पहला प्यार...

उसकी बातों और हाव भाव से भी लगता कि वो भी उस से प्यार करता है।लेकिन वो जमाना ऐसा नही था कि आजकल की तरह फट से आई लव यू बोल दिया। दोनों एक दूजे से प्यार के इजहार की उम्मीद लगाए ही बैठे रहे और कब नीरजा....

पहला प्यार...

फीचर्स डेस्क। आज  नीरजा को उसकी बहुत ज्यादा याद आ रही थी।वो कहते हैं न कि औरत अपना पहला प्यार कभी नही भूलती।  जैसे जैसे समय बीत रहा और भी ज्यादा याद आ रही थी और दिल के किसी कोने में उसको मिलने की तड़प और भी गहरी होती जा रही थी।जब भी  वो अकेली बैठी होती तो पुरानी यादें दिमाग पर हावी होने लगती।

वो भी क्या दिन थे जब  अभी कॉलेज की पढ़ाई की शुरुआत थी और उसने अपनी पड़ोस वाली भाभी के घर उसको पहली बार देखा था।पता नही उसकी बातों में क्या कशिश थी कि वो उसके दिलो दिमाग पर छाता ही चला गया।  भाभी के घर किसी न किसी मौके पे उससे मुलाकात हो ही जाती।

उसकी बातों और हाव भाव से भी लगता कि वो भी उस से प्यार करता है।लेकिन वो जमाना ऐसा नही था कि आजकल की तरह फट से आई लव यू बोल दिया। दोनों एक दूजे से प्यार के इजहार की उम्मीद लगाए ही बैठे रहे और कब नीरजा के घर वालों ने उसकी शादी कहीं और तय कर दी और वो कुछ भी बोल नही पायी।


क्योंकि उसको तो पता भी नही था कि उसके दिल मे उसके  लिए क्या फीलिंग्स हैं। आज जब शादी को चौदह साल होने वाले हैं तो पता नही क्यों वो फिर से इस दिल मे अपनी यादों के खंजर से जख्मी कर रहा है।

वो कहते है न जब किसी को सच्चे दिल से याद करो तो सारी कायनात तुम्हे उस से मिलने में जुट जाती है।


तीन दिन बाद ही नीरजा को किसी से पता चला कि उसी भाभी के ससुर जी की मृत्यु  हो गयी है।तो उसको उनके घर रस्म किरया में अफसोस के लिए जाना पड़ा।


लेकिन वहां जा कर वो तो  बहुत ज्यादा अचंभित और हैरान हो गयी जब उसने वहां देखा कि वो भी अपनी पत्नी साथ आया हुआ। इतने सालों से एक शहर में रह कर जिस से कभी सामना भी नही हो पाया उस से आज कैसे मिलने का सिलसिला बना और जब वो उससे मिली तो उसने अपनी पत्नी को मिलवाया तो वो और भी हैरान हो गयी कि वो नीरजा की ही क्लास की लड़की  और उसकी दोस्त थी जो उसकी बीवी थी।


जब घर आई तो ऐसा लग रहा था कि अब उसके मन मे जो यादों की लहरें उछल कूद कर के उसको परेशान कर रही थी वो एक दम से शांत हो गयी थी क्योंकि उसको अपने परिवार में खुश देख कर उसके मन को तस्सली जो मिल गयी थी।अब उस दिन के बाद उसने खुद को भी फिर से अपने परिवार में ही व्यस्त कर लिया।

इनपुट सोर्स-  रीटा मक्कड़,मेंबर फोकस साहित्य ग्रुप