टॉयलेट- एक व्यथा

कॉलोनी में संडास की समस्या चल रही है। ऐसा न हो कि कोई मकान की जगह आपके संडास पर ही कब्जा कर ले।" अनुराग के ऐसा कहने पर कमरे में बैठे सभी लोगों ने ठहाका लगाय।। रविवार को छुट्टी के दिन रामबाबू ने अनुराग के साथ जाकर मकान अपने...

टॉयलेट- एक व्यथा

फीचर्स डेस्क। रामबाबू की भविष्य निधि का इतना ही पैसा जमा हुआ था कि वे कच्ची कॉलोनी में एक मकान खरीद सकें। सारी उम्र क्लर्क की नौकरी से वह ज्यादा कुछ नहीं बचा पाये थे। उनके वेतन से बस परिवार का भरण-पोषण और बच्चों की पढ़ाई -लिखाई ही हो पायी थी वह भी सरकारी स्कूल से । जैसे-जैसे सेवानिवृत्ति का समय पास आ रहा था उनकी चिंता बढ़ रही थी क्योंकि सारी उम्र उन्होंने किराए के मकान में बिता दी थी लेकिन रिटायरमेंट के बाद मामूली सी पेंशन में से मकान का किराया देना थोड़ा कठिन लग रहा था सो सबसे पहले उन्होंने घर खरीदने का फैसला किया और जगह-जगह जाकर घर देखना शुरू कर दिया लेकिन किसी भी अच्छी जगह पर घर खरीदना उनके बूते से बाहर था। कुछ कच्ची कॉलोनियों में भी घर देखे गए लेकिन वहां सीवर लाइन न होने के कारण घरों के अंदर टॉयलेट की समस्या थी। लोगों को बाहर बने कॉमन टॉयलेट प्रयोग करने पड़ते थे। लेकिन कहते हैं ढूंढने से ईश्वर भी मिल जाते हैं। कभी न कभी व्यक्ति जिस समस्या के बारे में अधिक सोच रहा होता है ईश्वर उसका समाधान निकाल देते हैं। रामबाबू को एक जगह कच्ची बस्ती में ऐसा घर मिल गया जहां सीवेज लाइन पहुंच चुकी थी और घर में बाहर गली की ओर संडास भी बना हुआ था ।यह मकान रामबाबू के बजट में भी सही बैठ रहा था। अतः उस घर के प्रॉपर्टी डीलर से मिलकर रामबाबू ने मकान का सौदा कर डाला। इस सारी कार्यवाही के लिए उन्होंने कुछ पैसा भविष्य निधि से निकाला और बाकी पैसों के लिए पत्नी के गहने बेच दिए।

राम बाबू ने सोचा कि रिटायरमेंट तक वह अपने कार्यस्थल के पास किराए पर रहेंगे और उसके बाद अपने नये घर में स्थानांतरित हो जाएंगे। " मुबारक हो राम बाबू जी। आज से घर आपका हुआ। लीजिए मुंह मीठा कीजिए।" रजिस्ट्री के बाद प्रॉपर्टी डीलर अनुराग ने हंसते हुए कहा और मिठाई का डिब्बा खोल कर रामबाबू की ओर बढ़ा दिया। आखिर इतना पैसा देने वाला कस्टमर मिल जाए तो एक मिठाई का डिब्बा खरीदने में कोई हानि नहीं है अनुराग ने मन ही मन में सोचा। "जी अनुराग जी बहुत-बहुत शुक्रिया।" रामबाबू ने हंसते हुए डिब्बे से एक लड्डू उठा लिया और डिब्बा वापिस अनुराग की ओर बढ़ा दिया। " राम बाबू जी। अब आप घर पर अपना ताला लगा लीजिए क्योंकि टॉयलेट का दरवाजा गली की ओर है इसलिए विशेषकर उस दरवाजे के लिए मजबूत ताला ले आना। वहां कॉलोनी में संडास की समस्या चल रही है। ऐसा न हो कि कोई मकान की जगह आपके संडास पर ही कब्जा कर ले।" अनुराग के ऐसा कहने पर कमरे में बैठे सभी लोगों ने ठहाका लगाय।। रविवार को छुट्टी के दिन रामबाबू ने अनुराग के साथ जाकर मकान अपने कब्जे में ले लिया और घर के साथ-साथ बाहर बने टॉयलेट पर भी एक ताला जड़ दिया।

अब रामबाबू सेवानिवृत्ति के बाद अपने घर जाने के सपने देखने लगे लेकिन उन्हें बीच में कभी वहां जाने का मौका नहीं मिल रहा था । वे निश्चिंत थे क्योंकि उन्होंने घर के दरवाजे़ पर और टॉयलेट पर ताला लगा रखा था और घर के भीतर अभी कोई ऐसा कीमती सामान भी उन्होने नहीं रख छोडा़ था जिसकी चोरी का खतरा हो। लेकिन संडास एक ऐसी वस्तु है जिसका आवश्यकता सभी को होती है। प्रेशर से जूझ रहे व्यक्ति को महल और टॉयलेट में से एक चीज खरीदने को कहा जाए तो वह महल की जगह टॉयलेट को ही चुनेगा। आसपास के लोगों को जब यह मालूम हुआ कि नुक्कड़ वाले मकान का संडास गली की ओर खुलता है और अभी वहां कोई रहने भी नहीं आया तो सबने मिलकर उस गली के एक दबंग नवीन से ताला तोड़ने काअनुरोध किया।अगले दिन सुबह-सुबह नवीन अपनी तहमत बांधकर कुछ लोगों को साथ ले रामबाबू के संडास के पास जा पहुंचा। पास में रखी ईट से उसने संडास का ताला तोड़ डाला। सभी लोगों ने तालियां बजाई। अब सब लोग पहले भीतर घुसने की कवायत में लग गये। ऐसा लग रहा था मानो ताला खुलते ही सब के पेट में गुड गुड शुरू हो गई हो। नवीन ने सबको लाइन से आने का आदेश दिया। भीड़ देखकर उसका खुराफाती दिमाग चलने लगा उसेयह संडास कमाई का एक जरिया नजर आने लगा"सुनो भाइयों इसकी साफ-सफाई और देखभाल के लिए हमें किसी व्यक्ति को यहां रखना होगा और उसके वेतन के लिए पैसे इकट्ठे करने होंगे। इसलिए सब लोग एक एक रूपया यहां बैठे सफाई कर्मचारी को देंगे।"

अनुराग ने कहा। लोगों को एक रूपया देने में कोई आपत्ति ना लगी और सर्व सहमति से यह फैसला हुआ कि मोहल्ले से किसी गरीब लड़के को यहां बिठा दिया जाएगा ताकि उसका रोजगार भी बना रहे और साफ-सफाई भी समय पर होती रहे। बस्ती के सामने बनी झुग्गी में से भिखू नाम के लड़के को वहां साफ सफाई के लिए छोड़ दिया गया और नवीन ने उसके पास ही एक लकड़ी का गल्ला ताला लगा कर रख दिया । अब प्रतिदिन लोग एक रुपैया गले में डालकर संडास का उपयोग करने लगे। शाम को नवीन तमाम पैसा निकाल कर ले जाता और महीने के अंत में भीखू को 500 रुपये वेतन के तौर पर दे देता। जब प्रॉपर्टी डीलर अनुराग को पता चला तो उन्होंन राम बाबू को इस विषय फोन पर सूचना दी। " अरे राम बाबू आप तो यहां का रास्ता ही भूल गए।" क्या करें अनुराग जी समय ही नहीं मिल पाता बस कुछ ही दिनों की बात है फिर वही हमेशा के लिए आ ही जाना है।" राम बाबू ने हंसते हुए कहा लेकिन रामबाबू बीच-बीच में खाली घर को देखना भी जरूरी होता है। सुना है कि लोगों ने आपके संडास का ताला तोड़ दिया है और उपयोग में ला रहे हैं ।यहां तक कि वहां के एक दबंग ने इसको अपना धंधा बना लिया है।

संडास आपका और धंधा नवीन का। वह सबसे संडास जाने के पैसे लेने लगा है। लगता है यहां आने के बाद आपको भी लाइन में लगना होगा।" अनुराग ने हंसते हुए कहा। यह सुनकर रामबाबू के पैरों के तले जमीन सरक गई शाम को छुट्टी के बाद उन्होंने कॉलोनी में जाकर इस बात का पता लगाने का निश्चय किया। जैसे ही वह शाम को वहां पहुंचे तो देखा भीखू दरवाजे के आगे बैठा हुआ था और उसकी एक तरफ लकड़ी का बना बॉक्स रखा था रामबाबू समझ गए कि अनुराग ने बिल्कुल सही कहा है। उन्हें भीखू से नवीन के बारे मे