लार्ड विश्वेश्वर के मामले में कोर्ट में हुई सुनवाई, वादी ने रखा अपना पक्ष, कोर्ट ने दी अगली तारीख

कोर्ट में ज्ञानवापी के सम्पूर्ण एएसआई सर्वे करने की अर्जी पर सात मार्च को सुनवाई होगी। पिछले तिथि पर वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से दाखिल वादी मृतक के नाम हटाने की अर्जी और मृतक के पुत्रों द्धारा दाखिल अपने स्थान पर मल्काना हक के मुकदमे में वादी के रूप में प्रतिस्थापन करने सबंधित अर्जी पर कोर्ट में सुनवाई हुई थी...

लार्ड विश्वेश्वर के मामले में कोर्ट में हुई सुनवाई, वादी ने रखा अपना पक्ष, कोर्ट ने दी अगली तारीख

वाराणसी सिटी। प्राचीन लार्ड विश्वेश्वर के वर्ष 1991 के मामले में सिविल जज सीनियर डिवीजन फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट प्रशांत कुमार सिंह की अदालत  में बुधवार को सुनवाई हुई। जिसमें अदालत ने हरिहर पाण्डेय की मृत्यु होने पर उनके पुत्रों को प्रतिस्थापन करने की अर्जी खारिज कर दी। साथ ही वाद मित्र विजयशंकर रस्तोगी की ओर से दाखिल संशोधित प्रार्थना पत्र स्वीकार किया गया।

कोर्ट में ज्ञानवापी के सम्पूर्ण एएसआई सर्वे करने की अर्जी पर सात मार्च को सुनवाई होगी। पिछले तिथि पर वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से दाखिल वादी मृतक के नाम हटाने की अर्जी और मृतक के पुत्रों द्धारा दाखिल अपने स्थान पर मल्काना हक के मुकदमे में वादी के रूप में प्रतिस्थापन करने सबंधित अर्जी पर कोर्ट में सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने दोनो पक्षों के सुनने के बाद आदेश हेतु 28 फरवरी की तिथि नियत की थी।

इस मामले में वादी हरिहर पांडेय की मृत्यु के बाद पर काशी विश्वेश्वर के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से एक अर्जी दी गई थी। जिसमें वाद पत्र में से मृतक वादी के नाम हटाने की गुहार लगाई गई। उधर मृतक हरिहर पांडेय के पुत्रों प्रणय पांडेय और करण शंकर पांडेय की ओर से भी एक अर्जी दाखिल की गई। जिसमें कहा गया कि उक्त वाद में उनके पिता हरिहर पांडेय वादी थे। उनकी मृत्यु हो गई और उनके उत्तराधिकारी होने के कारण वादी के स्थान पर मुकदमे में वादी के रूप में प्रतिस्थापन करने की गुहार लगाई गई। इस मामले में दोनों अर्जियों और आपत्तियों पर सुनवाई हुई।

कोर्ट में वाद मित्र की ओर से कहा गया कि ये वाद जनप्रतिनिधि वाद हैं। इसमें कोई जरूरी नहीं है कि वादी के मृत्यु होने पर उनको वारिस को पक्षकार या प्रतिस्थापन किया जाए। इसमें अधिवक्ता भी मुकदमा लड़ सकता है। इस आवेदन के समर्थन में कई हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के नजीर का हवाला दिया देते हुआ कहा गया कि ये किसी व्यक्ति विशेष का मुकदमा नहीं है, जो वारिस के रूप में इसमें वादी बनने की विधिक अधिकार बनता है। ना कोई ट्रस्ट की ओर से भी ही है। पूर्व के वादी द्रारा भी कोई ऐसा नही दर्शाया गया है, जो कि इन्हें विधिक अधिकार सौंपे। ऐसे में मृतक हरिहर पाण्डेय के स्थान पर वादी पक्षकार बनाने की अर्जी खारिज करने की गुहार लगाई गई।

 उधर सुप्रीमकोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और आशीष श्रीवास्तव ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा कहा कि यह इंडिविजुवल वाद है। तीन लोगो ने यह वाद दाखिल किया था। ऐसे में मृतक वादी के वारिसान भी पक्षकार बन सकते हैं। वाद मित्र को वादिगण ने ही बनाया है। इस मामले में पक्षकार बनाने के विरोध किया जा रहा है। राम मंदिर मामले का हवाला भी दिया गया। कोर्ट से मृतक हरिहर पांडे के स्थान पर पुत्रो को प्रतिस्थापित करने की गुहार लगाई गई।

अदालत ने इस मुद्दे पर सुनवाई के बाद आदेश के लिए 28 फ़रवरी की तिथि नियत कर दी। साथ ही विजय शंकर रस्तोगी की तरफ से एक और आवेदन पर जो की पत्रांवली में हरिहर पाण्डेय को पत्रावली में उनके सामने मृतक लिखे जाने का अनुरोध किया गया था। इस पर अंजुमन इंतजामिया अधिवक्ता मुमताज अहमद, अखलाक, मो० रईस अहमद अंसारी, मेराजुद्दीन और सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से अधिवक्ता ने आपत्ति करते हुए कहा कि इसका कोई औचित्य नहीं है। अदालत ने इस पर भी आदेश करने के लिए पत्रांवली सुरक्षित रख ली थी।