ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए प्रोनिंग एक्सरसाइज करने का क्या है सही तरीका , जानिये एक्सपर्ट से
पेट के बल लेट कर ऑक्सीजन लेवल बढ़ने का क्या है सही तरीका। इसको करते समय किन बातो का ध्यान रखना चाहिए , सभी Dos एंड Don’ts के बारे में जानने के लिए पढ़े पूरा आर्टिकल
फीचर्स डेस्क। कोरोना काल में अफवाहों का बाजार गर्म है , व्हाट्सप्प यूनिवर्सिटी के पास हर बात हर बात का हल है पर जब बात आपकी सेहत की हो तो डबल चेक करना बहुत ज़रूरी हो जाता है। हर मेडिसिनल प्रोसेस का एक तरीका होता है, कई सावधानिया होती है जो बरतनी होती है। आजकल पेट के बल लेट कर ऑक्सीजन लेवल के बढ़ने की खूब चर्चा है, लोगो को फायदा भी हो रहा है। पर इसे करने का सही तरीका क्या है ? जिससे मैक्सिमम बेनिफिट और जीरो कम्प्लीकेशन, इस पर फोकस हर लाइफ की टीम ने बात चीत की पलमोनरी सीनियर कंसलटेंट डॉ. पीयूष गोयल से , आइये जानते हैं।
क्या है प्रोनिंग?
प्रोनिंग एक तरह की पोजीशन है जो सांस लेने में आराम और ऑक्सीजन लेवल में सुधार करने के लिए मेडिकली प्रूव्ड है। इसमें मरीज को पेट के बल लिटाया जाता है। यह प्रक्रिया 30 मिनट से 2 घंटे की होती है। इसे करने से लंग्स में ब्लड सकुर्लेशन इम्प्रूव होता है जिससे ऑक्सीजन फेफड़ों में आसानी से पहुंचती है और लंग्स अच्छे से काम करने लगते हैं।
इसे करने का सही तरीका
प्रोनिंग के लिए आप को लगभग 4 से 5 तकियों की ज़रूरत पड़ेगी तो इनको रेडी रखें।
सबसे पहले पेशेंट बिस्तर पर पेट के बल लेट जाएं।
एक तकिया गर्दन के नीचे सामने से रखें।
फिर एक तकिए गर्दन और छाती के नीचे रखें।
पेट के नीचे बराबर में एक तकिया रखें।
बाकी के दो तकियों को पैर के पंजों के नीचे दबाकर रख सकते हैं।
ध्यान रखें इस दौरान कोविड पेशेंट को गहरी और लंबी सांस लेते रहना है।
ये पोजीशन अपनी सुविधा के अनुसार 30 मिनट से लेकर करीब दो घंटे तक बना कर रखें।
इस स्थिति में रहने से मरीज को बहुत आराम मिलता है। लेकिन ध्यान रहे, 30 मिनट से दो घंटे के बीच पेशेंट की पोजीशन बदलना जरूरी है। इस दौरान मरीज लेफ्ट या राइट साइड करवट लेकर लेट सकते हैं।
क्या ना करें
खाने के एक घंटे के बाद तक प्रोनिंग से बचें।
तकियों का इस्तेमाल ज़रूर करें।
लगातार ऑक्सीमीटर यूज़ करते रहे, जिससे इम्प्रूवमेंट पता लगे।
टाइमिंग और पेशेंट के कम्फर्ट का ध्यान रखें , जबरदस्ती ना करें।
आराम ना मिलने पर अपने डॉक्टर को कांटेक्ट करें।
रामबाण है प्रोनिंग
ऑक्सीजनेशन में इस प्रोसेस को 80 प्रतिशत तक सफल माना जा रहा है। डॉ.गोयल के मुताबिक जैसे ही मरीज को सांस लेने में तकलीफ महसूस हो, तो अस्पताल भागने के बजाय समय रहते इस प्रक्रिया को अपना लेना चाहिए। इससे हालत बिगडऩे से बचाई जा सकती है। होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों के लिए प्रोनिंग काफी मददगार है। इससे आईसीयू में रहने वाले मरीजों में अच्छे रिजल्ट्स देखने को मिले हैं।