संसद का यह सत्र छोटा है, लेकिन समय के हिसाब से बहुत बड़ा है : प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुच्छेद-370 का खात्मा ऐसा कदम था जिसे सदन कभी नहीं भूलेगा। प्रधानमंत्री ने 1965 के युद्ध के दौरान सदन से सैनिकों की हिम्मत बढ़ाने, हरित क्रान्ति लाने और बांग्लादेश के निर्माण को लेकर लिए गए निर्णयों का भी जिक्र किया गया। प्रधानमंत्री ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार द्वारा ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के प्रारंभ किए जाने के ऐतिहासिक निर्णय को भी याद किया...

संसद का यह सत्र छोटा है, लेकिन समय के हिसाब से बहुत बड़ा है : प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली। संसद का विशेष सत्र सोमवार को शुरू हुआ। यह सत्र 22 सितम्बर तक चलेगा। संसद के विशेष सत्र के शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री ने मीडिया से बात करते हुए बड़े संकेत दिए। पीएम ने कहा कि यह सत्र छोटा लेकिन ऐतिहासिक होने वाला है। प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद से अटकलों की बौछार होने लगी है, जिसमें विभिन्न प्रकार की अटकलें लगाई जा रही हैं। पीएम के बयान के बाद लोग कयास लगा रहे हैं कि ‘एक देश, एक चुनाव’, ‘महिला आरक्षण बिल’ या फिर UCC पर सरकार कोई नया बिल ला सकती है। इस नए सत्र को आगामी लोकसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस नए सत्र में होने वाले निर्णय का सीधा प्रभाव आगामी लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा। हालाँकि, सदन की कार्यवाही के पहले दिन ऐसी कोई घोषणा होने की सम्भावना कम रही क्योंकि आज का दिन लोकसभा अध्यक्ष ने पूरा दिन सांसदों द्वारा वर्तमान संसद भवन से जुड़ी हुई यादों पर बोलने के लिए दिया। पीएम ने यह कहकर बड़े संकेत दिए कि इस सत्र में ऐतिहासिक निर्णय होंगे। संसद के विशेष सत्र पर प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद का यह सत्र छोटा है, लेकिन समय के हिसाब से बहुत बड़ा है, ऐतिहासिक निर्णय का सत्र है। इस सत्र की विशेषता है कि अब तक की 75 वर्षों की यात्रा एक नए मुकाम से आरंभ हो रही है।

प्रधानमंत्री ने इस दौरान चंद्रयान-3 की सफलता पर भी बात की। पीएम ने कहा कि जब ऐसे मिशन सफल होते हैं, तो उसे अनेकों संभावनाएं खुलती हैं। प्रधानमंत्री के साथ इस दौरान पीएमओ में मंत्री जितेंद्र सिंह और संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने G-20 की सफलता को भी अभूतपूर्व बताया। उन्होंने इसके आयोजन को संघीय ढांचे का उत्तम उदाहरण और विविधता के जश्न के तौर पर बताया। उन्होंने G-20 में सर्वसम्मति से घोषणा पत्र तैयार होने को भारत के उज्जवल भविष्य का संकेत बताया।

प्रधानमंत्री ने इस दौरान बताया कि संसद प्रारंभ होने से लेकर अब तक 7500 से अधिक व्यक्ति दोनों सदनों में सांसद के रूप में सेवाएँ दे चुके हैं, जिनमें 650 से अधिक महिलाएँ रही हैं। उन्होंने इस दौरान संसद के पूर्व सदस्यों से लेकर वर्तमान सदस्यों तक के योगदान को भी बताया। प्रधानमंत्री ने संसद भवन के भीतर इस बात पर भी प्रकाश डाला कि आजादी के समय भारत के विषय में आशंकाएँ व्यक्त की गई थीं लेकिन संसद ने उन सभी आशंकाओं को झूठ सिद्ध कर दिया।

प्रधानमंत्री ने सदन में काम करने वाले सभी कर्मचारियों का भी धन्यवाद किया कि वह इस संसद को सुचारु रूप से चलाने के लिए लगातार मेहनत करते आए हैं। प्रधानमंत्री ने पंडित नेहरु द्वारा आजादी की मध्यरात्रि पर दिए गए भाषण और पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा ऐतिहासिक भाषण ‘सरकारें आएँगी, सरकारें जाएँगी, लेकिन ये देश रहना चाहिए’ का जिक्र भी लोकसभा में किया।

उन्होंने सांसदों द्वारा बीमारी और कोरोना जैसी विकट परिस्थितियों के बीच काम करने को भी सराहा। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2014 के उस लम्हे को भी याद किया जब वह सदन पहुँच कर उसे प्रणाम करके अन्दर गए थे। प्रधानमंत्री ने सदन द्वारा लिए गए बड़े निर्णयों को भी बताया। उन्होंने उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ के निर्माण को याद किया। उन्होंने भारत अमेरिका परमाणु समझौते की भी बात की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुच्छेद-370 का खात्मा ऐसा कदम था जिसे सदन कभी नहीं भूलेगा। प्रधानमंत्री ने 1965 के युद्ध के दौरान सदन से सैनिकों की हिम्मत बढ़ाने, हरित क्रान्ति लाने और बांग्लादेश के निर्माण को लेकर लिए गए निर्णयों का भी जिक्र किया गया। प्रधानमंत्री ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार द्वारा ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के प्रारंभ किए जाने के ऐतिहासिक निर्णय को भी याद किया। मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान हुए ‘कैश फॉर वोट’ कांड की याद भी प्रधानमंत्री ने सदन को दिलाई। प्रधानमंत्री के इस भाषण के दौरान विपक्ष ने कई बार शोर मचाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए।