मकर संक्रांति त्यौहार सभी को अँधेरे से रोशनी की तरफ बढ़ने की प्रेरणा देता है : आचार्य पटवाल

ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन पर जब कोई पिता अपने पुत्र से मिलने जाते है, तो उनके संघर्ष हल हो जाते हैं। सकारात्मकता खुशी और समृधि के साथ साझा हो जाती है। सभी के लिए  सूर्य एक रोशनी, ताकत और ज्ञान का प्रतीक होता है। मकर संक्रांति त्यौहार सभी को अँधेरे से रोशनी की तरफ बढ़ने की प्रेरणा देता है....

मकर संक्रांति त्यौहार सभी को अँधेरे से रोशनी की तरफ बढ़ने की प्रेरणा देता है : आचार्य पटवाल

फीचर्स डेस्क। मकर संक्रांति 14 और 15 जनवरी को मनाई जाएगी।  इस त्यौहार को भारत देश के सभी लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। भारत में बहुत सारे त्योहार मनाये जाते हैं। इन सभी त्योहारों के पीछे महज सिर्फ परंपरा या रूढि बातें नहीं होती है, हर एक त्यौहार के पीछे छुपी होती है ज्ञान, विज्ञान, कुदरत, स्वास्थ्य और आयुर्वेद से जुड़ी तमाम बातें।  हर साल 14 या 15 जनवरी को हिन्दूओं द्वारा मनाये जाने वाला त्यौहार मकर संक्रांति को ही लें, तो यह पौष मास में सूर्य से मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। वैसे तो संक्राति साल में 12 बार हर राशि में आती है, लेकिन मकर  राशि में इसके प्रवेश पर विशेष महत्व है। जिसके साथ बढती गति के चलते मकर में सूर्य के प्रवेश से दिन बड़ा तो रात छोटी हो जाती है। इस  दिन पर भगवान् सूर्य अपने पुत्र भगवान् शनि के पास जाते है, उस समय भगवान् शनि मकर राशि का  प्रतिनिधित्व कर रहे होते है। पिता और पुत्र के बीच स्वस्थ सम्बन्धों को मनाने के लिए, मतभेदों के बावजूद, मकर संक्रांति को महत्व दिया गया।

ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन पर जब कोई पिता अपने पुत्र से मिलने जाते है, तो उनके संघर्ष हल हो जाते हैं। सकारात्मकता खुशी और समृधि के साथ साझा हो जाती है। सभी के लिए  सूर्य एक रोशनी, ताकत और ज्ञान का प्रतीक होता है। मकर संक्रांति त्यौहार सभी को अँधेरे से रोशनी की तरफ बढ़ने की प्रेरणा देता है। एक नए तरीके से काम शुरू करने का प्रतीक है।

 मकर संक्रांति के दिन, सूर्योदय से सूर्यास्त तक पर्यावरण अधिक चैतन्य रहता है, यानि पर्यावरण में दिव्य जागरूकता होती है, इसलिए जो लोग आध्यात्मिक अभ्यास कर रहे है, वे इस चैतन्य का लाभ उठा सकते है। इससे चेतना और ब्रह्मांडीय बुद्धि कई स्तरों तक बढ़ जाती है, इसलिए यह पूजा करते हुए आप उच्च चेतना के लाभ प्राप्त कर सकते हैं। अध्यात्मिक भावना शरीर को बढ़ाती है और उसे शुद्ध करती है। इस अवधि के दौरान किये गए कामों में सफल परिणाम प्राप्त होते है। समाज में धर्म और आध्यात्मिकता को फ़ैलाने का यह धार्मिक समय होता है।

ऐसा करने से होगा लाभ

1. अगर राहु कुंडली में नकारात्मक प्रभाव दे रहा है तो काले तिल और कंबल का दान जरुर करें।

2.अगर कर्ज हो चुका है। तो आप लाल मसूर की दाल का दान करें और ऋण मुक्ति की प्रार्थना करे।

3. जिन लोगों को लंबे समय से संतान नहीं हुई सभी तरह के उपाय और इलाज करवा लिए और फायदा नहीं हुआ उनके लिए विशेष-

उन दंपतियों के लिए विशेष दिन है अपनी संतान पाने की इच्छा पूरी हो सकती है आप अपने घर पर या मंदिर में

विधिपूर्वक व्रत रखकर जप हवन ब्राह्मण भोजन तथा यथाशक्ति दान करने से दंपती को मनवांछित पुत्र संतान की प्राप्ति होती है। आपने अगर इस दिन पूजा अनुष्ठान करवा लिया तो यह अनुष्ठान पूर्ण होते ही कुछ दिनों के बाद ही वह माहौल बनना शुरू हो जाता है । और फिर आप कहीं से भी उपचार करेंगे वह असर करेगा। और हर तरह से रास्ते खुलने शुरू हो जाते हैं। सभी दिक्कत दूर होती हैं।  अनुष्ठान से बहुत ही विशेष ऊर्जा का निर्माण होता है। उसके बाद अगर दंपत्ति अपना उपचार करवाएंगे तो इष्ट कृपा से रास्ता भी निकलेगा। हालांकि इस अनुष्ठान से कुछ और भी लाभ प्राप्त होते हैं। घर में सुख एवं अन्य भी  खुशियां मिलती हैं। पर यह सभी कुछ मकर सक्रांति तक ही संभव है।

क्योंकि तब तक पृथ्वी पर और प्रकृति में आर्द्रता मौजूद है

इस काल में श्री कुल की देवीयों की विशेष कृपा रहती है और उनका समय होता है। इस काल में श्री कुल की देवीयों से विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने से तुरंत लाभ प्रापत होता है। मकर सक्रांति के बाद शुष्क कॉल शुरू हो जाएगा। तब काली कुल की देवीयों का पहरा होगा।

तब नेक्टिविटी,  जादू, नजर दोष, ग्रहों की क्रूर दृष्टि,  दुख तकलीफ, लड़ाई झगड़े तथा जीवन की बड़ी मुश्किलों को रोकने के लिए उपाय होते हैं। लेकिन सभी प्रकार के सुख ऐश्वर्य तरक्की खुशियां तथा संतान यह आर्द्रता से भरे मौसम, बरसातों से लेकर और मकर सक्रांति तक ही कारगर है।

माता रानी आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें

इनपुट सोर्स : शक्ति उपासक, आचार्य पटवाल।