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ये वादा रहा
कब मिलते मिलाते हमने एक दूसरे से जीवनसाथी बनने का वादा कर लिया, कुछ एहसास ही ना हुआ। अभी एक महीने बाद आलिंद ठीक हो गए तो मिलने गई...
सपनो का ब्याज
सच में पढ़ी लिखी अपने पैरों पर खड़ी बेटियाँ बेटो से किसी मायने में कम नहीं है।एक वो भी समय था जब बेटी के लालन पालन से ज़्यादा फ़िक्र...
ज़िम्मेदार कौन...
अरे ऐसी औलाद भगवान किसीको ना दे। यहाँ बीमार माँ पड़ोसियों,रिश्तेदारो और नर्स के भरोसे छोड़ सब प्रदेश में गुलछर्रे उड़ा रहे है। हर...
किस्मत का खेल
इधर सुहानी पर मानसिक और शारीरिक अत्याचार चालू पर वो सहनशक्ति की मूरत सब सहन करती जा रही थी । अक्सर बिना कारण जेठानी देवर की पसंद होने...