दस साल का वनवास- पार्ट - 1

दस साल का वनवास- पार्ट - 1

फीचर्स डेस्क। "कुछ तो था उसकी आंखों में, कुछ अलग सा......"। तभी तो पहली बार उससे मिलते ही.. मैं, उसकी झील सी गहरी आंखों में खो गई थी। आज भी वो दिन याद है जब दरवाजे पर उसने दस्तक दी थी और मैंने दरवाजा खोला तो... वह, मुझे देखकर बड़े ही तहजीब से बोला, " मैं आपके बगल वाले फ्लैट में कल ही शिफ्ट हुआ हूं। अभी यहां नया हूं तो आपसे मुझे एक हेल्प चाहिए।

मैंने सकपकाते हुए कहा, "जी.. जी जरूर कहिए, मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूं"? जाने उसकी आंखों में क्या कशिश थी?, जो मैं उससे आंखें मिला ही नहीं पा रही थी, शर्म से मेरी आंखें बार - बार झुक जा रही थी।

" मैंने यहां पास वाले अंबेडकर काॅलेज में एडमिशन लिया है। मैं बीटेक फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट हूं। खाना बनाने के लिए रसोईया ढूंढ रहा हूं अगर इस अपार्टमेंट में या आपके घर कोई रसोइया काम करता हो तो आप मुझे उसका नंबर दे दीजिए।," उसने कहा।

"जी आपका नाम..?" मैंने पूछा।

" मेरा नाम नीलेश बोहरा है।", उसने अपना नाम बताते हुए कहा।

"मेरे यहां तो रसोइया काम नहीं करता, हां पद्मा दीदी के घर रसोईया है और उसे काम की भी जरूरत है। मैं आपको पद्मा दी से नंबर पूछ कर देती हूं।", मैंने कहा।

"सुनिए, अगर आपको तकलीफ न हो तो आप मेरा नंबर नोट कर लीजिए, मैं अभी ब्रेकफास्ट करने के लिए बाहर जा रहा हूं। मेरे नंबर पर आप रसोइए का नंबर मैसेज कर दिजिएगा।", नीलेश ने कहा।

न जाने उसकी बातों में क्या जादू थी, जो मैंने तुरंत हां कर दी। ये भी नहीं सोचा कि ये कहीं नंबर लेने का बहाना तो नहीं था जैसा की आजकल के लड़के, लड़कियों के नंबर जानने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाते हैं। पता नहीं क्यूं मुझे उसकी आंखों में सच्चाई दिखी।

वो नंबर देकर चला गया और मैंने उसके नाम से नंबर सेव कर लिया। दरवाजा बंद कर अंदर आई तो पापा ने पूछा, "कौन था बेटा?"

मैंने उन्हें बताया कि बगल वाले फ्लैट में नया किरायेदार रहने आया है, उसे कुछ मदद चाहिए था तो उसी के लिए आया था।

"अरे हां, शर्मा जी बोल रहे थे कि चार बैचलर लड़के इस फ्लैट में रहने वाले है। पहले तो बैचलर जानकर उनको रहने से मना कर दिया गया था लेकिन पता चला कि उसमें से एक लड़के का ही ये फ्लैट हैं, वही इसका आॅनर है और बाकि तीन उसके दोस्त है", पापा ने बताया।

कुछ देर बाद मैंने पद्मा दीदी से उनके रसोइए, रमन का नंबर लेकर, नीलेश को मैसेज कर दिया।

क्रमशः

इनपुट सोर्स : प्रगति त्रिपाठी, ब्लॉगर, बंगलोरु सिटी।