्कार नहीं करते हैं। वह तो सिर्फ बालाजी हनुमानजी के सामने लोगों की अर्जियां लगाते हैं। जिसे बालाजी स्वीकार कर लेते हैं। इससे आम लोगों को फायदा होता है। अंधविश्वास का विवाद सामने आने के बाद भी पं. धीरेंद्र शास्त्री ने सफाई पेश की। उन्होंने कहा कि वह अपने दरबार में किसी को बुलाते नहीं हैं। लोग खुद की मर्जी से आते हैं। वह तो सिर्फ लोगों की अर्जियों को भगवान के सामने रखते हैं। बाकी सबकुछ भगवान की तरफ से ही होता है।