अनुपमा सिरीयल में दिखाया जा रहा रिश्तों का घिनौनापन

अनुपमा सिरीयल में दिखाया जा रहा रिश्तों का घिनौनापन

फीचर्स डेस्क। अनुपमा सिरीयल बन्द होना चाहिए क्योंकि इस सिरीयल में एक के बाद एक रिश्तों का जो घिनौनापन दिखाया जा रहा है वो कतई बर्दाश्त के लायक नहीं है क्योंकि बच्चे भी देखते इस सिरीयल को बहुत चाव से। समझ नहीं आता इस सिरीयस के लेखक का उद्देश्य क्या है ? आखिर वो इस सिरीयल के माध्यम से संदेश क्या देना चाहते है ? बड़े पर्दे में दिखाया गया गलत अगर समाज पर असर करता है तो इस तरह के सिरीयल में दिखाया जा रहा एक के बाद एक रिश्तों का पतन , घटियापन घर पर असर करता है। रिश्तों में गिरावट तो दिखा ही रहे है साथ ही तलाक इतने स्टाइल से करवा रहे हो मानो रिश्ते न हो गये खिलौना हो गया खेला और मन भर गया तो फेंक दिया । बच्चे बदतमीजी की हद पार करते है , एक अनुपमा सुपरस्टार है जो एक सेकेंड मे यहा होती है तो एक सेकेंड में वहां , कभी थकती ही नहीं बेचारी पता नहीं किस सिमेंट से बनी है अनुपमा मैडम जरूर अंबुजा सिमेंट से बनी है वो , इतने डायलाग मारती है इतने डायलाग मारती है जी करता है उसके डायलाग के पन्ने फाड़ दू , कभी इसका अफेयर तो कभी उसका अफेयर , बाबूजी जो घर के सबसे बड़े है वो सब चुपचाप देखते रहते है एक कोने में खड़े होकर , बा का तो खैर कहना ही क्या समाज का सबसे असली चेहरा है वो शायद ।

सिरीयल में किसी की नौकरी नहीं है , सब बता रहे है वो गरीब है पर हर फेस्टिवल राजा महाराओं की तरह सेलिब्रेट कर रहे है , एक से बढ़कर एक ड्रेस एक से बढ़कर एक ज्वेलरी एक से बढ़कर एक सजावट । साड़ी , कपड़े , ज्वेलरी कभी रिपीट नहीं होती इस रईस गरीबों की बेचारे इत्ते गरीब है ।  अगर गरीब हो तो इ पैसे कहा से आते है बे । अरे भाई कुछ तो लाजिक दिखाओ । मने मनोरंजन के नाम पर कुछ भी सड़ा गला परोसते रहोगे । अब तो बन्द कर दो सिरीयल । न तो कोई सिर है न कोई पैर है इस सिरीयल का बस खिंचे जा रहे है खिंचे जा रहे है ।

अगर फिल्मों का बायकाट हो ही रहा है तो इस तरह के घटिया सिरीयलस का भी बायकाट होना चाहिए ।ताकि गन्दगी पुरी तरह से साफ हो सके ।

इनपुट सोर्स : रूबी प्रसाद, लेखिका।