Women's Day Special मैं आज की नारी हूँ

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर रेखा मित्तल जी ने वर्तमान के सन्दर्भ में आज की नारी की अनुपम व्याख्या की है , आइये पढ़ते हैं

Women's Day Special मैं आज की नारी हूँ

फीचर्स डेस्क। "यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता"

महिलाएं ईश्वर की अनुपम रचना है। एक महिला के भीतर सृजन ,पोषण और परिवर्तन करने की अद्भुत शक्ति है। हर खुशी, हर  एहसास, हर महक,हर ख्वाहिश, हर घर महिला के बिना अधूरा है।
विश्व भर में महिलाओं को सम्मानित एवं नारी सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष 8मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। आज महिलाएं वाणिज्य,खेल, संस्कृति कला, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे गैर पारंपरिक क्षेत्रों में भी पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर अपना योगदान दे रही हैं। यह दिन महिलाओं के अधिकारों के लिए आंदोलन का प्रतीक माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने 1977 में इस दिवस को मनाना शुरू किया था।वर्ष 2021 के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के लिए संयुक्त राष्ट्र की थीम "

 women in leadership: Achieving an equal future in a covid-19 world"है। यह थीम कोविड-19 वैश्विक महामारी के समय स्वास्थ्य कर्मी ,इन्नोवेटर, स्वास्थ्य श्रमिक, आदि के रूप में दुनिया भर में महिलाओं के योगदान को रेखांकित करती है।

 हिंदी साहित्य में कवियों ने नारी की महिमा का चित्रण बहुत सुंदर ढंग से किया है। मैथिलीशरण गुप्त जी ने अपने महाकाव्य 'साकेत 'में विरहिणी उर्मिला, ममतामयी मां कैकयी का चित्रण बहुत सुंदर ढंग से किया है।वे नारी को श्रेष्ठ मानते हुए कहते हैं कि
     " एक नहीं दो-दो मात्राएं ,नर से भारी नारी"।

हमारे देश में  रानी लक्ष्मीबाई, मदर टैरेसा,सरोजिनी नायडू अहिल्या होलकर, इंदिरा गांधी,प्रतिभा पाटिल,,जसटिस फातिमा बीवी,कल्पना चावला,किरन बेदी, सानिया मिर्जा,सायना नेहवाल ,,पी.वी.सिन्धु ,रैस्लर गीता फोगाट ,बाक्सर मैरी काम,बचैन्दरी पाल, अन्ना मल्होत्रा  इत्यादि लिस्ट बहुत लंबी है जिन्होंने समाज सेवा, राजनीति, खेल कूद, प्रशासनिक सेवा, इंडियन आर्मी, न्यायिक सेवा में अपना अमूल्य योगदान दिया और दे रही हैं।
        आज लेफ्टिनेंट भावना कंठ गणतंत्र दिवस फ्लाईपास्ट में भाग लेने वाली देश की पहली महिला फाइटर पायलट बन गई है। भावना फाइटर जेट पर कॉम्बैट मिशन के लिए क्वालीफाई करने वाली देश की पहली महिला है।
अंतर्राष्ट्रीय बिजनेस जगत में इन्दिरा नूई ने  सराहनीय योगदान दिया है। अरुंधती रॉय फिक्शन के लिए मैन बुकर प्राइस की विजेता  रही है। इन्फोसिस की सह संस्थापक  सुधा मूर्ति को कौन नहीं जानता? सभी का परिचय देना तो यहां संभव नहीं है परंतु कहने का तात्पर्य यह है कि पिछले कुछ दशकों से महिलाएं  हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर अपना योगदान दे रही है।
महिला दिवस पर देशभर में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। अनेक प्रतियोगिताए होती है। महिलाओ को उनके क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है।

 इस बार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 15 महिलाओं को उनके योगदान और समाज में निर्णायक बदलाव लाने के लिए नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया है।सही मायने में महिला दिवस तभी सार्थक है जब असलियत में महिलाओं को सम्मान मिलेगा जिसकी वह हकदार हैं ।साथ ही समाज को भी यह लक्ष्य निर्धारित करना होगा कि भारत में समरसता की बयार बहे, किसी भी बेटी ,बहू ,बहन के साथ अत्याचार ना हो।
              अंत में नारी सशक्तिकरण पर मेरे मन के कुछ भाव :

            आज की नारी

आज़ की नारी हूं,  सिंह की गर्जना हूं ,
मत समझो कमजोर मुझे ,अबला नहीं सबला हूं ।

मैं हूं आदिशक्ति जगदंबा, मैं हूं भवानी अंबा,
गार्गी जैसी नारी हूं ,संघर्ष कभी ना हारी हूं।

साहसी हूं स्वाभिमानी हूं ,जहां देखती शोषण अपना ,
रणचंडी बन प्रलय लाऊं,दुश्मन को मैं धूल चटाऊ। 

विश्वास, ममता की मूर्ति हूं ,पर राजनीति में भारी हूं।
त्याग की प्रतिमूर्ति हूं ,पर आग की चिंगारी हूं।

स्वाभिमानी हूं अपने अस्तित्व को पहचानती हूं।
 बेटी ,बहन, पत्नी, मां हर रिश्ते को सहेजती हूं।
 
 जुल्म और सितम के प्रति जवाब भी देना है ।
झांसी की  रानी बन, खामोशी का हिसाब लेना है।
 
 नहीं दूंगी अग्नि परीक्षा अपनी अस्मिता के खातिर।
 लगाकर तिलक ,उठाऊंगी त्रिशूल, सम्मान की खातिर

        रेखा मित्तल द्वारा रचित