Inspirational Story: मिलिए इस शिक्षिका से, जिसने अपने फर्ज को निभाने के लिए किया कड़ा संघर्ष

यूपी के सरकारी स्कूल की एक शिक्षिका जिसने स्कूल की जर्जर हालत को आधुनिक क्लास में तब्दील किया। जो कि इतना आसान नहीं था। किया कई वर्षों का सफर तय। आइए जानते है उनके संघर्ष की कहानी.....

Inspirational Story: मिलिए इस शिक्षिका से, जिसने अपने फर्ज को निभाने के लिए किया कड़ा संघर्ष

फीचर्स डेस्क। सुमन भाल अजबपुर मंगावली की टीचर जिन्होंने बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए सरकारी मदद की प्रतीक्षा नहीं की। उन्होंने अपने दम पर बच्चों का भविष्य बदलने का सोचा और पूरा प्रयास किया कि गांव का हर बच्चा शिक्षित हो। ये कार्य भी किसी देश सेवा से कम नहीं। टीचर देश के भविष्य को तैयार करती है अपनी शिक्षा रूपी ताकत से। शिक्षा रूपी मशाल हर बच्चे के मन में जागती रहे उसके लिए एक टीचर कुछ भी कर गुजरता है ये आपको सुमन भाल की कहानी से स्पष्ट हो जाएगा। आइए जानते है सुमन भाल के संघर्ष की कहानी उन्हीं की जुबानी।

ऐसे की स्कूल की शुरुवात

अजबपुर मंगावली गांव के बारे में सुमन बताती है कि ऐसा कोई गांव असल में बसा ही नहीं था। सिर्फ सरकारी रिकॉर्ड में ये गांव था। स्कूल की बिल्डिंग बहुत जर्जर हालत में थी ना ही ज्यादा लोग यहां रहते थे। दूर दूर तक सिर्फ जंगल और खेत थे। स्कूल में एक दो बच्चे ही आते थे। सुमन ने बच्चों के पेरेंट्स से बात की और आश्वासन दिया कि बच्चों को सुरक्षित वो लेकर आएंगी स्कूल और घर भी पहुचाएंगी। बच्चों के पेरेंट्स को समझाना आसान नहीं था। सुमन ने कई बार किराए पर टैक्सी लेकर बच्चों के आने जाने की व्यवस्था की। ताकि किसी तरह बच्चे स्कूल तो आएं। धीरे धीरे बच्चों के पेरेंट्स भी मान गए। बाद में सुमन अपनी गाड़ी से बच्चों को लाने ले जाने लगी। पेरेंट्स भी बच्चों को स्कूल भेजने लगे। सुमन ने अपने प्रयासों से स्कूल की मरम्मत करवाई। धीरे धीरे सुमन की मेहनत रंग लाई और स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ने लगी।

विभिन्न कार्यक्रमों से किया बच्चों को अट्रैक्ट

एक तो बच्चों को स्कूल तक लाना बड़ा टास्क था। फिर बच्चों का मन स्कूल में लग सके, इस पर भी काम करना था। सुमन के रास्ते में मुश्किलें बहुत थी पर उन्होंने सभी का सामना किया। विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जैसे योग, संगीत की शिक्षा और भी कई एक्टिविटी प्रोग्राम रखे गए। रोजगार पर शिक्षा भी दी गई बच्चो को जो बच्चों को भावी जीवन के लिए तैयार करेगी ।

जिससे बच्चे अट्रैक्ट हो और स्कूल आए। अब तो स्कूल का अपना एक अलग बैंड है जो बड़े बड़े प्राइवेट स्कूल्स के बच्चों को अच्छा खासा कंपटीशन देता है।

बच्चों की मदद से चलाते है कई अभियान

सुमन बताती हैं कि बच्चों द्वारा समय समय पर कई सामाजिक जागरूकता अभियान चलाए जाते है। एक गांव को हमने इन्हीं अभियानों की वजह से पॉलीथीन मुक्त बनाया है। इसके लिए बच्चों ने अपने हाथ से कपड़े के थैले बनाए और दुकानों में बांटे। घर घर बांट कर आए ताकि लोग पॉलीथीन का इस्तेमाल न करें। साथ ही बच्चों ने पार्क में खुले मैदान में पौधारोपण भी किया है।

कई अवॉर्ड जीत चुके है बच्चे

सुमन बच्चों की प्रतिभा को निखारती रहती है और बच्चे भी अपना टैलेंट दुनिया को दिखा सके इसके लिए सुमन अपने खर्चे पर बच्चो को दूर दूर तक प्रतियोगिता में हिस्सा दिलाने के लिए लेकर जाती है। अभी हाल ही में सुमन के स्कूल की 3 छात्राओं का चयन ऑल इंडिया टैलेंट हंट टीवी शो में भी हुआ।

सुमन को इससे क्या लाभ मिलता है इस सवाल पर सुमन कहती है कि बच्चे जब अवार्ड जीत कर लाते है तो वो खुशी दुनिया के किसी भी अवार्ड से ज्यादा है। ऐसा लगता है मानो मेरा ही बच्चा जीत कर आया हो।

कोरोना काल में भी काम को रुकने न दिया

सुमन कहती है कि कोरोना काल में जब सभी घरों में कैद होकर रह गए थे तो उन विषम परिस्थितियों में भी हमने अपने बच्चों की पढ़ाई की तारतम्यता को बनाए रखा। 25 मार्च 2020 को मैंने ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन आरंभ किया , जिसमें प्रतिदिन नए एप्स का प्रयोग कर वीडियो बनाई गई जिसमें बच्चे सुलभता और आनंदित होकर सीख पाए। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों व अभिभावकों को कोरोना काल में सकारात्मक रखने हेतु समय-समय पर काउंसलिंग डॉ राजेश कुमार (एच.ओ.डी) पटना एम्स द्वारा कराई गई l

सुमन बताती है कि अचानक विद्यालय बंद हो जाने के कारण बच्चों पर पर्याप्त मात्रा में पुस्तक नहीं थी, जिसके समाधान हेतु मैंने कक्षा बार क्यूआर कोड का एक गार्डन तैयार कर बच्चों के मोहल्ले में लगाया साथ ही वर्कशीट भी तैयार कर बच्चों तक पहुंचाई। सुमन ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय में ग्रामर हेतु इंग्लिश व हिंदी में कोई पुस्तक नहीं होती। इसलिए मैंने कोरोना काल में बच्चों के लिए इंग्लिश ग्रामर की एक बुकलेट तैयार की साथ ही हिंदी व्याकरण को काव्य रूप में परिवर्तित किया जिसका नाम रखा काव्य धारा व्याकरण।हमने इसमें हिंदी व्याकरण को  कविताओं के रूप में तैयार किया और बच्चों तक पहुंचाया।

सुमन भाल के इस जज्बे को हमारा सलाम। अगर भारत देश के सभी शिक्षक ऐसा ही सोचे तो आज एक भी बच्चा चाहे वो छोटे से छोटे गांव का ही क्यों न हो, अनपढ़ नहीं रहेगा।