काश कोई मुझे भी गुलाब देता...
जब भी प्रेम के इजहार का गुलाब दिवस है आता,
दिल मेरा सोचता है काश कोई मुझे एक लाल गुलाब देता।
कोई मेरा भी हमसफर होता जो मुझ से प्यार जताता,
लाल गुलाब का फूल मुझे देकर प्यार का एहसास कराता।
लाल गुलाब किसी से लेने का मन मेरा भी करता है ,
कर लूँ स्वीकार अगर कोई प्यार से लाल गुलाब देता है ।
यह आरजू पाले दिल मे बैठे हैं जाने कितने सालों से हम,
कोई तो कभी हमे भी कबूल करेगा दूर होंगे सारे गम।
जीवन भर सताया खूब रुलाया प्यार न कहीं नजर आया,
अकेलापन और तन्हाई मे सिर्फ आँसुओं ने साथ निभाया।
फिर भी जाने क्यों दिल हर पल करता है इन्तजार,
कोई तो प्यार से एक दिन मुझे भी देगा लाल गुलाब सुन्दर।
क्योंकि प्यार मे लाल गुलाब से सुन्दर कोई तोहफा नहीं,
एक बार जो दिल से जुड़ेगा इससे बड़ी कोई वफा नहीं।
इनपुट सोर्स : सावित्री मिश्रा, मेम्बर ऑफ फोकस साहित्य ग्रुप।