माता पिता का अलगाव बच्चों के कोमल मन को पहुंचाता है आघात, कैसे आइए जानते है
माता पिता की रोज रोज की लड़ाई से बच्चों के कोमल मन को बहुत ठेस पहुंचती है। और जब ये लड़ाई डाइवोर्स तक पहुंच जाती है तो कई बच्चे डिप्रेशन तक का शिकार हो जाते है। आइए पढ़ते है बाल मन की व्यथा....
फीचर्स डेस्क। रिया एक बहुत होनहार स्टूडेंट रही है हमेशा से। रिया हर फील्ड में टॉप करती थी चाहे वो स्पोर्ट्स हो या पढ़ाई। 10 साल की रिया हमेशा से ही स्कूल की ब्राइट स्टूडेंट रही। पर पिछले कुछ महीनों से रिया का ग्राफ गिरता ही जा रहा था। टीचर्स कुछ समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? पहले टीचर्स को लगा शायद ऑनलाइन क्लास में रिया अन ईजी फील कर रही होगी। कुछ टाइम बाद सही हो जायेगा। पर जब रिया लगातार टेस्ट में काम नंबर लाने लगी तब टीचर ने रिया को बोला की अपने पेरेंट्स से बात करवाएं। रिया ने वो बात भी अपने घर पर नहीं बोली। एक दिन उसकी क्लास टीचर ने रिया के फादर को कॉल किया। और रिया के बारे में बताया। उस दिन के बाद से रिया ने तो क्लास अटेंड करने ही छोड़ दी। टीचर को डाउट हुआ कि आखिर इतनी ब्राइट स्टूडेंट अचानक ऐसी कैसे हो गई । टीचर ने उसके घर जाने का निश्चय किया और जब उसके घर गई तो घर की सिचुएशन देखकर सरप्राइज्ड रह गई। रिया के माता पिता की आए दिन लड़ाई होती थी जिससे रिया पढ़ नहीं पाती थी और अंदर ही अंदर घुटती जा रही थी। एक दिन वो लड़ाई तलाक में बदल गई। और वही से रिया की जिंदगी भी बदल गई।
तलाक बनाता है बच्चों को मानसिक रूप से कमजोर
रिया के पेरेंट्स ने अलग होने के बाद को पेरेंट्स बनने का डिसाइड किया। पेरेंट्स समझते है को पेरेंट्स बनकर वो टाइम टू टाइम बच्चों से मिलते रहेंगे और बच्चों को माता पिता दोनों का प्यार मिलेगा। पर ये सोचना गलत है। इससे बच्चा ज्यादा कन्फ्यूज्ड रहता है कि वो किसे अपनाएं। मां को या पिता को। माता पिता के अलग होने से जो रिश्ता सबसे ज्यादा सफर करता है वो होता है बच्चों का। माता पिता की मनमानी के आगे बच्चे खुद को अनदेखा ,उपेक्षित महसूस करते है। जिससे उनके मन मस्तिष्क में बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। और वो खुद को आगे किसी रिश्ते में बांध नहीं पाते।
बच्चों पर पड़ने वाले निम्न प्रभाव
बच्चों का मन बहुत कोमल होता है। माता पिता का अलगाव बच्चों के लिए किसी सजा से कम नहीं होता। बच्चों पर इसका शारीरिक और मानसिक प्रभाव पड़ता है। जिससे उबर पाना बच्चे के लिए बहुत मुश्किल होता है। क्या है वो प्रभाव, आइये जानते है।
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बच्चे माता पिता दोनों का साथ चाहते है। दोनो में से कोई एक जब नही होता तो बच्चे अपने आप को कमजोर समझने लगते है।
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मां का प्यार पिता से नहीं मिलता और पिता का प्यार मां से मिलना मुश्किल है । इस सिचुएशन में बच्चों के ऊपर मानसिक प्रभाव पड़ता है और कई बार बच्चे खुद को माता पिता के अलग होने का रीजन मानने लगते है।
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बच्चों का रिश्तों से,प्यार से,अपनेपन से विश्वास उठने लगता है। वो अकेलेपन, डिप्रेशन के शिकार हो जाते है। किसी से कुछ कह नहीं पाते और अंदर ही अंदर घुटते रहते है। जिसका प्रभाव शारीरिक रूप से भी उन पर पड़ता हैं।
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कई बार बच्चे नशे के शिकार हो जाते है। उन्हे नशे में रहना अच्छा लगता है। क्योंकि नशा उनको हर प्रॉब्लम का हल लगता है।
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बच्चे चिढ़चिढ़े हो जाते है। किसी से बात करना उन्हे अच्छा नहीं लगता। हर किसी को वो शक की नजर से देखते है। उनके मन में ये भाव पैदा होता है कि अगर ये व्यक्ति मुझसे प्रेम दिखा रहा है तो जरूर इसका कोई मतलब होगा।
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बच्चे के लिए तब और मुश्किल हो जाती है जब बच्चे के माता पिता अपना कोई नया साथी ढूंढ लेते है। स्टेप फादर या स्टेप मदर के साथ बच्चे का सामंजस्य बिठाना बहुत मुश्किल होता है। और अगर बच्चा टीन एजर हुआ तो वो तो ये रिश्ता स्वीकार ही नहीं कर पाता।
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बच्चा खुद को अपने माता पिता से अलग समझने लगता है। ऐसे में कई बार वो घर से भाग जाना चाहता है या भाग भी जाता है। गलत संगत में पड़ जाता है।
रिया को भी बहुत मुश्किल से टीचर ने काउंसलिंग करके समझाया। और उसे विश्वास दिलाया कि हर रिश्ते का अंत ऐसा नहीं होता। रिया को तो काउंसलर मिल गई और उसका जीवन फिर से पटरी पर आने लगा। पर हर बच्चे को काउंसलर नहीं मिलता। इसलिए कोशिश करे कि बच्चे के सामने कभी भी न झगड़े। कोई भी लड़ाई बच्चों से बड़ी नहीं हो सकती। अगर आपने बच्चा प्लान किया है तो बच्चे को अच्छी परवरिश देना आपकी जिम्मेदारी है। उसे समझे और दिल से उसे निभाएं।
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