“शक्ति स्वरूपा” : स्कूल में बच्चियों के लिए पैड बैंक लगवाया, अब गुड्डी महिलाओं के बीच जाकर जगा रहीं हैं अलख

गुड्डी कहती हैं कि जब मैंने उच्च विद्यालय सिंधिया को शिक्षिका के रूप में पदभार ग्रहण किया तब मैंने अपने विद्यालय में बच्चियों को देखा की माहवारी स्वच्छता पर उन्हें दिशा दर्शन देना काफी अनिवार्य है। क्योंकि मैंने महावारी स्वच्छता पर राज्य से प्रशिक्षण भी प्राप्त किया तथा मास्टर ट्रेनर...

“शक्ति स्वरूपा” : स्कूल में बच्चियों के लिए पैड बैंक लगवाया, अब गुड्डी महिलाओं के बीच जाकर जगा रहीं हैं अलख

 फीचर्स डेस्क। चैत्र नवरात्रि का आज चौथा दिन दिन है। ऐसे में हर साल की तरह इस साल भी focus24news ने देश के उन “शक्ति स्वरूपा” की कहानी लेकर आया है जो आज समाज में लड़कियों और महिलाओं के लिए अपना समय निकाल कर उनको आत्मनिर्भर, हुनरमंद और उनके स्वास्थ्य के लिए काम कर रहीं हैं। तो आइए जानते हैं आज कि हमारी “शक्ति स्वरूपा” स्पेशल सीरीज में बिहार की कुमारी गुड्डी के बारें में कुमारी गुड्डी बालिका शिक्षा एवं ग्रामीण क्षेत्र में बच्चियों के स्वास्थ्य के लिए 2013 से ही काम कर रही हैं। गुड्डी कहती हैं कि जब मैंने उच्च विद्यालय सिंधिया को शिक्षिका के रूप में पदभार ग्रहण किया तब मैंने अपने विद्यालय में बच्चियों को देखा की माहवारी स्वच्छता पर उन्हें दिशा दर्शन देना काफी अनिवार्य है। क्योंकि मैंने महावारी स्वच्छता पर राज्य से प्रशिक्षण भी प्राप्त किया तथा मास्टर ट्रेनर के रूप में जिले में कालेज भी कर रही थी तो मुझे एहसास हुआ कि ग्रामीण क्षेत्र में बच्चियों को एवं महिलाओं को इसके बारे में मार्गदर्शन देना काफी आवश्यक है।

गुड्डी कहती हैं जब मैंने केस स्टडी के रूप में कुछ बच्चियों से उनकी आपबीती सुनी और माहवारी के बारे में जो मिथ्या धारणाएं उनके मन में बैठी हुई थी तथा वे दबी एवं सकुचाई हुई थी उस दशा से इनको बाहर निकालना काफी अनिवार्य था। मैंने बच्चों की काउंसलिंग की एवं सबसे पहले उन्हें इन दिनों में किस प्रकार से स्वच्छ रहना है कैसे कपड़े या पैड यूज करना है तथा उन दिनों में घरों में बंद रहना है जैसे अंधविश्वास को तोड़ना आदि कार्यों में पहल की। इसका परिणाम यह हुआ कि बच्चे मुझसे खुलकर बात करने लगी और मैंने विद्यालय में ही एक पैड बैंक की स्थापना की जिससे बच्चियां आकर पैड लेकर जाती थी।

बच्चियों के साथ-साथ महिलाओं को किया जागरूक

गुड्डी बताती हैं अब मैंने बच्चियों के माध्यम से उनकी माताओं से संपर्क करना शुरू किया। लंच के बाद मैं बच्चियों के साथ उनके घरों में जाने लगी और माताओं को अपनी बच्चियों के लिए किस प्रकार से उन दिनों की तैयारी करनी है तथा उन्हें सहज रखना है किस प्रकार से भाई एवं पिता की मदद लेनी है आदि बातों पर खुलकर चर्चा करने लगी। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र है इसलिए पहले तो वह खुलकर बोलने में हिचकिचा रही थी पर मेरे द्वारा प्रेरित करने के बाद एवं मार्गदर्शन करने के बाद माताजी भी खुलकर बात करने लगी। यह मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी कि जिस चीज को ग्रामीण क्षेत्र में धक्का छुपकर रखने की प्रथा थी वह अब चर्चा का विषय था।

विद्यालय में किशोरी मंच की स्थापना

लगातार 7 सालों तक मैं अपने विद्यालय से बच्चियों के लिए पैड की व्यवस्था कर रही थी एवं बच्चियां उन दिनों में विद्यालय आने से हिचकिचाती थी पर मेरे द्वारा पैड बैंक की स्थापना के बाद अब वह विद्यालय से अनुपस्थित होना छोड़ने लगी तथा पैड की आवश्यकता पड़ते साथ मेरे पास ही दौड़ कर आती थी। पर मैंने यहां एक काम और किया बच्चों के अंदर मैंने नेतृत्व क्षमता का विकास करना शुरू किया। बैंक की व्यवस्था एवं जिम्मेदारी मैंने बच्चों को ही दे दी। मेरे विद्यालय में मैंने किशोरी मंच की स्थापना की हुई है। किशोरी मंच की प्रमुख पांच बच्चियों को मैंने यह जिम्मेदारी सौंप दी और वह अपनी सहेलियों के साथ जिसे भी टेडी की आवश्यकता पड़ती थी उनके द्वारा ही वितरण किया जाता था और प्रत्येक शनिवार को विद्यालय में माहवारी स्वच्छता पर काउंसलिंग क्लासेज की व्यवस्था की गई जिसमें माताओं को भी आमंत्रण दिया जाता था और खुलकर इन दिनों की स्वच्छता पर बातें होती थी।

काउंसलिंग क्लास की कराया शुरुवात

गुड्डी ने बताया कि अभी हाल ही में अपने किशनगंज जिले की दो सुप्रसिद्ध लेडी डॉक्टर जो कि सरकारी अस्पताल में पदस्थापित हैं डॉक्टर कुमारी उर्मिला एवं डॉ सागरिका वैद्य की काउंसलिंग क्लास की व्यवस्था मैंने अपने विद्यालय में की जिसमें सिंघिया गांव से सारी महिलाओं को भी आमंत्रित किया गया एवं मेरे विद्यालय की छात्राओं ने तथा अगल-बगल के विद्यालय की छात्राओं ने आकर इस काउंसलिंग क्लास का दोनों महिला चिकित्सकों के मार्गदर्शन का पूरा लाभ उठाया। मैंने फरवरी माह में सैनिटरी पैड मशीन एनजीओ नोवा जेएसआर के द्वारा लगवाया है। अब बच्चियों को पैड लेना और भी सुलभ हो गया है। मेरे इस कार्य की लपेटने पुणे सिंधिया के साथ-साथ अन्य ग्रामीण क्षेत्र में भी व्यापक विस्तार ले लिया है।

गुड्डी का कहना है कि मेरे इस कार्य की चर्चा सरकारी शिक्षा विभाग मैं भी फैल गया है एवं किशनगंज जिले के जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा मेरे कार्य का उल्लेख कर हर विद्यालय को कहा गया कि मेरे कार्यों से प्रेरणा देखकर अपने-अपने विद्यालयों में इसी प्रकार बच्चियों के स्वास्थ्य के लिए कार्य करें एवं सैनिटरी पैड मशीन लगाने की पहल करें। मैंने यह काम अपने सरकारी विद्यालय या अपने सिंह या गांव तक ही सीमित नहीं रखा है बल्कि प्राइवेट स्कूलों में भी तथा पासवान टोला के बच्चियों के बीच में भी जाकर इसका अलख जगाया है। मेरे इस कार्य में मुझे व्यवहार न्यायालय की डिस्ट्रिक्ट जज का भी काफी सहयोग मिला जो मेरे इस मुहिम में मेरे साथ विद्यालय में जाकर बच्चियों का मार्गदर्शन करने में पहल किए।