हिंसा और अश्लीलता दिखाने से बचें फिल्म निर्माता: नायडू  

हिंसा और अश्लीलता दिखाने से बचें फिल्म निर्माता: नायडू   

नयी दिल्ली। उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने फिल्म निर्माताओं से हिंसा और अश्लीलता का चित्रण करने से बचने का आग्रह करते हुए कहा है कि सिनेमा उद्योग को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जो संस्कृति और परंपराओं को कमजोर करता हो। नायडू ने सोमवार को यहां 67 वें राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि एक फिल्म सामाजिक, नैतिक और नैतिक संदेश का वाहक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक अच्छी फिल्म में दिलों और दिमागों को छूने की शक्ति होती है। सिनेमा दुनिया का सबसे सस्ता मनोरंजन है और फिल्म निर्माताओं और कलाकारों से लोगों, समाज और राष्ट्र की बेहतरी के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि फिल्मों को हिंसा और अश्लीलता दिखाने से बचना चाहिए और समाज की सामाजिक बुराइयों की अस्वीकृति को आवाज देनी चाहिए। सकारात्मकता और खुशी लाने के लिए सिनेमा की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि एक संदेश वाली फिल्म में स्थायी अपील होती है। सिनेमा में मनोरंजन के अलावा ज्ञान प्रदान करने की शक्ति भी है।

उपराष्ट्रपति ने सिनेमा उद्योग को सलाह दी कि वह ऐसा कुछ भी नहीं करें जो हमारी महान सभ्यता की महान संस्कृति, परंपराओं, मूल्यों और लोकाचार को कमजोर करे। भारतीय फिल्में दुनिया भर के दर्शकों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देती हैं। उन्होंने बाहरी दुनिया के लिए 'भारतीयता' या 'भारतीयत' का एक ‘स्नैपशॉट’ पेश करना चाहिए। फिल्म उद्योग को सांस्कृतिक कूटनीति की दुनिया में प्रभावी राजदूत बनने की जरूरत है।

दुनिया में फिल्मों के सबसे बड़े निर्माता के रूप में भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने कहा कि हमारी फिल्में दुनिया भर में देखी और सराही जाती हैं। उन्होंने कहा, “फिल्में हमारे सबसे प्रमुख सांस्कृतिक निर्यातों में से हैं और वैश्विक भारतीय समुदाय को राष्ट्र के जीवन की लय से जोड़ने में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करती हैं।” उन्होंने कहा कि सिनेमा की कोई भौगोलिक या धार्मिक सीमा नहीं है और वह एक सार्वभौमिक भाषा बोलता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पुरस्कार न केवल भारतीय फिल्म उद्योग में प्रतिभा को उजागर करते हैं बल्कि इसकी समृद्धि और विविधता को भी दर्शाते हैं।